Moradabad Ka Itihaas: शाहजहां के सबसे लाडले बेटे के नाम पर बसा मुरादाबाद, किले और मस्जिदों में आज भी जिंदा शहर का इतिहास
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Moradabad Ka Itihaas: शाहजहां के सबसे लाडले बेटे के नाम पर बसा मुरादाबाद, किले और मस्जिदों में आज भी जिंदा शहर का इतिहास

Moradabad Ka Itihaas: वैसे तो यूपी का हर शहर और हर जिला अपने आप में अनेकों कहानियां और गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है, लेकिन कुछ शहर और जिलों को नाम आते ही हम सब उसके बारे में जानने के लिए आतुर हो जाते हैं. ऐसा ही एक जिला है 'मुरादाबाद'. तो आज हम बात करेंगे मुरादाबाद के इतिहास के बारे.

Moradabad Ka Itihaas: शाहजहां के सबसे लाडले बेटे के नाम पर बसा मुरादाबाद, किले और मस्जिदों में आज भी जिंदा शहर का इतिहास

Moradabad Ka Itihaas: वैसे तो यूपी का हर शहर और हर जिला अपने आप में अनेकों कहानियां और गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है, लेकिन कुछ शहर और जिलों को नाम आते ही हम सब उसके बारे में जानने के लिए आतुर हो जाते हैं. ऐसा ही एक जिला है 'मुरादाबाद'. यूपी का मुरादाबाद शहर अपने आप में कई व‍िव‍िधताओं को समेटे हुए है. ज‍िसमें मुरादाबाद का पीतल उद्योग सबसे अहम है. अपने इस उद्योग की वजह से मुरादाबाद दुन‍ियाभर में पीतल नगरी के नाम से मशहूर है. यहां के पीतल के बर्तनों और गहनों की डिमांड देश नहीं नहीं बल्कि विदेशों में भी है. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी में भी यहां की कारीगरी की हाई डिमांड है. अगर यहां की आबादी की बात करें तो मुरादाबाद में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही वर्गों की आबादी का अनुपात तकरीबन समान है. जिसकी वजह से कहा जाता है कि इस शहर की कला पर इंडो-इस्लामिक छाप है.

कैसे पड़ा मुरादाबाद नाम?
अगर आप मुरादाबाद के इतिहास को खंगालेंगे तो यहां मौर्य शासक, गुप्त वंश शासक, सम्राट हर्षवर्धन, पृथ्वीराज चौहान का शासन रहा. कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में यहां चार गांव हुआ करते थे, जिन्हें मिलाकर चौपला बना था. जिनके नाम दिनदार पुरा, भदौरा, मानपुर-नारायणपुर, देहरी थे. उस वक्त इस शहर को चौपला के नाम से ही जाना जाता था. 16वीं शताब्दी में राजाराम सुख का चौपला में शासन हुआ. 1624 में चौपला पर बाद में रुस्तम खान ने आक्रमण किया और इसका नाम रुस्तम नगर रख दिया, लेकिन जब इसका पता शाहजहां को चला तो उसने यहां अपने बेटे मुराद बख्‍श को भेजा. जिसके बाद मुराद बख्श ने इसे अपने कब्जे में ले लिया और इसका नाम मुरादनगर रख दिया. जि‍से बाद में मुरादाबाद कहा जाने लगा.

पीतल नगरी के नाम से नई पहचान
मौजूदा वक्त में मुरादाबाद को पीतल नगरी के रूप में नई पहचान मिली है. ये शहर भारत का एकमात्र ऐसा शहर है जहां पीतल के बर्तन और गहने बनाए और निर्यात किए जाते हैं. इस शहर का पीतल हस्तशिल्प के रूप में विश्व प्रसिद्ध है. यहां के हस्तशिल्पी बड़ी मात्रा में पीतल के हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां बनाते हैं. इतना ही नहीं सजावट के सामान भी यहां तैयार किए जाते हैं. मुरादाबाद के पीतल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार भी कवायद कर रही है. सरकार ने तो 2018 में ही इसे एक जिला एक उत्पाद घोषित कर चुकी है. 

शहर में घूमने लायक जगहें
अब अगर बात इस शहर के दर्शनीय स्‍थल करें तो यहां ऐसे कई प्रमुख दर्शनीय स्‍थल हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्ष‍ित करते हैं. जिनमें मुरादाबाद के बकीपुर स्‍थ‍ित जामा मस्जिद भी काफी मशहूर है. इस जामा मस्जिद को 1631 में बनाया गया था. इसके अलावा यहां का डियर पार्क भी फेमस है, ये पार्क प्रेम वंडरलैंड के पास है. जहां हिरण, मगरमच्छ, बत्तख समेत कई प्रजातियों के जानवर आपको देखने को मिल जाएंगे. इसके साथ ही  मुरादाबाद के केंद्र में श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर है. मान्यता है कि भगवान पारसनाथ वाराणसी में पैदा हुए थे, लेक‍िन उनकी मृत्यु के बाद एक कुएं से भगवान पारसनाथ की मूर्ति मिली थी. जिसको यहां स्थापित किया गया. इसके अलावा प्राचीन मंदिरों में से एक मुरादाबाद स्‍थ‍ित हनुमान मूर्ति मंदिर भी है. जिन्हें देखने के लिए पर्यटक आ सकते हैं.

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