जानिए कौन हैं योगी के 'प्यारे' वनटांगिए? सांसद रहते जिनकी आवाज बने, CM बने तो हक दिलाया
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जानिए कौन हैं योगी के 'प्यारे' वनटांगिए? सांसद रहते जिनकी आवाज बने, CM बने तो हक दिलाया

योगी आदित्यनाथ 1998 में गोरखपुर से सांसद चुने गए. उन्होंने वनटांगिया समुदाय की सुधि ली. उन्होंने राज्य सरकार के सामने और संसद के पटल पर वनटांगियों के मुद्दे लगातार उठाए. लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़ने वाले योगी ने 2007-08 में वन अधिकार संशोधन अधिनियम पास कराया. 

 वनटांगिया बच्चों के साथ अगल-अलग मौकों पर सीएम योगी आदित्यनाथ की कुछ तस्वीरें.

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीते 14 वर्षों से अपनी दिवाली गोरखपुर के वनटांगिया समुदाय के बीच मनाते हैं. इनके हक-हुकूक के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी है. मुकदमा झेला है. जब मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले वनटांगियों को उन्होंने वो सारे हक दिए जिससे वे वर्षों से वंचित थे. ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई. इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल में बसाया.

साल 1918 में गोरखपुर के जंगलों में बसे थे वनटांगिए
ये अलग-अलग स्थानों के ऐसे लोग थे जिनके पास जीवनयापन का कोई जरिया नहीं था. साखू के पेड़ों का जंगल बसाने के लिए वर्मा देश जो अब म्यांमार नाम से जाना जाता है, वहां की ''टांगिया विधि'' का इस्तेमाल किया गया. इसलिए वन में रहकर साखू के पेड़ लगाने और उनकी देख-रेख करने वालों को वनटांगिया कहा गया. गोरखपुर जिले के कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नंबर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में वनटांगियों की पांच बस्तियां हैं. ये बस्तियां 1918 में बसाई गई थीं.

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गोरखपुर में वर्ष 1985 में वनटांगियों पर चली थी गोली
अस्सी के दशक में जब साखू के पेड़ों का जंगल तैयार हो गया तो वनटांगियों को यहां से बेदखल किया जाने लगा. वन विभाग की टीम 6 जुलाई 1985 को कुसम्ही जंगल की वनटांगिया बस्तियों में पहुंची और उन्हें दूसरे स्थान पर जाने के लिए कहा. वनटांगियों ने जंगल से निकलने से मना कर दिया. वन विभाग की टीम के साथ मौजूद सुरक्षा बलों की ओर से वनटांगियों पर फायरिंग कर दी गई. इस घटना में परदेशी और पांचू नाम के वनटांगियों की मौत हो गई, जबकि 28 अन्य घायल हो गए. घटना के बाद वन विभाग ने अपने तेवर थोड़े नरम जरूर​ किए लेकिन वनटांगियों के ​सिर पर विस्थापन झेलने का खतरा बरकरार था.

वनटांगियों के हक के लिए योगी ने लड़ी है लंबी लड़ाई
योगी आदित्यनाथ 1998 में गोरखपुर से सांसद चुने गए. उन्होंने वनटांगिया समुदाय की सुधि ली. उन्होंने राज्य सरकार के सामने और संसद के पटल पर वनटांगियों के मुद्दे लगातार उठाए. लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़ने वाले योगी ने 2007-08 में वन अधिकार संशोधन अधिनियम पास कराया. लेकिन वनटांगियों को उनका हक मिला योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद. मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के पहले ही साल अक्टूबर 2017 में उन्होंने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाया. इससे गोरखपुर के 5 वनग्राम,  महराजगंज के 18 वनग्राम समेत प्रदेश के सभी वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा मिला.

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सीएम ने वनटांगिया गांवों को दिया राजस्व ग्राम का दर्जा
राजस्व ग्राम घोषित होने के साथ ही वनटांगिया गांवों के लोग हर तरह की सरकारी सुविधा के हकदार हो गए. अपने अब तक के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी ने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाएं मुहैया कराई हैं. वनटांगिया गांवो में सभी परिवारों के पास सीएम आवास योजना के तहत पक्का घर, कृषि योग्य भूमि, आधार कार्ड, राशन कार्ड, रसोई गैस कनेक्शन है. पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग आदि पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है. वनटांगिया बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं. 

वनटांगिया बच्चे सीएम योगी को कहते हैं 'टॉफी वाले बाबा'
योगी आदित्यनाथ वर्ष 2007 से ही वनटांगिया समुदाय के बीच दिवाली मनाते आ रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने यह परंपरा जारी रखी है. हर साल दिवाली पर वह किसी एक वनटांगिया गांव में आते हैं, बच्चों को मिठाई, टॉफी, कापी-किताब और स्कूल किट का उपहार देकर पढ़ने को प्रेरित करते हैं. बीते तीन वर्षों से वह हर दिवाली पर वनटांगिया गावों को विकास परियोजनाओं की सौगात देते आ रहे हैं. इस बार भी उन्होंने 67 लाख की परियोजनाओं का शिलान्यास किया है. वनटांगिया गांवों के बच्चे मुख्यमंत्री योगी को 'टॉफी वाले बाबा' कहकर भी पुकारते हैं.

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