लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद रमेश मिश्रा ने हार नहीं मानी. बल्कि स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला किया.
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नवीन पांडेय/वाराणसी: कोरोना वायरस जहां पूरी दुनिया के लिए आपदा साबित हुई, तो वहीं वाराणसी के एक युवक ने इसे अवसर में बदल दिया. लॉकडाउन में नौकरी जाने के बाद रमेश मिश्रा ने हार नहीं मानी. बल्कि स्ट्रॉबेरी की खेती करने का फैसला किया. अब हालात ये हैं कि आस-पास के लोग आकर उनसे जानकारी ले कर जाते हैं.
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पुणे से आया आईडिया
रमेश को खेती का आईडिया पुणे से आया. जिसे उन्होंने वाराणसी की धरती पर उतार दिया. रमेश का मानना है कि जब स्ट्रॉबेरी की खेती पुणे में हो सकती है, तो यह वाराणसी में क्यों नहीं. इनके द्वारा शुरू की गई आधुनिक खेती वाराणसी के साथ ही आस-पास के जिलों के लिए नजीर बन गई है.
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पहाड़ी क्षेत्रों में होती स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्राबेरी की खेती आम तौर पर पहाड़ी क्षेत्र में होती है. वर्तमान मार्केट में हमेशा इसकी मांग बनी रहती है. बनारस जैसे मैदानी इलाकों में बाहर से ही स्ट्रॉबेरी आती है. हालांकि, रमेश अपने पार्टनर मदन मोहन तिवारी के साथ मिलकर अब गंगा के किनारे इसका उत्पादन कर रहे हैं. दोनों पार्टनर मिलकर न सिर्फ खेती कर रहे हैं. बल्कि स्ट्रॉबेरी की पैकिंग भी करते हैं.
कोरोना काल में कई लोग लौटकर आए घर
पूर्वांचल में बहुत सारे लोग बाहर के राज्यों काम करते हैं. हालांकि, कोरोना काल में वापस लौटकर आने वालों की संख्या भी काफी बड़ी है. लेकिन रमेश जैसे लोग यह साबित कर रहे हैं कि यहां रहकर भी रोजगार किया जा सकता है.
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