Farrukhabad News : गैंग लीडर संजीव पारिया द्वारा आर्थिक और भौतिक लाभ के लिए पिछले कई वर्षों से गिरोह बनाकर लगातार समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त है. इसके गिरोह का समाज में इतना आतंक और भय है कि कोई व्यक्ति इसके खिलाफ गवाही देने को तैयार नहीं होता है.
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अरुण सिंह/फर्रुखाबाद : बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव संजीव पारिया की करोड़ों की संपत्ति कुर्क होगी. डीएम ने गैंगस्टर संजीव पारिया की 36 करोड़ की चल-अचल संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है. संजीव पारिया शाहजहांपुर जेल में बंद है. आरोप है कि पिछले कई वर्षों से संजीव पारिया गिरोह बनाकर समाज विरोधी गतिविधियों में शामिल था.
गिरोह बनाकर कर रहा काम
फर्रुखाबाद पुलिस अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि गैंग लीडर संजीव पारिया द्वारा आर्थिक और भौतिक लाभ के लिए पिछले कई वर्षों से गिरोह बनाकर लगातार समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त है. इसके गिरोह का समाज में इतना आतंक और भय है कि कोई व्यक्ति इसके खिलाफ गवाही देने को तैयार नहीं होता है.
परिवार के नाम पर करोड़ों की अवैध संपत्ति
इतना ही नहीं आरोप है कि संजीव पारिया अवैध शस्त्रों से लैस गैंग के माध्यम से जघन्य अपराधों से दहशत फैलाकर लोगों में दहशत बनाना चाहता है. इसके अलावा सरकारी धन का गबन और आपराधिक षड्यंत्र करता है. संजीव खुद और परिजनों के नाम पर अवैध रूप से करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति बना ली है. जबकि आय का ऐसा कोई स्रोत नहीं है, जिससे इतनी संपत्ति बनाई जा सके.
बैंक खाते और वाहनों का भी ब्योरा दिया
पुलिस अधीक्षक अपनी रिपोर्ट डीएम को भेजी. इसके बाद डीएम ने संजीव पारिया की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दे दिया. डीएम के आदेश के बाद संजीव पारिया की 36 करोड़ की चल-अचल संपत्ति कुर्क की जाएगी. स्थानीय पुलिस कुर्की की तैयारी कर रही है. इसी के साथ अचल संपत्तियां बैंक खातों और वाहनों आदि का विवरण भी दिया गया है. जिलाधिकारी ने पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर गैंगस्टर संजीव पारिया की संपत्ति कुर्क किए जाने के आदेश जारी कर दिया है.
बुलंदशहर में गैंगस्टर अब्दुल रसीद की 70 लाख की संपत्ति कुर्क
वहीं, बुलंदशहर पुलिस ने गैंगस्टर अब्दुल रसीद की 70 लाख की चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया है. आरोप है कि अब्दुल रसीद गिरोह बनाकर पशुओं को जहर देकर मारना फिर मीट बेचना का काम करता था. अवैध कारोबार से अब्दुल रसीद ने लाखों रुपये की संपत्ति अर्जित कर ली थी.
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