2 जून की उस काली तारीख सुनकर आज भी मथुरा के लोग सिहर उठते हैं जिसमें दो जाबांज अफसरों समेत 29 लोगों की मौत हुई थी
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मथुरा: आज के दिन पांच साल पहले दो जून को मथुरा के जवाहर बाग कांड की घटना हुई थी. ये दिन इतिहास के काले पन्नों में दर्ज है. इस जवाहर बाग कांड में 29 लोगों की मौत हुई थी. पांच साल के बाद भी इस कांड के घाव हरे हैं.
जवाहर बाग कांड का मुख्य आरोपी था रामवृक्ष यादव
इस कांड का मुख्य आरोपित गाजीपुर के गांव बाघपुर का रहने वाला रामवृक्ष यादव था. उसके नेतृत्व में 2013 में स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह का संगठन बनाया गया था. कथित सत्याग्रह के नाम पर जवाहर बाग में अवैध रूप से सैकड़ों लोगों के साथ कब्जा किया था. 2 जून 2016 को चर्चित जवाहरबाग कांड हुआ था.
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अवैध कब्जा धारियों ने पुलिस और प्रशासन पर हमला किया
दो जून 2016 को जवाहर बाग पर अवैध कब्जा धारियों ने पुलिस और प्रशासन पर हमला किया और पूरे जवाहर बाग को अग्निकांड में बदल दिया था. खाली कराने गई पुलिस टीम पर हथियारों से हमला किया गया था. इस हमले में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव शहीद हुए थे और कई पुलिसकर्मी हमले में घायल हो गए थे. जवाहर बाग में आगजनी और हिंसक घटना ने तत्कालीन सपा सरकार को हिला कर रख दिया था. मामले में कई राजनेताओं पर रामबृक्ष यादव को संरक्षण देने के आरोप लगे थे.
29 लोगों की गई थी जान
2 जून की उस काली तारीख सुनकर आज भी मथुरा के लोग सिहर उठते हैं जिसमें दो जाबांज अफसरों समेत 29 लोगों की मौत हुई थी. उस घटना की गवाही आज भी जवाहर बाग में खड़े जले हुए और अधजले पेड़ करते हैं. जवाहर बाग कांड की घटना के बाद सरकार द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गई. रामवृक्ष के सहयोगी चंदनबोस, वीरेश यादव, राकेश गुप्ता के विरूद्ध एनएसए के तहत कानूनी कार्रवाई की गई थी.
जवाहर बाग कांड की घटना के बाद सरकार द्वारा बाग के सौंदर्यीकरण कराने का भी ऐलान किया गया. सरकार द्वारा करीब 15 करोड़ की लागत से पूरे जवाहर बाग का सौंदर्यीकरण कराया गया.
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