प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में जलवायु और ऊर्जा सुरक्षा समेत वैश्विक मुद्दों पर मानव केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि जलवायु और पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत अपनी प्रतिबद्धता से दुनिया को राह दिखा रहा है.
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नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के मुद्दे पर होने वाली चर्चाओं में प्रतिबंधात्मक के बजाय रचनात्मक रवैया अपनाने की वकालत करते हुए विभिन्न देशों से आग्रह किया है कि वे “यह न करो या वह न करो” पर ध्यान केंद्रित न करें. इस सप्ताहांत में नयी दिल्ली में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से पहले ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के वास्ते “सभी के लिए कोई एक समाधान नहीं है.” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, जबकि कुल उत्सर्जन में उसका योगदान पांच फीसदी से भी कम है. उन्होंने कहा, “इसलिए, हम विकास सुनिश्चित करने वाले विभिन्न आवश्यक कारकों को ध्यान में रखते हुए निश्चित रूप से सही रास्ते पर हैं.” मोदी ने कहा, “हम निर्धारित तिथि से नौ साल पहले ही अपने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने वाला संभवत: पहला जी20 देश हैं.” उन्होंने कहा कि एकल-उपयोग प्लास्टिक (सिंगल यूज़ प्लास्टिक) के खिलाफ भारत की कार्रवाई को दुनियाभर में मान्यता मिली है और इसके जरिये साफ-सफाई एवं स्वच्छता सुनिश्चित करने की दिशा में काफी प्रगति भी हुई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब वैश्विक पहलों में भागीदार बनने से आगे कई पहलों में अग्रणी भूमिका निभाने की ओर बढ़ गया है. उन्होंने कहा, “हमारा सिद्धांत सरल है-चाहे समाज में हो या ऊर्जा मिश्रण के संदर्भ में, विविधता ही सर्वोत्तम विकल्प है. सभी के लिए कोई एक समाधान नहीं है.”
''जलवायु न्याय के लिए उठाए कई कदम''
एक अन्य सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में कई जलवायु बैठकें हुई हैं, लेकिन नेक इरादों के बावजूद चर्चाएं इस बात के इर्द-गिर्द केंद्रित रह जाती हैं कि किसे दोषी ठहराया जाए. उन्होंने कहा, “लेकिन हमने ‘कर सकते हैं’ की भावना के साथ एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया. हमने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना की और ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ के विचार के तहत देशों को एक साथ लाने की पहल की.” मोदी ने कहा कि भारत ने ‘कोअलिशन फॉर डिजास्टर रिजिलियेंस’ (आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन) भी शुरू किया, ताकि दुनियाभर के देश, खासतौर पर विकासशील देश, एक-दूसरे से सीखें और ऐसे बुनियादी ढांचे का निर्माण करें, जो आपदाओं के दौरान भी अपना अस्तित्व बनाए रखने में सक्षम हो. उन्होंने कहा, “हमने दुनिया के छोटे द्वीप देशों के हितों को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ मिलकर काम किया है, जिनमें ‘फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आईलैंड्स कोऑपरेशन’ के सदस्य देश भी शामिल हैं.”
ऊर्जा क्षेत्र में आई क्रांति
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जलवायु-केंद्रित पहलों पर काफी प्रगति कर रहा है, क्योंकि उसने कुछ ही वर्षों में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता 20 गुना बढ़ा दी है. उन्होंने कहा, “पवन ऊर्जा के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष चार देशों में शामिल है. इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति में भारत इन वाहनों को अपनाने और नवाचार दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.” मोदी ने कहा कि ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (आईएसए) और ‘आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन’ जैसी पहलें देशों को पृथ्वी की भलाई के लिए एक साथ ला रही हैं. उन्होंने कहा कि आईएसए को शानदार प्रतिक्रिया मिली है और सौ से ज्यादा देश उससे जुड़ चुके हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारी मिशन लाइफ पहल पर्यावरण के लिए जीवनशैली पर केंद्रित है.
''सबका साथ सबका विकास बना वैश्विक मॉडल''
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि ‘सबका साथ- सबका विकास’ मॉडल विश्व के कल्याण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है. उन्होंने साथ ही कहा कि दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण, अब मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में बदल रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, सऊदी अरब के राजा मोहम्मद बिन सलमान सहित 19 विकासशील और विकसित देश तथा यूरोपीय संघ के नेता, नवनिर्मित भारत मंडपम सम्मेलन हॉल में 9-10 सितंबर को प्रमुख वार्षिक बैठक के लिए एकत्र होंगे. जी-20 का दुनिया की जीडीपी में 80 फीसदी, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 फीसदी, दुनिया की आबादी में 65 फीसदी और दुनिया के भूभाग में 60 फीसदी योगदान है. भारत ने पिछले नवंबर में इंडोनेशिया से जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी और दिसंबर में इसे ब्राजील को सौंप दिया जाएगा। मोदी ने कहा कि हालांकि यह सच है कि जी-20 अपनी संयुक्त आर्थिक ताकत के मामले में एक प्रभावशाली समूह है, पर ‘‘दुनिया का जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण अब मानव-केंद्रित’’ में बदल रहा है.
''2047 तक भारत बनेगा विकसित देश''
मोदी ने कहा, ‘‘लंबे समय तक, भारत को एक अरब से अधिक भूखे पेट वाले लोगों के देश के रूप में जाना जाता था. लेकिन अब, भारत को एक अरब से अधिक महत्वाकांक्षी मस्तिष्क, दो अरब से अधिक कुशल हाथों और करोड़ों युवाओं के देश के रूप में देखा जा रहा है।’’ उन्होंने कहा,‘‘2047 तक की अवधि एक बहुत बड़ा अवसर है. इस कालखंड में रहने वाले भारतीयों के पास विकास की ऐसी नींव रखने का शानदार मौका है जिसे अगले 1,000 वर्षों तक याद किया जाएगा.
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