आरोप है कि मेदांता हास्पिटल की घोर लापरवाही के कारण कोविड मरीज का उपचार आइएलडी नामक बीमारी समझकर करने से उसकी मृत्यु हो गई.
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मयूर शुक्ला\लखनऊ: कोविड 19 की दूसरी लहर के शुरुआती दिनों में लखनऊ में संक्रमितों को असानी से अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे थे. इस दौरान लखनऊ के निजी अस्पतालों में मनमानी वसूली और इलाज में लापरवाही पाई गई. जिसके बाद हाई कोर्ट ने जांच के लिए पैंडेमिक पब्लिक ग्रीवांस कमेटी गठित की है. प्रशासन ने मेदांता और चंदन अस्पताल की जांच कमेटी को सौंप दी है.
18 से 20 लाख वसूले जाने के आरोप
आरोप है कि मेदांता हास्पिटल की घोर लापरवाही के कारण कोविड मरीज का उपचार आइएलडी नामक बीमारी समझकर करने से उसकी मृत्यु हो गई. इसी तरह चंदन हास्पिटल पर लापरवाही, अनियमितता तथा इलाज के नाम 18 से 20 लाख रुपये वसूले जाने के आरोप हैं. शिकायतकर्ता द्वारा हास्पिटल के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई. नोडल अधिकारी रोशन जैकब ने दोनों मामलों की जांच पैंडेमिक पब्लिक ग्रीवांस कमेटी द्वारा कराते हुए विधिक कार्रवाई करने के निर्देश दिए.
बता दें कि लखनऊ के अलग-अलग निजी अस्पतालों पर ऑक्सीजन के नाम पर लाखों रुपये वसूलने का आरोप लगा था. यही नहीं, दवाइयों और दूसरे मदों में सरकार की ओर से जो धनराशि निर्धारित की गयी है उससे कई गुना पैसे लिए गए थे. मैक्वेल, जेपी और देविना अस्पतालों पर मरीजों से वसूली के गंभीर आरोप लगे थे. इसके बाद तीनों अस्पतालों पर एफआईआर दर्ज की गई थी. प्रभारी अधिकारी रोशन जैकब ने 12 मई को अस्पतालों में जाकर जांच के बाद वसूली के आरोप को सही पाने पर तीनों अस्पतालों के खिलाफ सीएमओ को रिपोर्ट दर्ज कराने का आदेश दिया था.
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