मसूरी और देहरादून में बढ़ा तापमान, जानिए उत्तराखंड में क्यों लगातार चढ़ रहा है पारा
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मसूरी और देहरादून में बढ़ा तापमान, जानिए उत्तराखंड में क्यों लगातार चढ़ रहा है पारा

ये कोई पहला मौका नही है जब तापमान नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है. कई बार देहरादून और मसूरी में तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है.

भारतीय मौसम विभाग के एडिशनल डायरेक्टर जनरल डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि मौसम चक्र बदल रहा है.

देहरादून: उत्तराखंड में लगातार गर्मी बढ़ रही है. मैदानी क्षेत्रों के साथ ही पहाड़ों पर भी पारा बढ़ रहा है. मसूरी और नैनीताल जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में भी ठंडी हवाओं के बजाय गर्मी महसूस हो रही है. पिछले कुछ सालों के तापमान को देखते हैं तो जून के शुरुआती 10 दिनों में देहरादून का तापमान 30 से 39 डिग्री रहा है, जो इस समय 40 से ज्यादा चल रहा है. मसूरी और टिहरी में तापमान को देखें तो पिछले कुछ साल के मुकाबले यहां पारा 1 से 3 से डिग्री ज्यादा चल रहा है. हालांकि, ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर अब भी वैज्ञानिकों में दो मत हैं. एक वर्ग ग्लोबल वॉर्मिंग को सीधा खारिज करता है.

ये कोई पहला मौका नही है जब तापमान नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है. कई बार देहरादून और मसूरी में तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है. लेकिन इस बार पर्यटकों की जरूरत से ज्यादा भीड़ ने वैज्ञानिकों और सरकार के सामने इस समस्या को नए सिरे से रख दिया है. पिछले साल यानी 2018 में से 1 से 11 जून तक अधिकतम तापमान 36 डिग्री के आसपास रहा. जबकि 2017 में 2 दिन तापमान 39 डिग्री के आसपास रहा. लेकिन इस बार जून की शुरुआत से ही तापमान 38 और 39 डिग्री के आसपास बना रहा. ऐसे ही नई टिहरी में इस साल तापमान 30 के पार पहुच गया जबकि पिछले 2 साल यानी 2017 में 29 और 2018 में 27 डिग्री के आसपास ही बना रहा था. मसूरी में भी यही हालात हैं.

उत्तराखंड में बढ़ती गर्मी पर वैज्ञानिकों के भी अलग अलग मत है. वैज्ञानिकों का एक वर्ग मानता है कि देहरादून, नई टिहरी और मसूरी में गर्मी बढ़ने का कारण ग्लोबल वॉर्मिंग से जुड़ा हुआ नही बल्कि ये तात्कालिक कारण है. हालांकि एक वर्ग मानता है कि दुनिया मे ग्लोबल वॉर्मिंग भी है. उत्तराखंड कॉउंसिल ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के महानिदेशक डॉ राजेन्द्र डोभाल का कहना है कि पहले मसूरी में रिक्शे चलते थे. अब हज़ारों गाड़ियां एक दिन में पहुंच रही हैं. ऐसे में गाड़ियों का धुआं, प्रदूषण और दूसरे कारण से वहां गर्मी बढ़नी स्वाभाविक है.

भारतीय मौसम विभाग के एडिशनल डायरेक्टर जनरल डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि मौसम चक्र बदल रहा है. इस बार सर्दियों में अच्छी बारिश हुई. पहाड़ों में बर्फ पड़ी. लेकिन इसके बाद बारिश नही हुई. इससे वातावरण में नमी कम हो गई. दूसरा इस साल जंगल की आग ने भी तापमान को बढ़ा दिया है. वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. एएन पुरोहित ग्लोबल वॉर्मिंग की थ्योरी को नकार देते हैं. उनका कहना है कि गर्मी इसी साल बढ़ गई ऐसा नही है. आज से 70 साल पहले भी इतनी गर्मी पड़ती रही है. इसलिए ये सामान्य बात है. ये होता रहता है अगर ये लगातार बढ़ता तो इसे क्लाइमेट चेंज या ग्लोबल वॉर्मिंग कहते.

अब चाहे कुछ भी कहें. वैज्ञानिकों की बातें विरोधाभासी हो सकती हैं. लेकिन यह तो तय है कि पर्यावरण तब ज्यादा प्रभावित होता है जब मानवीय हस्तक्षेप ज्यादा बढ़ता है. इन दिनों पहाड़ों में भीड़ बढ़ना मानवीय हस्तक्षेप का ही एक उदाहरण है. भले ही यह गर्मी बढ़ाने के तात्कालिक कारण हो. लेकिन इस वर्ष गर्मी का अहसास पिछले कुछ साल की तुलना में बढ़ा तो है ही.

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