Lok Sabha Election 2024: आगरा मंडल की जातीय समीकरण वाली एटा सीट पर मुख्य तौर पर दो पार्टियों के बीच मुकाबला माना जा रहा है. इस बार बीजेपी के सामने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) मजबूती से खड़ी है।
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UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां पसीना बहा रही हैं. यूपी में दो चरणों में मतदान हो चुका है. अभी दो फेस की वोटिंग होना बाकी है. 7 मई को तीसरे चरण की वोटिंग होगी.एटा प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चित लोकसभा सीटों में से आती है. पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय कल्याण सिंह की कर्म भूमि मानी जाती है.पिछले तीन लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी का इस सीट पर कब्जा है. आइए जानते हैं इस सीट पर बड़ी राजनीतिक पार्टियों की तरफ से कौन उम्मीदवार खड़ा है.
राजवीर सिंह- बीजेपी
देवेश शाक्य-सपा
मुहम्मद इरफान-बसपा
राजवीर सिंह-बीजेपी
कल्याण सिंह के बेटे राजवीर तीसरी बार इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. राजवीर सिंह लोधी समाज से आते हैं. पिछले चुनाव में राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया ने एटा लोकसभा सीट से एक लाख 24 हजार वोटों से जीते थे. इस सीट पर समाजवादी पार्टी से कुंवर देवेंद्र सिंह यादव मैदान में थे लेकिन वो भी गठबंधन का प्रत्याशी होने के बावजूद राजवीर सिंह को नहीं हरा पाए.मौजूदा समय मे एटा सांसद राजवीर सिंह के पुत्र संदीप सिंह बेशिक शिक्षा मंत्री और अतरौली से विधायक है.
देवेश शाक्य-समाजवादी पार्टी
सपा ने एटा लोकसभा से देवेश शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है. सपा ने देवेश शाक्य को चुनावी मैदान में उतारकर शाक्य मतदाताओं (Shakya Voters) को अपनी ओर खींचने का प्लान बनाया है. देवेश इटावा के रहने वाले हैं. वह दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. जिले में शाक्य वोटरों की अच्छी संख्या है. यहां पर शाक्य समीकरण चुनाव पर प्रभाव डालते रहे हैं. देवेश शाक्य ने साल 2002 से राजनीति की शुरूआत की. उनके भाई स्व. विनय शाक्य भी राजनीति से जुड़े थे. साल 2005 और 2010 में औरैया से देवेश जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए.
मुहम्मद इरफान-बसपा
बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी मुहम्मद इरफान को लोकसभा चुनाव में उतारा है. मोहम्मद इरफान लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद कांग्रेस छोड़कर बसपा में आए थे तो पहले से ही उनका टिकट कंफर्म माना जा रहा था. बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी मोहम्मद इरफानको मैदान में उतार कर मुस्लिम और दलित वोटर्स को साधने का प्रयास किया है.
एटा का जातीय गणित
एटा लोकसभा सीट पर जहां सबसे ज्यादा मतदाता लोधी समाज के हैं. यहां पर शाक्य भी काफी मात्रा में हैं. बीजेपी सवर्ण, लोधी और शाक्य वोटरों के समीकरण पर यहां चुनाव लड़ती है.
एटा सीट का इतिहास (History of Etah seat) https://zeenews.india.com/hindi/india/up-uttarakhand/lok-sabha-chunav-2024/aligarh-lok-sabha-election-2024-seat-wise-analysis-condidate-profile-bjp-congress-sp-bsp-ground-report-history/2106761
इस सीट के इतिहास की करें तो आजादी के बाद 1952 में इस सीट पर कांग्रेस जीती थी. लेकिन अगले ही चुनाव 1957 और 1962 में ये सीट हिंदू महासभा के खाते में चले गई. 1967 और 1971 में कांग्रेस की वापसी. 1977 में चली कांग्रेस विरोधी लहर में चौधरी चरण सिंह की भारतीय लोकदल जीती. 1980 के चुनाव में आखिरी बार कांग्रेस यहां से जीती. 1984 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई.बीजेपी लगातार 1989, 1991, 1996 और 1998 में बीजेपी के महादीपक सिंह शाक्य ने यहां जीत दर्ज की. 1999 और 2004 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा. 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और यहां से चुनाव लड़े और जीते. वहीं 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह यहां से सांसद चुने गए.
एटा जिले की 2 सीटें एटा और मारहरा
बात करें विधानसभा सीट कि तो यहां एटा जिले की 2 सीटें एटा और मारहरा सीटें आती हैं.जबकि कासगंज जिले की कासगंज, अमॉपुर, पटियाली सीटें इस लोकसभा में आती हैं.
एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के परिणाम पर
साल 2019 में हुए चुनाव में एटा सीट पर बीजेपी के राजवीर सिंह ने सपा के देवेंद्र सिंह यादव को चुनाव में हराया था. देवेंद्र सिंह यादव सपा-बसपा के गठबंधन से मैदान में उतरे थे.
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