बागपत में जब भिड़े थे दो सियासी दिग्गज, चौधरी चरण सिंह के गढ़ में जब राजनारायण ने चुनावी ताल ठोंक मचा दी थी हलचल
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बागपत में जब भिड़े थे दो सियासी दिग्गज, चौधरी चरण सिंह के गढ़ में जब राजनारायण ने चुनावी ताल ठोंक मचा दी थी हलचल

Lok sabha election 2024 Chunavi Kisse: लोकसभा चुनाव की घोषणा किसी भी समय हो सकती है. जब भी लोकसभा चुनाव हुए उसमें कई किस्से ऐसे होते हैं जिनको भुला पाना मुश्किल है. यूपी हो या कोई अन्य राज्य इस तरह के बहुत से किस्से हैं जो कहीं न कहीं आम लोगों को भी आकर्षित करते हैं. यहां हम बागपत का किस्सा बताने जा रहे हैं जो आपको जरूर अच्छा लगेगा.

UP Loksabha Chunav 2024

Lok sabha election 2024 Chunavi Kisse: लोकसभा चुनाव में राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता है. सभी दल जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. चुनावों के दौरान कुछ ऐसे किस्से हुए हैं जिनको खूब याद किया जाता है. ऐसा ही एक किस्सा यूपी के बागपत का साल 1984 का है. ये किस्सा राजनारायण से जुड़ा हुआ है जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव में टक्कर दी थी. उस समय केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे राजनारायण के कई दिलचस्प किस्से हैं. आइए डालते हैं एक नजर उस किस्से पर जब पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि बागपत में हुआ.

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चौधरी के सामने राजनारायण 
1977 में मोरार जी देसाई प्रधानमंत्री बनाए गए तो उस समय चौधरी चरण सिंह को गृह मंत्री और राजनारायण को हेल्थ मिनिस्टर बनाया गया. दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के गढ़ बागपत में राजनारायण पहुंच गए. ये बात 1984 की है. चरण के सियासी गढ़ में चुनौती देना उस समय बड़ी बात थी पर राजनारायण का व्यक्तित्व ही ऐसा था कि विरोधियों से भी जीत का आशीर्वाद मांगते थे. बात 1984 में हुए लोकसभा चुनाव की है. केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री रहे राजनारायण ने चौधरी चरण सिंह के सामने प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी से पर्चा दाखिल किया. 1984 लोकसभा चुनाव में ही उनके बीच कुछ दूरियां पैदा हो गई थी. ये दूरी इतनी बढ़ी कि राजनारायण ने चौधरी चरण सिंह के सामने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया. उन्होंने चौधरी के गढ़ से ही लड़ने का फैसला किया. 

बागपत में लिया जीत का आशीर्वाद
ये बात उन्होंने खुद चौधरी चरण सिंह के सामने कही थी. उनकी इस बात पर चौधरी मुस्कुराए और कहा कि बागपत में आपका स्वागत है. उस समय सोशल मीडिया या इलैक्ट्रानिक मीडिया का इतना प्रचार नहीं था. उस समय जो भी संसाधन थे, सभी में राजनारायण को प्रमुखता मिला. चौधरी चरण सिंह को ये बात खटका करती थी कि वह देर रात तक चुनावी सभाएं करते हैं. लोगों के बीच जाते हैं.उनको डर था कि किसी गांव में उनके साथ कुछ बदसलूकी नहीं हो जाए. चौधरी चरण सिंह चुनावी मंच से भी लोगों से कहा करते थे कि राजनारायण जी का सम्मान कीजिए. ये इस बात की तरफ इशारा होता था कि चौधरी राजनारायण से स्नेह रखते हैं और उनका कुछ बुरा नहीं चाहते. इस चुनाव में राजनारायण को जीत नहीं मिली.

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नामांकन दाखिल करने के दौरान  का वाकया
जब राजनारायण नामांकन दाखिल करने के लिए पहुंचे तो बड़ा अच्छा मामला हुआ. जब राजनारायण नामांकन दाखिल करके लौट रहे थे तो सामने से चौधरी चरण सिंह आ रहे थे. उनको देखते ही वह नतमस्तक हो गए. उनका हाथ पकड़ा और अपने सिर पर हाथ रखा. उन्होंने चौधरी से कहा कि मुझे चुनाव में जीत का आशीर्वाद दीजिए...तभी यहां से हटूंगा. इस पर चौधरी चरण सिंह ने उनको जीत का आशीर्वाद दिया. हालांकि राजनारायण बागपत लोकसभा चुनाव का नतीजा नहीं बदल पाए. चुनाव में चौधरी चरण सिंह लोकदल के टिकट पर 53 फीसदी वोट पाकर विजयी रहे. दूसरी पायदान पर कांग्रेस के महेश चंद्र थे. निर्दलीय मैदान में उतरे राज नारायण तीसरे स्थान पर चले गए और जमानत जब्त करवा बैठे.

लोहिया राजनीतिक गुरु
समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया राज नारायण के राजनीतिक गुरु थे . उनके अनुयायियों की बात मानी जाए तो जो रिश्ता राम और हनुमान का था.

इंदिरा को हराया
लोकबंधु राजनारायण ने वर्ष 1977 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रायबरेली से चुनाव में पराजित किया और केंद्र में प्रथम गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ.  लेकिन राज नारायण ने इसे अदालत में चुनौती दी और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव अवैध घोषित कर दिया और उन पर छह सालों के लिए चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया. इसके बाद तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी.  69 साल के जिंदगी में वे 80 बार जेल गए.  वह एकमात्र ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जो देश के स्वतंत्रता आंदोलन में जेल गए थे और उससे अधिक स्वतंत्र होने के बाद जेल गए.  अपने जीवन काल में बालिकाओं के शिक्षा के लिए राजदुलारी बालिका विद्यालय की स्थापना की. 

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