BJP प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के गठबंधन वाले बयान पर ओमप्रकाश राजभर ने भी अहम संकेत, सियासी सरगर्मी बढ़ी
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BJP प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के गठबंधन वाले बयान पर ओमप्रकाश राजभर ने भी अहम संकेत, सियासी सरगर्मी बढ़ी

BJP प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने निकाय चुनाव और ओम प्रकाश राजभर को लेकर बड़ा बयान दिया, इस पर ओपी राजभर की प्रतिक्रिया आई है. 

BJP प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के गठबंधन वाले बयान पर ओमप्रकाश राजभर ने भी अहम संकेत, सियासी सरगर्मी बढ़ी

मऊ: बीजेपी (BJP) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) के बीच नजदीकियां बढ़ने का एक औऱ संकेत मिला है. स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के गठबंधन वाले बयान और उस पर राजभर की प्रतिक्रिया ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. राजभर ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन करके भी दोबारा जुगलबंदी के संकेत दिए हैं. 

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने ओम प्रकाश राजभर के साथ गठबंधन को लेकर कहा कि हमारे लिए कोई अछूत नहीं हैं. बीजेपी बहुत बड़ा समुद्र है जो हमारे विचारो से सहमत है उसे हम अपने साथ रखेंगे. राजभर हमारे पुराने साथी हैं, हमारे साथ रहे हैं. इस पर ओम प्रकाश राजभर ने जो बयान दिया है, उससे प्रदेश में नये सियासी समीकरण बनने के संकेत मिल रहे हैं. ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के दोस्ती वाले बयान पर कहा है कि मैं वंचितों की बात करता हूं. सही बोलता हूं तो लोग कहते हैं बीजेपी का समर्थन है.

निकाय चुनाव पर बोले भूपेंद्र चौधरी

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि अप्रैल-मई तक प्रदेश में नगर निकाय चुनाव हो सकते हैं. 5 सीटों के विधान परिषद के चुनाव में बीजेपी ने पांच प्रत्याशी घोषित किये हैं. 2019 मे सभी विपक्षी दल गठबंधन मे चले गए थे. हालांकि भाजपा की कुछ सीटें इस चुनाव मे कम हुई थी. 2014 से 2019 मे आठ से नौ प्रतिशत बीजेपी का वोट बढ़ा है.  सोशल मीडिया वार को लेकर कहा की लोकतंत्र मे सबको अपनी बात कहने का हक है लेकिन आराजकता करने की इजाज़त सरकार नही देगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी का आरक्षण किए बगैर निकाय चुनाव कराने के आदेश सरकार को दिए थे. लेकिन सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सरकार की ओर से नियुक्त पैनल को तीन महीने में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर फैसला करना होगा. प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव पिछले साल नवंबर-दिसंबर में होने थे.

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