अयोध्‍या विवाद : सुनवाई टली, सुप्रीम कोर्ट अगले साल जनवरी में तय करेगा अगली तारीख
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अयोध्‍या विवाद : सुनवाई टली, सुप्रीम कोर्ट अगले साल जनवरी में तय करेगा अगली तारीख

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसफ की बेंच को करनी थी सुनवाई.

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: अयोध्या विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज (29 अक्टूबर) अहम सुनवाई टल गई है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसफ की बेंच ने इस मामले को अगले साल जनवरी के लिए टाल दिया  है. सुप्रीम कोर्ट अब जनवरी में मामले की सुनवाई की अगली तारीख तय करेगा. उस दिन यह भी तय होगा कि सीजेआई रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ही मामले की सुनवाई करेगी या इसके लिए कोई नई बेंच का गठन किया जाएगा.

दरअसल, पिछली सुनवाई में तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस अशोक भूषण और अब्दुल नजीर मामले को सुन रहे थे. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद सोमवार को हुई सुनवाई में तीनों जज पहले से अलग रहे. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अयोध्‍या मामला आइटम नंबर 43 के तौर पर सूचीबद्ध था.

पिछली सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट से मुस्लिम पक्षों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा था. सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के इस्माइल फारुकी के फैसले में पुनर्विचार के लिए मामले को संविधान पीठ भेजने से इंकार कर दिया था. मुस्लिम पक्षों ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का जरूरी हिस्सा न बताने वाले इस्माइल फारुकी के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी.

आपको बता दें कि राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था. इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला था. टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है.

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आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था. फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए. जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए, जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. 

वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी थी. इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी. सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिया थे. सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद से ये मामला पेंडिंग है.

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