अब ये खबर पक्की हो गई है कि सोनभद्र की पहाड़ी में सोना है लेकिन बात ये है कि ये खबर खजाना हाथ लगने जैसी नहीं है.
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भूपेंद्र सोनी/ नई दिल्ली: हाल ही में सोनभद्र में सोने के दो पहाड़ मिलने की खबर वायरल हो गई थी. कहा जा रहा था कि इन पहाड़ियों में इतना सोना है कि देश की गरीबी दूर हो जाएगी. बाद में खबर आई कि सोने की पहाड़ी मिलने की बात गलत है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने इस खबर को नकार दिया और ऐसे वैज्ञानिक आंकड़े जारी किए जिन्हें जानने के बाद लोगों में मायूसी छा गई.
हालांकि अब खुशी की बात ये है कि सरकार के स्तर पर इस बात की पुष्टि कर दी गई है कि सोनभद्र पहाड़ी में सोना है. लोकसभा में इसकी तस्दीक माइन्स, मिनरल्स कोल एंड पार्लियामेंट अफेयर्स मिनिस्टर प्रहलाद जोशी ने की. लोकसभा को दी गई जानकारी के मुताबिक सोनभद्र की पहाड़ी में GSI के मुताबिक कच्चा सोना मिला है लेकिन सोने की कोई खदान नहीं मिली।
सोना मिलने का मतलब क्या है?
सोनभद्र की पहाड़ी में सोना मिलने का मतलब क्या है वो लोकसभा में पेश किए गए आंकड़े से समझें. जिले की सोन पहाड़ी के H-ब्लॉक में जितना कच्चा सोना है उससे 1 टन अयस्क से सिर्फ 3.03 ग्राम सोना ही बनेगा. दरअसल यहां मिले सोने का ग्रेड 3.03 ग्राम /टन है। इसका भंडार 52,806 टन होने का अनुमान है. सोनभद्र के ही हर्डी ब्लॉक में भी 21,53,000 टन कच्चा सोना होने का अनुमान लगाया गया है लेकिन इसका ग्रेड और भी कमजोर है जो 0.30 ग्राम/टन है।
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सोनभद्र में मिले सोने का क्या होगा?
सोनभद्र में जहां सोने होने का पता चला है राज्य सरकार उस जगह पर खदान और खनिज एक्ट के नियमों के मुताबिक उन्हें नीलाम कर सकती है. खदान की नीलामी के बाद खुदाई के लिए उन्हें एलॉट किया जा सकता है ताकि वहां से सोना निकाला जा सके. भारतीय खान ब्यूरो के मुताबिक देश में करीब 1 करोड़ 72 लाख टन कच्चे सोने का भंडार है. जबकि 2019-20 के वार्षिक कार्य सत्र में GSI ने देश में सोने के लिए 31 परियोजनाएं शुरू की हैं। ये परियोजनाएं बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और यूपी में हैं। इनमें सबसे ज्यादा 7-7 परियोजनाएं झारखंड और कर्नाटक में हैं जहां इनकी कुल संख्या 14 है.
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