निकाह कर 'प्रियंका' बन गई 'आलिया', हाईकोर्ट ने कहा अपनी मर्जी का पार्टनर चुनना गलत नहीं
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand792293

निकाह कर 'प्रियंका' बन गई 'आलिया', हाईकोर्ट ने कहा अपनी मर्जी का पार्टनर चुनना गलत नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) को लेकर एक अहम फैसला लिया है. हाईकोर्ट ने दूसरे धर्म में शादी करने को गलत न मानते हुए पिता की ओर से बेटी प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के धर्म परिवर्तन कर सलामत अंसारी से शादी करने के विरोध में दर्ज कराई गई एफआईआर को रद कर दिया है.

निकाह कर 'प्रियंका' बन गई 'आलिया', हाईकोर्ट ने कहा अपनी मर्जी का पार्टनर चुनना गलत नहीं

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौलिक अधिकार (फंडामेंटल राइट्स) को लेकर एक अहम फैसला लिया है. हाईकोर्ट ने दूसरे धर्म में शादी करने को गलत न मानते हुए पिता की ओर से बेटी प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के धर्म परिवर्तन कर सलामत अंसारी से शादी करने के विरोध में दर्ज कराई गई एफआईआर को रद कर दिया है. बता दें, पिता ने अपहरण और पॉक्सो एक्ट का भी मुकदमा दर्ज कराया था.  

बालिगों के मूल अधिकार का अतिक्रमण
कोर्ट का कहना है कि संविधान के अनुसार हर व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जिंदगी बिता सके. दो बालिगों के व्यक्तिगत संबंध में हस्तक्षेप करना दो लोगों की पसंद की स्वतंत्रता के मूल अधेकारों का हनन माना जाएगा. बता दें, कुशीनगर के विष्णुपुरा थाने में प्रियंका खरवार के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसको कोर्ट ने रदज कर दिया है.

ये भी पढ़ें: रिवर फ्रंट घोटाला: ठेकेदारों से करोड़ों का कमीशन ले, महिलाओं के नाम पर निवेश करते थे ये इंजीनियर

 

पसंद का तिरस्कार करना पसंद की स्वतंत्रता के खिलाफ
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार लव जिहाद को लेकर सख्त कानून बनाने की तैयारी कर रही है, इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुशीनगर के रहने सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार के केस में कहा है कि पार्टनर चुनने का अधिकार अलग धर्म होने के बावजूद मूल अधिकार का हिस्सा है. उनके जीवन में कोई तीसरा व्यक्ति या परिवार दखल नहीं दे सकता. कोर्ट ने कहा है कि कानून दो बालिग व्यक्तियों को एक साथ रहने की इजाजत देता है, चाहे उनका लिंग भी समान हो या न हो. इसमें राज्य भी दखल नहीं कर सकता है. यह फैसला कुशीनगर थाना के सलामत अंसारी और तीन लोगों की ओर से दाखिल याचिका पर जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल ने सुनाया.

कोर्ट धर्म नहीं, युवाओं का अधिकार देख रही है
हाईकोर्ट ने कहा कि वह हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि दो युवा देख रहे हैं, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवनसाथी अपनी मर्जी चुनने का अधिकार है. इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जै सकता.

ये भी पढ़ें: पहाड़ों की बर्फबारी से प्रदेश में छाएगी कोहरे की चादर, इन जगहों पर शीतलहर का भी अलर्ट 

याची प्रियंका और सलामत बालिग
याची का कहना है कि वह दोनों बालिग हैं और 19 अक्टूबर, 2019 को उन्होंने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया है. प्रियंका ने इस्लाम धर्म को स्वीकार कर लिया है और एक साल से वह दोनों पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं. प्रियंका के पिता ने इस रिश्ते का विरोध करते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई है, जिसके खिलाफ उन्होंने याचिका दाखिल की थी. याचिका का विरोध करते हुए प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना प्रतिबंधित है और ऐसे विवाह की कानून में मान्यता नहीं है.

पिता का आरोप- बहला फुसला कर बेटी को फंसाया
एफआईआर में पिता ने कहा कि उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाया गया है. इसके बाद सलामत पर पॉक्सो एक्ट लगाया गया है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रियंका खरवार उर्फ आलिया को पति के साथ रहने की छूट दी है. कोर्ट का कहना है कि लड़की बालिग है इसलिए पॉक्सो एक्ट लागू नहीं हो सकता. कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि बेटी परिवार के लिए सम्मान रखेगी.

WATCH LIVE TV

Trending news