मौसम की मार के चलते छोड़ी परंपरागत खेती, अब इस फसल से कमा रहे लाखों का मुनाफा
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मौसम की मार के चलते छोड़ी परंपरागत खेती, अब इस फसल से कमा रहे लाखों का मुनाफा

यहां के किसान पपीते की खेती कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं. इससे उनके सामने एक नई उम्मीद की किरण जगी है.

इनसेट में किसान महेंद्र.

हमीरपुर: हमीरपुर जिले के किसान लगातार प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं. यहां के किसान कभी बारिश तो कभी सूखे की मार सहते हैं. जिसकी वजह से इन्हें दिन-प्रतिदिन अपने परिवार को चलाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे में यहां के किसानों ने अपनी पारंपरिक खेती को छोड़कर नई तकनीक से पपीते की खेती करना शुरू की है.

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खास बात ये है कि इसके लिए किसी भी सरकारी योजना का सहारा नहीं लिया गया. इसके बावजूद यहां के किसान पपीते की खेती कर लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं. इससे उनके सामने एक नई उम्मीद की किरण जगी है.

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नई तकनीकी से शुरू की खेती 
मौसम की बेरुखी के कारण बुंदेलखंड के किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. मौसम की वजह से खेत मे खड़ी फसल बर्बाद हो जाती है. जिससे कई किसान साहूकारों के कर्जदार होते जा रहे हैं. ऐसे में हमीरपुर जिले के मुस्करा गांव में एक किसान महेंद्र ने अपनी परंपरागत खेती को छोड़कर नई सोच और नई तकनीकी से खेती करने की सोची. उन्होंने अपने दो बीघे खेत मे पपीते की खेती शुरू की. उन्होंने बताया कि इसमें 10,000 रुपये तक की लागत आई. 

कम लागत में अधिक लाभ 
महेंद्र ने कहा कि बुंदेलखंड के किसानों को अब अपनी पारंपरिक खेती पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. उन्हें नई तकनीक से खेती करनी चाहिए. ताकि अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सके. महेंद्र ने बताया कि दो बीघे में लगभग एक हजार से डेढ़ हजार तक पौध रोपण किये जाते हैं. जिससे एक साल में दो बार फसल मिल जाती है. इससे आठ से दस लाख रुपये कमाए जा सकते है. उनका मानना है कि ऐसा करके कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता हैं. 

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उद्यान विभाग करता है ऐसे किसानों की मदद 
वहीं, वरिष्ठ उद्यान निरीक्षक पवन पांडे का कहना है कि परंपरागत खेती में किसानों को बहुत कम लाभ मिलता था. अब यहां के किसान पपीते की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे किसानों को उद्यान विभाग द्वारा समय-समय पर मदद की जाती है. 

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