Diwali Bonus News in Hindi: भारत में दिवाली के त्योहार का इंतजार हर किसी को रहता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भी दिवाली की बहुत ही महत्ता है. अगर हम बात करें सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी बोनस मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बोनस का कैलकुलेशन कैसे होता है. पढ़िए पूरी खबर ...
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Bonus On Diwali: भारत में दिवाली के त्योहार का इंतजार हर किसी को रहता है, खासकर वेतनभोगी कर्मचारी भी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं. दिवाली पर अगर हम बात करें तो सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को बोनस मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बोनस का कैलकुलेशन कैसे होता है. यह प्रक्रिया कानून और कंपनी की नीतियों पर आधारित रहती है. आज हम आपको बताते हैं इसके पीछे का गणित.
बोनस को कैलकुलेट करने के लिए 5 महत्वपूर्ण बातें
1. बेसिक सैलरी
हर कंपनी में बोनस की गणना आमतौर पर कर्मचारी की बेसिक सैलरी (मूल वेतन) और महंगाई भत्ते (DA) को आधार बनाकर की जाती है. हालांकि इसके अंदर ग्रॉस सैलरी को नहीं जोड़ा जाता है. उदाहरण के लिए, अगर आपकी बेसिक सैलरी ₹20 हजार है और कंपनी की तरफ से महंगाई भत्ता ₹5,000 मिलता है. तो ऐसे में बोनस इन्हीं दोनों को जोड़कर ₹25 हजार को आधार बनाकर तय किया जाएगा.
2. न्यूनतम और अधिकतम सीमा
आपको बता दें कि भारत में बोनस के रूल्स को कंट्रोल करने वाला कानून ‘पेमेन्ट ऑफ बोनस एक्ट, 1965’ है. इसी कानून के तहत देश के किसी भी कंपनी के कर्मचारी को एक साल में न्यूनतम 8.33 फीसदी और ज्यादा से ज्यादा 20 फीसदी तक बोनस दिया जा सकता है. लेकिन इसके लिए कर्मचारी को कंपनी के साथ कम से कम 30 दिनों तक काम करना जरूरी है.
3. योग्यता और कार्यकाल
उपरोक्त के साथ-साथ कर्मचारी का कंपनी में कार्यकाल और उसकी योग्यता भी बोनस कैलकुलेट करने में काफई अहम भूमिका निभाती है. मुख्यतः बोनस उन्हीं कर्मचारियों को दिया जाता है. जिन्होंने कंपनी के लिए कम से कम 30 दिन तक काम किया हो. इसका मतलब है कि अगर आपने किसी कंपनी में 4 महीने के लिए काम किया है तो आपको बोनस उन्हीं चार महीनों का मिलेगा.
4. त्योहारी बोनस और परफॉर्मेंस बोनस
आपको सबसे जरूरी बता दें कि त्योहारी बोनस और परफॉर्मेंस बोनस अलग होते हैं. अक्सर कर्मचारी दोनों को एक ही समझ लेते हैं. त्योहारी बोनस कंपनी के द्वारा दिवाली या दशहरा जैसे पहले से तय किए गए समय पर दिया जाता है. तो वहीं परफॉर्मेंस बोनस कर्मचारी के खुद के कार्य प्रदर्शन को आधार बनाकर कंपनी द्वारा दिया जाता है.
5. कंपनी का मुनाफा
बोनस को कैलकुलेट करने के लिए कंपनी का कितना मुनाफा हुआ है. उसके लिए यह भी एक महत्वपूर्ण कारक है. क्योंकि अगर चालू वित्तीय वर्ष में किसी कंपनी ने काफी अच्छा मुनाफा कमाया है तो कर्मचारियों को अच्छा मुनाफा मिलने के चांस ज्यादा होते हैं. वहीं अगर मुनाफा सही नहीं हुआ तो कंपनी बोनस देने से मना भी कर देती है. हालांकि सरकारी कर्मचारियों के लिए यह नियम अलग होते हैं.
ऐसे करते हैं बोनस अमाउंट कैलकुलेट
अब आपको बताते हैं कि बोनस अमाउंट कैसै कैलकुलेट करते हैं. उसके लिए औसत सैलरी को सबसे पहले 30.4 से भाग किया जाता है. उसके बाद भाग करने के बाद आने वाले अमाउंट को 30 दिनों से गुणा किया जाता है. इस प्रकार कर्मचारी के लिए बोनस का निर्धारण किया जाता है. उदाहरण के लिए अगर आपकी मासिक सैलरी ₹10 हजार है. तो बोनस राशि को कैलकुलेट करेंगे :
औसत वेतन (₹10,000) / 30.4 × 30 = ₹9,868
तो इस प्रकार कर्मचारी का कुल बोनस ₹9,868 के आसपास निकल कर आएगा. कंपनी द्वारा यह कैलकुलेशन एक तय फॉर्मूला से की जाती है. जोकि सभी कर्मचारियों के बोनस की राशि को सही और स्पष्ट रूप से बताती है.
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