जब अखिलेश के लिए मुलायम से भी भिड़ गए थे आजम खां, आज सपा के दोनों दिग्गजों में टकराव
Advertisement

जब अखिलेश के लिए मुलायम से भी भिड़ गए थे आजम खां, आज सपा के दोनों दिग्गजों में टकराव

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मिशन 80 को फेल करने का दावा कर रही सपा की साइकिल पहले राउंड के चुनाव में ही डगमगाकर सियासी सड़क से नीचे उतर गई है. सपा यूपी की जिन मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मजबूत थी, वहां चुनाव के पहले वो खुद अंदरूनी कलह से मात खाती दिख रही है.

Azam Khan and Akhilesh Yadav

UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मिशन 80 को फेल करने का दावा कर रही सपा की साइकिल पहले राउंड के चुनाव में ही डगमगाकर सियासी सड़क से नीचे उतर गई है. सपा यूपी की जिन मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मजबूत थी, वहां चुनाव के पहले वो खुद अंदरूनी कलह से मात खाती दिख रही है. मुरादाबाद, रामपुर और मेरठ सीटों पर यही आपसी घमासान सपा की चुनावी नैय्या डुबो सकता है. टिकट बंटवारे और प्रत्याशियों को लेकर जो असमंजस नामांकन के आखिरी दिन तक बना, उससे अखिलेश यादव खुद कठघरे में खड़े दिख रहे है. सबसे बड़ी चिंता है कि अखिलेश यादव और जेल में बंद सपा नेता आजम खां के बीच ठनती नजर आ रही है. आजम खां और उनके समर्थक लगातार अखिलेश के निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं. 

रामपुर लोकसभा सीट की बात करें तो आजम खान के जेल में होने के बाद उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने चुनाव लड़ने से इनकार किया था. इसके बाद अखिलेश यादव खुद आजम खां से मिलने सीतापुर जेल गए. कहा जाता है कि इस दौरान रामपुर, मुरादाबाद समेत कई सीटों पर उम्मीदवारों पर चर्चा हुई. रामपुर के किले को वापस पाने और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए आजम खां ने अखिलेश यादव से खुद मैदान संभालने की पेशकश की. हालांकि अखिलेश इस पर राजी नहीं हुए. इसके बाद आजम खां की ओर से एक पत्र रामपुर की सपा इकाई ने जारी कर दिया. इसमें लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया गया. आजम खां के करीबी आसिम रजा ने भी बगावती तेवर दिखाए. वहीं अपने रुख पर अड़े अखिलेश को रामपुर से समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी बना दिया गया. दिल्ली की जामा मस्जिद के मौलाना मुहिबुल्लाह नदवी ने अखिलेश से हाल ही में मुलाकात की थी, लेकिन आजम खां को यह रास नहीं आया.

ये पहला वाकया नहीं है, जब खुद को यूपी में मुस्लिमों का रहनुमा बताने वाले आजम खां ने अखिलेश को आईना दिखाया हो. मार्च 2022 में जब विधानसभा चुनाव में रामपुर से जीते और विधानसभा में शपथ लेने पहुंचे. लेकिन शपथ लेने के बाद वो न तो मुलायम सिंह यादव से मिले और न हीं अखिलेश यादव से और सीधे लौट गए. तब बताया गया कि करीब सवा दो साल तक जेल में बंद रहने के दौरान अखिलेश या मुलायम के मिलने न पहुंचने से आजम खां बेहद नाराज थे. 

हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले जब अखिलेश और शिवपाल में मुलायम की राजनीतिक विरासत को लेकर जंग छिड़ी थी तो आजम खां अखिलेश के पाले में खड़े दिखाई दिए थे. अमर सिंह के खिलाफ भी आजम ने मोर्चा संभाला था.  सभी को याद होगा कि सितंबर 2016 में जब मुलायम ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से प्रदेश अध्यक्ष पद छीन लिया था तो रार खुलकर सामने आई थी. पिता से बगावत कर अखिलेश ने भी पलटवार करने में देर नहीं लगाई थी और शिवपाल को पीडब्ल्यूडी औऱ अन्य मंत्रालय छीनकर मंत्रिपद से बर्खास्त कर दिया था. लेकिन तब भी आजम का सॉफ्ट कार्नर अखिलेश के साथ था.

यही नहीं, सितंबर 2019 में जब मुलायम सिंह यादव ने आजम खां पर दर्ज मुकदमों को लेकर रामपुर में धरना प्रदर्शन की घोषणा की तो अखिलेश यादव भी साथ दिखे. उन्होंने बीजेपी सरकार को में दर्ज ऐसे मुकदमों को फर्जी बताया था और विरोध किया था. 

मुरादाबाद में भी घमासान
मुरादाबाद लोकसभा सीट से सपा के मौजूदा सांसद डॉ. एसटी हसन को अखिलेश यादव ने अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया था. लेकिन इस बीच आजम खां की करीबी मानी जाने वाली रुचि वीरा की एंट्री हो गई. पूरे शहर में चर्चा फैल गई कि एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को सपा ने उम्मीदवार बनाया है. इससे शहर में पार्टी के बीच ही विरोध हो गया. एसटी हसन का टिकट कटने की इस खबर ने एसटी हसन के खेमे में भूचाल आ गया. मंगलवार देर रात समर्थकों ने रुचि वीरा का पुतला फूंका और जमकर नारेबाजी की. समर्थक इसे आजम खां की साजिश बता रहे थे. समर्थकों का कहना है कि बाहर का प्रत्याशी बर्दाश्त नहीं होगा. अगर रुचि वीरा को लड़ना है तो रामपुर से लड़ें. उनका कहना था कि आजम खान जेल में है और वहीं ये सब कर रहे हैं.

मुस्लिम सीटों पर ही पिट रही पार्टी
रामपुर में 52 फीसदी मुस्लिम वोट हैं, जो लंबे समय तक आजम खां के परिवार का गढ़ रहा है. मेरठ में भी 30 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी है. यहां 2009 के बाद से लगातार बीजेपी जीतती आ रही है. बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. मुरादाबाद में भी करीब 45 फीसदी मुस्लिम हैं. 

और भी पढ़ें
आजम ने अखिलेश को बैकफुट पर धकेला, रामपुर में तीन सपा नेता चुनाव मैदान में कूदे

मुरादाबाद में खेला!, रुचि वीरा होंगी सपा प्रत्याशी, डीएम ने एसटी हसन का दावा नकारा

 

 

Trending news