अयोध्या का ऐसा चमत्कारी पेड़ जिसकी डाल और टहनियों पर अपने आप उभरता है राम का नाम
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अयोध्या का ऐसा चमत्कारी पेड़ जिसकी डाल और टहनियों पर अपने आप उभरता है राम का नाम

इस बारे में वनस्‍पति व‍ैज्ञानिकों से भी संपर्क किया गया, लेकिन पेड़ पर राम का नाम कैसे उभरता है यह उनकी समझ से परे ही रहा. यही वजह है कि इस वृक्ष का कोई वानस्‍पतिक नाम भी नहीं रखा जा सका है. 

अयोध्या का राम पेड़.

अयोध्या: अयोध्या शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्र 'भीखी का पुरवा' से कुछ दूरी पर गोरखपुर-फैजाबाद हाइवे के किनारे स्थित गांव तकपुरा में एक ऐसा पेड़ है, जिसकी जड़ और डालियों पर राम का नाम उभरा हुआ है. इस पेड़ को लेकर स्थानीय लोगों में बहुत आस्था का भाव है. स्थानीय लोग इसे 'रामनाम का पेड़' कहकर बुलाते हैं. स्थानीय लोग इस पेड़ की पूजा अर्चना करते हैं. इस पेड़ की इस चमत्कारी प्रकृति के बारे में विश्वास करना आसान नहीं है, लेकिन तस्वीरें देखने के बाद आपको यकीन हो जाएगा.

कदम प्रजाति के इस पेड़ की डालियों पर भगवान राम का नाम लिखा हुआ है. खास बात यह है कि इस पेड़ पर भगवान राम के नाम की संख्या बढ़ती ही जा रही है. स्थानीय लोग बताते हैं कि, इस पेड़ पर दशकों पूर्व अचानक भगवान राम का नाम उभरा हुआ देखा गया, जिसके बाद पेड़ की हर डाल पर भगवन राम का नाम लिखता ही चला गया. धीरे-धीरे स्थानीय लोग इस पेड़ को आस्था की नजर से देखने लगे और इसकी पूजा होने लगी.

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इस बारे में वनस्‍पति व‍ैज्ञानिकों से भी संपर्क किया गया, लेकिन पेड़ पर राम का नाम कैसे उभरता है यह उनकी समझ से परे ही रहा. यही वजह है कि इस वृक्ष का कोई वानस्‍पतिक नाम भी नहीं रखा जा सका है. स्थानीय लोगों का दावा है कि अब पेड़ की जड़ और डालियों पर लिखे राम के नाम की संख्‍या इतनी बढ़ चुकी है कि इसे गिन पाना संभव नहीं है. राम नाम के इस अद्भुद वृक्ष के पास हर वर्ष प‍ितृ विसर्जन के द‍िन मेले का आयोजन होता है. इसमें शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पहुंचते हैं.

स्‍थानीय लोग बताते हैं कि यह पेड़ उस स्‍थान पर उगा है जिसके ऊपर से ही हनुमान जी संजीवनी बूटी का पहाड़ लेकर श्रीलंका गए थे. इस पेड़ के तने के ऊपर काफी च‍िकना छिलका होता है, जो सूख-सूखकर गिरता जाता है. पेड़ के तने से छिलके के हटते ही राम-राम शब्‍द देखने को मिलते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि लोगों ने एक-दो बार कौतुकतावश राम नाम को पेड़ के तने से मिटाने का प्रयास किया, लेकिन इन शब्‍दों को कोई मिटा नहीं सका. तब से ही इस पेड़ को श्रीराम का प्रतीक मानकर न‍ियमित रूप से पूजा की जाती है.

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