Ahohi Ashtami: यूपी के इस कुंड में स्नान की अनोखी मान्यता, निसंतान दंपति की भर जाती है सूनी गोद
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Ahohi Ashtami: यूपी के इस कुंड में स्नान की अनोखी मान्यता, निसंतान दंपति की भर जाती है सूनी गोद

Ahoi Ashtami Special: अहोई अष्टमी पर मथुरा के राधा कुंड में हर वर्ष स्नान के लिए हजारों लोगों की भीड़ जुटती है. मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से निसंतान माता-पिता को संतान के सुख की प्राप्ति होती है.

Ahohi Ashtami: यूपी के इस कुंड में स्नान की अनोखी मान्यता, निसंतान दंपति की भर जाती है सूनी गोद

Mathura Radha Kund: मथुरा के राधाकुंड में स्नान का विशेष महत्व है, खासकर उन दंपत्तियों के लिए जो संतान सुख की प्राप्ति चाहते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो भी निःसंतान दंपत्ति राधाकुंड में स्नान करता है, उसकी सूनी गोद भर जाती है. यहां आकर स्नान करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है, और विशेष रूप से अहोई अष्टमी के दिन इस कुंड में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.  

अहोई अष्टमी के दिन, जब भक्त राधाकुंड के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं, उन्हें न केवल अहोई माता का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि राधा और कृष्ण का भी विशेष अनुग्रह प्राप्त होता है. उन दंपत्तियों के लिए, जिन्हें संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही है, इस दिन का स्नान बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो जोड़ा अहोई अष्टमी के दिन राधाकुंड में स्नान करता है, उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है.  

वहीं, जिन दंपत्तियों की यह मनोकामना पूरी हो जाती है, वे अपने बच्चों को लेकर राधाकुंड वापस आते हैं और यहां सुबह स्नान करने के बाद अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराते हैं. राधाकुंड और श्यामकुंड के इस धार्मिक महत्व का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है.  

कहानी के अनुसार, इस स्थान पर पहले अरिष्टासुर नामक राक्षस का बसेरा था, जिसकी दहाड़ इतनी भयंकर थी कि गर्भवती महिलाओं का गर्भपात हो जाता था. श्रीकृष्ण ने इस राक्षस का वध किया, लेकिन गाय के रूप में राक्षस का वध करने से उन पर पाप लग गया. इस पाप से मुक्ति के लिए श्रीकृष्ण और राधा ने अलग-अलग दो कुंडों का निर्माण किया, जिन्हें आज राधाकुंड और श्यामकुंड के नाम से जाना जाता है. 

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कैसे पहुंचें मथुरा के राधा कुंड
मथुरा सड़क और रेल यातायात के माध्यम से सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है. सार्वजनिक बसों से आप यहां पहुंच सकते हैं, इसके अलावा टूर ऑपरेटर्स टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध कराते हैं. निकटम हवाई अड्डों में जेवर और आगरा के हवाई अड्डे इसके पास हैं, जहां आप फ्लाइट के जरिये पहुंच सकते हो और उसके बाद टैक्सी की जा सकती है. 

मथुरा का धार्मिक महत्व
मथुरा को  भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है. यहां बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, श्री कृष्ण जन्मभूमि, बलराम मंदिर और कई प्रसिद्ध मंदिर और धार्मिक स्थल हैं. यहां अनेकों धर्मशालाएं और होटल हैं. जहां रुका जा सकता है. 

Disclaimer
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता. 

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