उत्तराखंड वालों के लिए अच्छी खबर, इस गांव में शुरू हुई आर्गेनिक खेती, अब सब मिलेगा 100% शुद्ध
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उत्तराखंड वालों के लिए अच्छी खबर, इस गांव में शुरू हुई आर्गेनिक खेती, अब सब मिलेगा 100% शुद्ध

केन्द्र सरकार के सहयोग से टिहरी गढवाल के भरवाकाटल गांव में किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया गया. भरवाकाटल गांव में कलस्टर के आधार पर करीब 30 से अधिक किसान खेती कर रहे है.

भरवाकाटल गांव में कलस्टर के आधार पर करीब 30 से अधिक किसान खेती कर रहे है.

देहरादून: रासायनिक और पेस्टीसाईड के लगातार हो रहे इस्तेमाल के बाद बढ़ रही बीमारियों को देखते हुए उत्तराखंड में भी जैविक खेती शुरू हो चुकी है. देहरादून से मात्र 15 किमी की दूरी पर टिहरी गढ़वाल के भरवाकाटल गांव में ऑर्गेनिक खेती शुरू हो चुकी है. अब ये आर्गेनिक विलेज बनता जा रहा है. किसानों को अभी शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हो रही है, लेकिन आर्गेनिक स्टेट बनने की तरफ बढ़ रहे उत्तराखंड के लिए यह अच्छी खबर है.

 

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केन्द्र सरकार के सहयोग से टिहरी गढवाल के भरवाकाटल गांव में किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया गया. भरवाकाटल गांव में कलस्टर के आधार पर करीब 30 से अधिक किसान खेती कर रहे है. यहां धान और गेहूं के अलावा सभी तरह की सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है. किसानों की मानें तो उन्हें आर्गेनिक खेती से अपनी मेहनत का बेहतर दाम मिल रहा है. किसानों ने अपने खेतों के पास कम्पोस्ट खाद के पिट तैयार किए है, जिसमें गोबर, घास से जैविक खाद बनाई जा रही है.

दरअसल, जैविक खेती वह विधि है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशखों का प्रयोग नहीं किया जाता और भूमि की ऊर्वरा शक्ति को बनाए रखने कमोस्ट और हरी खाद का प्रयोग किया जाता है. विश्व में साल 1990 के बाद जैविक खेती शुरू हो चुकी है और भारत में भी तेजी इसका विस्तार हो रहा है. भरवाकाटल गांव में किसानों को जैविक खाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया. 

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किसानों की मानें तो जैविक उत्पादों की उन्हें बाजार से दोगुना दाम मिल जाता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहतर हुई है. इस पूरे इलाके में स्थानीय स्तर पर सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसे स्थानीय स्तर पर एकत्रित कर देहरादून मंडी पहुंचाया जाता है. देहरादून मंडी समिति ने जैविक उत्पाद कर रहे किसानों के लिए कलस्टर सेंटर भी मालदेवता में बनाया है. समिति के सचिव विजय थपलियाल ने कहा कि जल्द ही देहरादून मंडी में जैविक उत्पादों के लिए 4 दुकानों आबंटित कर दी जाएगी.

उत्तराखंड से ट्रेनिंग लेकर सिक्कम देश का पहला जैविक राज्य बन चुका है. लेकिन अभी उत्तराखंड में अपना एक्ट भी नहीं बन पाया है. उत्तराखंड जैविक बोर्ड काफी समय से अस्तित्व में लेकिन बिना एक्ट के जैविक खेती करने में काफी मुश्किलें आ रही है. कई किसानों को जैविक खेती करने में फसलों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.

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