Mahaparinirvan Diwas 2023: परिनिर्वाण दिवस पर मायावती ने दी आंबेडकर को श्रद्धांजलि, लखनऊ में संगठन की मजबूती दिखाएगी BSP
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Mahaparinirvan Diwas 2023: परिनिर्वाण दिवस पर मायावती ने दी आंबेडकर को श्रद्धांजलि, लखनऊ में संगठन की मजबूती दिखाएगी BSP

Mahaparinirvan Diwas 2023: बसपा एक बार फिर से संगठन की मजबूती लखनऊ में दिखाने जा रही है. डा. भीमराव आंबेडकर परिनिर्वाण दिवस के मौके पर बुधवार को मायावती ने आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी.

 

Mahaparinirvan Diwas 2023: परिनिर्वाण दिवस पर मायावती ने दी आंबेडकर को श्रद्धांजलि, लखनऊ में संगठन की मजबूती दिखाएगी BSP

Mahaparinirvan Diwas 2023: बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर बुधवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. बसपा लोकसभा चुनाव से पहले आज बहुजन समाज पार्टी संगठन की मजबूती दिखाने जा रही है. दो साल बाद लखनऊ में बसपा कार्यकर्ता और नेताओं की भीड़ जुटने जा रही है. राजधानी के अंबेडकर स्थल पर प्रदेश के 12 मंडल के कार्यकर्ता और पदाधिकारी आएंगे. बसपा सुप्रीमों के निर्देश पर पूरे प्रदेश में नवंबर तक संघठन विस्तार और बूथ कमेटियों का गठन किया. इसके सहारे इसकी परख भी हो जाएगी. 

मायावती ने दी प्रतिक्रिया 
डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर बीएसपी प्रमुख मायावती ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने डा. भीमराव अम्बेडकर को परिनिर्वाण दिवस अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित किए.  इसके साथ ही सरकार से गरीबों की दुर्दशा के लिए अपनी मांग रखी है. उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया और डिमांड सोशल मीडिया के जरिए रखी है.

उन्होंने कहा कि अगर देश की सरकारें संविधान के पवित्र उसूलों के तहत काम करतीं, तो करोड़ों गरीबों को कई मुसीबतों से मुक्ति मिल गई होती. बसपा चीफ मायावती ने सुबह लखनऊ में आंबेडकर के 67वें परिनिर्वाण दिवस पर उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की.

मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'लगभग 140 करोड़ की विशाल आबादी वाले भारत के ग़रीबों, मज़दूरों, दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों सहित उपेक्षित बहुजनों के मसीहा व देश के मानवतावादी समतामूलक संविधान के निर्माता भारतरत्न परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को आज उनके परिनिर्वाण दिवस पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित.

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दूसरे ट्वीट में मायावती ने कहा-स्थिति अति-दुखद
 2. किन्तु देश के 81 करोड़ से अधिक ग़रीब लोगों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न के मोहताज का जीवन बना देने जैसी दुर्दशा ना यह आज़ादी का सपना था और ना ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुःखद.

तीसरे ट्वीट में बसपा चीफ ने कहा-हालत सुधरनी चाहिए थी
 3. देश में रोटी-रोज़ी के अभाव एवं महंगाई की मार के कारण आमदनी अठन्नी भी नहीं पर खर्चा रुपया होने के कारण गरीब, मजदूर, छोटे व्यापारी, किसान, मध्यम वर्ग सहित सभी मेहनतकश समाज की हालत त्रस्त व चिन्तनीय, जबकि संविधान को सही से लागू करके उनकी हालत अब तक काफी संवर जानी चाहिए थी.

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