शीतकाल के लिए बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट, धूमधाम से निकली मां गंगा की डोली
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शीतकाल के लिए बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट, धूमधाम से निकली मां गंगा की डोली

गंगोत्री धाम मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित सुरेश सेमवाल का कहना है कि शीतकाल में जब कपाट बंद हो जाते हैं, तो मां गंगा की पूजा पूरे विधि विधान के साथ मुखवा गांव में ही की जाती है.

गंगोत्री धाम में मां गंगा के दर्शन करने के लिए इस साल 5 लाख से ज्यादा रिकॉर्ड तीर्थ यात्री दर्शन के लिए पहुंचे.

देहरादून: मां गंगा के पवित्र धाम गंगोत्री के कपाट दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा के दिन पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए. अब अगले 6 महीने तक मां गंगा की पूजा उत्तरकाशी के ही एक गांव मुखबा में होगी. अगले साल यानी 2020 में अक्षय तृतीया के दिन अब गंगोत्री धाम के कपाट ग्रीष्म काल के लिए खोले जाएंगे.

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सोमवार को गोवर्धन पूजा यानी अन्नकूट के पर्व के दिन सुबह ही श्रद्धालु और आसपास के गांव के लोग मंदिर प्रांगण में इकट्ठे हुए. इसके बाद गंगोत्री धाम के पुजारियों ने पूजा अर्चना की और गंगोत्री धाम के कपाट बंद किए गए. आईटीबीपी के बैंड की धुन पर मां गंगा की उत्सव डोली को उत्तरकाशी के मुखबा गांव की ओर प्रस्थान कराया गया. इस गांव के लोग पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ नाचते गाते हुए मां गंगा की डोली को अपने गांव की ओर ले गए. 10,200  फीट की ऊंचाई पर बसे गंगोत्री धाम में इस साल रिकॉर्ड पांच लाख आठ हजार तीर्थयात्रियों ने मा गंगा के दर्शन किए.

गंगोत्री धाम मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित सुरेश सेमवाल का कहना है कि शीतकाल में जब कपाट बंद हो जाते हैं, तो मां गंगा की पूजा पूरे विधि विधान के साथ मुखवा गांव में ही की जाती है. अब अगले छह महीने यहीं पर मां गंगा का बसेरा रहेगा. गंगोत्री धाम में मां गंगा के दर्शन करने के लिए इस साल 5 लाख से ज्यादा रिकॉर्ड तीर्थ यात्री दर्शन के लिए पहुंचे. हालांकि कई बार कठिन रास्ते और भूस्खलन ने यात्रा को प्रभावित किया. लेकिन, फिर भी इन कठिनाइयों ने भक्तों के उत्साह को नहीं तोड़ा. गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने से राज्य की प्रमुख चार धाम यात्रा के समापन की शुरुआत हो गई है. मंगलवार यानी भाई दूज के दिन यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे.

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