UP : भीतरगांव चौकी के तत्कालीन प्रभारी राजेश बाजपेई ने बताया कि साल 2020 में शव के रूप में केवल कंकाल मिला था और वब करीब 20-25 दिन पुराना था. इस वजह से इसकी पहचान नहीं हो सकी थी.
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Kanpur : उत्तर प्रदेश के कानपुर के भीतरगांव चौकी में हत्या या आत्महत्या में उलझे एक मानव कंकाल का 45 महीने बाद भी उसका अंतिम संस्कार नहीं हो सका. यह कंकाल 30 सितंबर 2020 को बेहटा-बुजुर्ग गांव के एक खेत में पेड़ की डालियों से बनाए गए फंदे से लटका मिला था. पोस्टमार्टम हाउस से कंकाल साढ़ पुलिस को दे दिया गया था. कहा गया था कि जब तक डीएनए रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कंकाल को सुरक्षित रखना है. तब से लकड़ी के ताबूत में बंद इस मानव कंकाल की पुलिस हिफाजत कर रही है.
दरसल कानपुर के साढ़ थाने के बेहटा-बुजुर्ग के एक खेत किनारे नीम के पेड़ से शव लटके होने की सूचना मिली थी. पेड़ अहमद हसन के खेत किनारे था. नीम के ऊपर डालियों के बीच फंदे से झूलती लाश में सिर्फ कंकाल बचा था. पेड़ के नीचे नौ नंबर साइज की नीली पुरानी चप्पलें पड़ी मिलीं थीं और कंकाल के ऊपर शर्ट-पैंट था.
ताबूत में रखा गया कंकाल
चौकी के तत्कालीन प्रभारी राजेश बाजपेई ने शव का पंचनामा करने के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया था. जहां कंकाल से सैंपल निकाल डीएनए जांच के लिए विधि विज्ञान विभाग प्रयोगशाला झांसी भेजा गया. इसके बाद कंकाल को सुरक्षित रखने को कहा गया. पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों ने कंकाल को वहां रखने से मना कर दिया. तब लकड़ी का ताबूत बनाकर कंकाल को वापस भीतरगांव चौकी के एक कमरे में रखना पड़ा. तब से आज भी पुलिस कस्टडी में कंकाल रखा हुआ है. वहीं पुलिस कर्मियों की माने तो जिस कमरे में कंकाल रखा था वहाँ रात में अजीब आवाजे भी आती है जिसकी वजह से उस कमरे में कोई सोता नही है. जिसके बाद उस ताबूत को सीढ़ियों पर रख दिया गया.
कंकाल की ना हो सकी पहचान
शव के रूप में केवल कंकाल मिला था. यह करीब 20-25 दिन पुराना था. इस वजह से मरने वाले की पहचान नहीं हो सकी थी. इसके चलते किसी ने शव पर दावा नहीं किया. पुलिस ने आसपास के थानों में दर्ज गुमशुदगी, अपहरण आदि मामलों की भी जांच कराई थी, लेकिन शव के बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका था.