Ballia Lok Sabha Chunav 2024: एनडीए गठबंधन अपनी सरकार को रिपीट करने के लिए कमर कस चुकी है. जहां तक देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां की 80 सीटें सत्ता का रास्ता खोलती हैं.
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Ballia Lok Sabha Chunav 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी तैयारियां शुरू कर चुकी हैं. विपक्ष में खड़ी पार्टियां सत्ता में आने के लिए जोर लगा रही हैं तो वहीं केंद्र में अपनी सरकार चला रही बीजेपी हैट्रिक मारने की पूरी कोशिश कर रही है. बलिया लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का बीजेपी ने टिकट काटा और अब पूर्व प्रधानमंत्री नीरज शेखर को टिकट दिया है.
एनडीए गठबंधन अपनी सरकार को रिपीट करने के लिए कमर कस चुकी है. जहां तक देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां की 80 सीटें सत्ता का रास्ता खोलती हैं. इन्हीं सीटों में से एक है बलिया जहां की तीन लोकसभा सीट किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस लेख के जरिए बलिया लोकसभा से जुड़ी एक एक डीटेल.
बलिया जिले के बलिया, सलेमपुर व घोसी लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवार मैदान में उतरेंगेय यहां के सात विधानसभा क्षेत्रों में से तीन बैरिया, बलिया नगर व फेफना के मतदाता बलिया लोकसभा, बांसडीह, बिल्थरारोड व सिकंदरपुर के वोटर सलेमपुर लोकसभा सीट के लिए अपना मत डालेंगे, रसड़ा विधानसभा क्षेत्र के वोटर मतदाता घोसी लोकसभा सीट के लिए मतदान करेंगे.
सपा-बसपा गठबंधन का लाभ नहीं हुआ
बलिया लोकसभा सीट पर बीजेपी हैट्रिक लगाने की कोशिश में है और समाजवादी पार्टी यहां अपनी साइकिल को रफ्तार देना चाहती है. ध्यान देने वाली बाद है कि 1977 के आंदोलन के बाद इस सीट पर कांग्रेस को मात्र एक बार जीत मिली. बलिया लोकसभा सीट पर बीजेपी ने दो बार जीत हासिल की है. साल 2014 से पहले केवल 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में पार्टी उप विजेता थी. पहली बार मोदी लहर में साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बलिया में बीजेपी को सफलता मिली. बीजेपी के भरत सिंह यहां से जीते. वैसे पांच साल बाद ही साल 2019 के चुनाव में उनके खिलाफ असंतोष बढ़ा और बीजेपी ने उम्मीदवार बदलकर वीरेंद्र सिंह मस्त को टिकट दिया.मस्त को बलिया में जननेता के रूप में पहचाना जाता है. इस बदलाव से हुआ ये कि सपा-बसपा गठबंधन के सनातन पांडेय को वीरेंद्र सिंह मस्त ने हरा दिया.
क्या है बलिया का जातीय समीकरण?
बलिया लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर सबसे बड़ी आबादी करीब तीन लाख ब्राह्मणों की है. बलिया के दोआबा इलाके सबसे अधिक संख्या में ब्राह्मण रहते हैं. फिर यादव, राजपूत व दलित वोट हैं. तीनों वर्ग की आबादी की संख्या यहां पर करीब ढाई-ढाई लाख है और मुस्लिम वोट करीब एक लाख है.
लोकसभा सीट पर मतदाता की संख्या
बलिया लोकसभा सीट पर लगभग 18 लाख वोटर हैं और यहां की कुल आबादी करीब 25 लाख है जिसमें 91.96 फीसदी आबादी गांवों के रहने वाले हैं. शहरी आबादी यहां पर केवल 8.04 फीसदी है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यगां पर 9,89,732 वोटरों ने वोट दिए और कुल वोटरों का यह 53.51 फीसदी था. इस चुनाव में बीजेपी को 47 फीसदी व सपा-बसपा गठबंधन को 46 फीसदी वोटरों ने वोट दिए थे, अन्य पार्टियों को मिले वोटों का प्रतिशत 4 था.
बलिया लोकसभा कुल मतदाता
विस सीट मतदान केन्द्र पुरूष महिला कुल मतदाता
फेफना 195 171492 142761 314253
बलिया नगर 171 198422 160099 358525
बैरिया 189 189836 154321 344179
जहूराबाद 259 206690 171367 378067
मुहम्मदाबाद 256 218025 179344 397396
सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र की स्थिति
विस सीट मतदान केन्द्र पुरूष महिला कुल मतदाता
भाटपाररानी 253 172353 143661 316030
सलेमपुर 222 169020 143955 312985
बेल्थरारोड 228 181862 150853 332717
सिकंदरपुर 198 159006 129856 288863
बांसडीह 217 208313 175392 383735
योग 1333 107548 895113 1970664
रसड़ा के वोटर घोसी का प्रतिनिधि चुनेंगे
जिले की सात विधानसभा सीटों में से रसड़ा ही है जहां के लोग घोसी लोकसभा सीट के लिए वोट डालेंगे.
यहां कुल 3 लाख 36 हजार 334 मतदाता हैं.
इनमें से 1 लाख 84 हजार 926 पुरुष हैं
1 लाख 51 हजार 396 महिला वोटर हैं.
बलिया जिले में मतदाताओं की संख्या
कुल मतदाता : 23 लाख 58 हजार 606
पुरुषों की कुल मतदाता: 12 लाख 93 हजार 860
महिला की कुल मतदाता: 10 लाख 64 हजार 676
अन्य : 70
युवा मतदाता (18 से 19 वर्ष) की संख्या
नाम जुड़े : 57 हजार 299
नाम कटे : 39 हजार 166
दो जिलों में फैली है लोकसभा सीट
बलिया लोकसभा सीट पर पहली दफा चुनाव साल 1957 में हुआ, तब यहां पर मात्र दो लोकसभा सीट ही थे. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें हैं जिनमें फेफना, बलिया नगर व बैरिया विधानसभा सीटें बलिया जनपद के अंतर्गत हैं. जहूराबाद और मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट गाजीपुर जनपद है. यूपी चुनाव 2022 की बात करें तो ये पांचों विधानसभा सीटों में से केवल एक सीट पर ही बीजेपी ने जीत दर्ज की. बाकी की सीटों पर विपक्ष ने अपनी जीत दर्ज की. फेफना, बैरिया और मोहम्मदाबाद से सपा के विधायक चुने गए, फेफना से संग्राम सिंह को जीत मिली और बैरिया पर जय प्रकाश अंचल ने जीत दर्ज की. वहीं, मोहम्मदाबाद से विधायकी का चुनाव मन्नू अंसारी ने जीती. जहूराबाद से ओम प्रकाश राजभर जोति सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष है, विधायक चुने गए. बलिया नगर सीट पर बीजेपी के दयाशंकर सिंह जीत गए. ध्यान देने वाली बात है कि ओम प्रकाश राजभर के सपा गठबंधन छोड़ने के बाद क्षेत्र में बने एक अलग तरह का जातीय समीकरण बन गया था लेकिन एक फिर राजभर से समीकरण बीजेपी के पक्ष में है.
8 बार के सांसद चंद्रशेखर
बलिया और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का नाता गहरा है. दरअसल, चंद्रशेखर ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बलिया से की थी और इन्हें छात्र नेता से लेकर बागी बलिया के रूप में एक पहचान रखने वाले चंद्रशेखर को भी इस सीट पर एक बार हार मिली. साल 1977 के लोकसभा चुनाव में पहली बार बीएलडी प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में चंद्रशेखर ने दस्तक दी थी और जीत गए, फिर साल 2004 के लोकसभा चुनाव तक वो और बलिया एक दूसरे से जुड़ा रहा. साल 1984 के लोकसभा चुनाव में चंद्रशेखर को कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी ने हराया था. कुल मिलाकर चंद्रशेखर यहां से आठ दफा सांसदी जीतते रहे और देश के प्रधानमंत्री भी बने. आज के समय में उनके बेटे नीरज शेखर बीजेपी से जुड़े है और राज्यसभा से सांसद बनाए गए. हालांकि एक ओर ये भी है कि बलिया में एक बड़े वर्ग में बीजेपी की पैठ बढ़ने को लेकर उम्मीदें लगाई जा रही हैं.