UP Session 2024: महिला अपराधों पर उठे सवाल तो विधानसभा में सीएम योगी ने खुद संभाली कमान, सपा को आंकड़ों से दिखाया आईना
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UP Session 2024: महिला अपराधों पर उठे सवाल तो विधानसभा में सीएम योगी ने खुद संभाली कमान, सपा को आंकड़ों से दिखाया आईना

UP Monsoon Session 2024: उत्तर प्रदेश में विधानसभा का मॉनसून सत्र का आज दूसरा दिन है. कार्यवाही शुरू होने के बाद प्रश्नकाल के दौरान सीएम योगी ने न केवल विपक्ष के सवालों का जवाब दिया बल्कि सपा पर निशाना भी साधा. विधानसभा में सीएम और शिवपाल यादव के बीच हंसी ठिठोली होती भी दिखी.  

UP Session 2024

UP Assembly Monsoon Session 2024: उत्तर प्रदेश में विधानसभा का मॉनसून सत्र का आज दूसरा दिन है. कार्यवाही शुरू होने के बाद प्रश्नकाल के दौरान सीएम योगी ने न केवल विपक्ष के सवालों का जवाब दिया बल्कि सपा पर निशाना भी साधा. सपा की तरफ से रागिनी सोनकर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से महिलाओं और बच्चों अपराध और ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर सवाल किया. जिसका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया. विधानसभा में सीएम और शिवपाल यादव के बीच हंसी ठिठोली होती भी दिखी.  

रागिनी सोनकर का सवाल
बलिया कांड पर विधानसभा में सपा विधायक रागिनी सोनकर ने कहा, आज बॉर्डर कहीं से भी सुरक्षित नहीं हैं? और साथ ही साथ आपको शायद कहीं न कहीं अपने अधिकारियों पर भी भरोसा नहीं है कि एसपी बलिया होने के बावजूद भी बाहर से एक टीम भेजी गई और वहां पर जांच कराई गई. मैं ये पूछना चाहती हूं कि ये अपने आप में दर्शाता हैं?? कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग बढ़ता ही जा रहा है. तो साल 2017 से लेकर महिलाओं के खिलाफ और बच्चों के लापता होने के कितने केस हैं??

सीएम योगी का जवाब
विपक्ष के महिला व बाल  अपराध  सवाल पर सीएम योगी ने कहा, महिला बाल सुरक्षा के मुद्दे केवल बाहरी ही नहीं, घर के अंदर औऱ घर के बाहर दोनों होते हैं. सरकार ने इस को रोकने के लिए जो प्रयास किये उसकी तुलना करें तो 2016 की तुलना में दहेज की घटनाओं में 23-24 में 17.5% की कमी आई. बलात्कार में 2016-17 से 2023-24 की तुलना में 25.30% की कमी आई है. 2017 से 2024 के बीच महिला और नाबालिग बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में सरकार के प्रॉसिक्यूशन तेज करने के परिणाम सामने आए हैं. 24402 प्रकरण में अभियुक्तों को सजा दिलाई गई है. 

2017 से 2024 के बीच महिला और नाबालिग बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलो में सरकार के प्रॉसिक्यूशन तेज करने के परिणाम सामने आए हैं. 24402 प्रकरण में अभियुक्तों को सजा दिलाई गई है. 2017 से 2024 तक पॉस्को अधिनियम अंतर्गत 9875 अभियोगों में सजा दिलाई गई है. 2022 से 2024 के बीच महिलाओ के विरुद्ध पॉस्को अपराध में 16718 अभियुक्तों को सजा दी गयी,21 को मृत्यदंड,1713 आजीवन कारावास,4653 को दस वर्ष या अधिक का कारावास,10331 को दस वर्ष के कम के कारावास की कार्यवाई हुई. 

प्रदेश में इस दिशा में हुए अन्य प्रयास में इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम को हमने 2018 से ही पोर्टल एक्टिव किये है,इसमे फोकस मोनिटरिंग होती है, महिला सम्बन्धी अपराध में वर्षो के पेंडेंसी को पूरा किया,आज देश मे महिला अपराध में अपराधियों को सजा दिलाने में तीसरे नम्बर का राज्य उत्तरप्रदेश है. 

सपा पर निशाना
सीएम योगी ने कहा, सरकार महिला सुरक्षा के लिए गंभीर है,इसीलिए 2017 में आने के बाद पहला काम एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया. इसका सबसे पहले विरोध समाजवादी पार्टी ने किया. ये भी बोलने में कोई संकोच नहीं है कि महिला सम्बंधी अपराध में सबसे ज्यादा इन्वॉल्व समाजवादी पार्टी के लोग पाए जाते हैं. यही नहीं ये लोग उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते है जिसने कहा था "लड़के हैं गलती कर जाते हैं"... 

सपा पर निशाना
सीएम योगी ने कहा, सरकार महिला सुरक्षा के लिए गंभीर है,इसीलिए 2017 में आने के बाद पहला काम एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया. इसका सबसे पहले विरोध समाजवादी पार्टी ने किया. ये भी बोलने में कोई संकोच नहीं है कि महिला सम्बंधी अपराध में सबसे ज्यादा इन्वॉल्व समाजवादी पार्टी के लोग पाए जाते हैं. यही नहीं ये लोग उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते है जिसने कहा था "लड़के हैं गलती कर जाते हैं"... 

सपा पर साधा निशाना
परिषदीय स्कूलों में रसोईयों और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मानदेय से जुड़े एक सवाल पर सीएम योगी ने फिर एक बार सपा पर प्रहार किया. उन्होंने कहा कि 2012 से 17 तक प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और तब रसोईयों को जो मानदेय मिलता था वो 500 रुपए से भी कम था. आप लोगों ने दूसरा अन्याय उनके साथ ये किया कि जिनके बच्चे नहीं पढ़ेंगे उनको सेवा से हटा दिया जाएगा, वहीं इनके चयन में भी भेदभाव होता था.

हमारी सरकार ने 2022 में उनके मानदेय को न्यूनतम 2 हजार रुपए किया.इन सभी ने कोरोना कालकंड में अपनी सेवाओं के माध्यम से शासन की योजनाओं को प्रत्येक परिवार तक पहुंचाने में अभिनंदनीय काम किया है. यही वजह है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री हों या आंगनबाड़ी सहयोगी हों, इन सब के मानदेय में वृद्धि भी की है और इन्हें टैबलेट से आच्छादित करने के साथ साथ अतिरिक्त आय का प्रावधान भी किया है.

हमने प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत सचिवालय का निर्माण किया है. इसका उद्देश्य ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गांव को ही स्वावलंबी बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार किया जा सके. वहां पर कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में पंचायत सहायक रखा गया है. बीसी सखी रखी गई है, जो गांव के अंदर बैंकिंग लेनदेन का कार्य करती है. हमने 6 महीने के लिए उन्हें एक निश्चित मानदेय के साथ जोड़ा, लेकिन जब बैंक से उनका कमीशन बन गया तो वह अच्छी आय अर्जित कर रही हैं.

सुल्तानपुर की एक बीसी सखी अब तक साढ़े 15 लाख रुपए से अधिक का कमीशन प्राप्त कर चुकी है. पंचायत सहायक को भी हम 6 हजार रुपए प्रतिमाह देते हैं. साथ ही जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, खतौनी की नकल और अन्य सभी योजनाओं को जिनकी वह ऑनलाइन सर्विस उपलब्ध करा रहा है एक अतिरिक्त आय भी होती है.

ई प्रॉसीक्यूशन में यूपी नंबर वन
ई प्रॉसीक्यूशन में उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक स्थान पर है. महिला और बाल अपराध संबंधी अभियोगों के निस्तारण में यूपी देश में प्रथम स्थान पर है. इस दौरान लगभग 98 प्रतिशत से अधिक मामलों का निस्तारण किया गया है. घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए 181 की सेवा है, जबकि बाहर के अपराधों के लिए 1090 की सेवा उपलब्ध कराई गई है. इन सब सेवाओं को 112 के साथ इंटीग्रेड किया गया है. यही नहीं, प्रदेश के अंदर हर जनपद में एक महिला थाना स्थापित करने के साथ ही एक अतिरिक्त थाने की जिम्मेदारी भी महिला थानाध्यक्ष को उपलब्ध कराई गई है. प्रदेश में 1585 थानों में अलग से एक महिला हेल्प डेस्क बनाई गई है.

5 वर्षों में की महिला पुलिस कार्मिकों की दोगुनी भर्ती 
सीएम योगी ने बताया कि 2020 से हमारी सरकार ने मिशन शक्ति के अभियान को आगे बढ़ाया है. इसके अंतर्गत पिछले 7 वर्ष में लगभग डेढ़ लाख पुलिस कार्मिकों की भर्ती की गई है. 2017 के पहले तक कुल 10 हजार महिला कार्मिकों की भर्ती हुई थी, जबकि 2017 से 2022-23 के बीच प्रदेश में 20 हजार से अधिक महिला पुलिस कांस्टेबल की भर्ती करने में सफलता प्राप्त हुई है. यानी आजादी के बाद 70 वर्षों में जितनी महिला पुलिस कार्मिकों की भर्तियां हुई थीं, उससे दोगुनी भर्ती महज 5 वर्षों में हमने की है. पुलिस की भर्ती में महिलाओं को 20 प्रतिशत हॉरिजेंटल रिजर्वेशन की व्यवस्था प्राप्त हो सके, इसको अनिवार्य रूप से लागू किया गया.

लखनऊ, गोरखपुर और बदायूं में महिला पीएसी के गठन की कार्रवाई को आगे बढ़ाया. जो पुलिस कार्मिक महिलाएं भर्ती हुईं वो केवल ऑफिस या थाने तक ही सीमित न रहें, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ शासन की योजनाओं को उन तक पहुंचाने में भी सहयोगी बने, इसके लिए प्रदेश के अंदर 10 हजार से अधिक महिला बीट स्टेशन तैयार किए गए, महिला पिंक बूथ की स्थापना की गई. ये भी व्यवस्था की गई कि ये महिला बीट पुलिस अधिकारी मिशन शक्ति के अंतर्गत हर सप्ताह महिलाओं के पास जाएं और महिला संबंधी मुद्दों पर चर्चा करें. यही नहीं, मुद्दों के समाधान के साथ ही महिलाओं की सुरक्षा, उनके स्किल डेवलपमेंट, उनके स्वावलंबन से संबंधित योजनाओं से महिलाओं को अवगत कराएं.

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