यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सीएम योगी ने अपने महारथियों की एक टीम बनाई है. सीएम ने इन सीटों पर 30 मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है. ताकि इस उपचुनाव में लोकसभा चुनाव की कसर पूरी हो सके.
UP By Election: लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली. जिसके बाद सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए आगामी उपचुनाव में जीतना सबसे बड़ी चुनौती है. जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, उनमें से 5 सीट समाजवादी पार्टी के कब्जे में थी. बाकी की 5 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास 3, निषाद पार्टी और आरएलडी के पास एक-एक सीट थी. इन सभी सीटों को जीतने के लिए सीएम योगी ने 30 मंत्रियों की एक टीम बनाई है और इनकी इन सीटों पर ड्यूटी लगाई है. आइए जानते हैं आखिर कौन हैं योगी के ये महारथी?
मुजफ्फरनगर की मीरापुर जीतना बीजेपी के लिए आसान नहीं है. ये मुस्लिम बाहुल्य सीट जीतने के लिए पार्टी ने कमर कस ली है और मीरापुर से प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) अनिल कुमार और प्रभारी (राज्यमंत्री) सोमेंद्र तोमर, प्रभारी (राज्यमंत्री) के.पी. मलिक को ड्यूटी पर लगा दिया है.
मुरादाबाद की कुंदरकी सीट संभल लोकसभा के अंतर्गत आती है. मुस्लिम बाहुल्य होने की वजह से ये सीट सपा की गढ़ मानी जाती है. ऐसे में 60 फीसदी मुस्लिम बाहुल्य वाली इस सीट को जीतने के लिए बीजेपी ने प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) धर्मपाल सिंह और प्रभारी (राज्यमंत्री) जे.पी.एस. राठौर, प्रभारी (राज्यमंत्री) जसवंत सैनी और प्रभारी (राज्यमंत्री) गुलाब देवी को जिम्मेदारी दी है.
विधानसभा उपचुनाव भी लोकसभा की तरह कांग्रेस-सपा गठबंधन के दल भी मिलकर लड़ेंगे. गाजियाबाद में सपा जाट और दलित समीकरणों पर विचार कर रही है. वहीं बीजेपी अपनी इस सीट को बचाने के लिए प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) सुनील शर्मा और प्रभारी (राज्यमंत्री) बृजेश सिंह, प्रभारी (राज्यमंत्री) कपिलदेव अग्रवाल को काम पर लगाया है.
अलीगढ़ की खैर (एससी) विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी में दावेदारों की होड़ है, लेकिन अभी किसी नाम पर निर्णय नहीं हुआ है. ऐसे में अपनी इस सीट को बचाने के लिए पार्टी ने प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) लक्ष्मीनारायण चौधरी और प्रभारी (राज्यमंत्री) संदीप सिंह को अहम जिम्मेदारी सौंपी है.
उपचुनाव में सबसे चर्चित करहल सीट है. यादव बाहुल्य करहल सीट अखिलेश यादव के सांसद बनने से खाली हुई है. ऐसे में बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने के लिए प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) जयवीर सिंह, प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) योगेंद्र उपाध्याय और प्रभारी (राज्यमंत्री) अजीत पाल सिंह पर भरोसा जताते हुए ड्यूटी पर लगाया है.
कानपुर की सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी के सजायाफ्ता होने से खाली है. ये सपा की मजबूत सीटों में से एक है, लेकिन इस बार उपचुनाव में बीजेपी हर हाल में ये सीट जीतना चाहती है. जिसकी वजह से प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) सुरेश खन्ना और प्रभारी (राज्यमंत्री) नितिन अग्रवाल को नब्ज टटोलने के लिए भेजा है.
फूलपुर विधानसभा सीट से विधायक प्रवीण पटेल सांसद चुने गए हैं. प्रवीण के विधायक पद से इस्तीफे के चलते उपचुनाव होगा और इस उपचुनाव में बीजेपी अपनी ये सीट गंवाना नहीं चाहती. यहीं वजह है कि यहां प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) राकेश सचान और प्रभारी (राज्यमंत्री) दयाशंकर सिंह को पार्टी को जीत दिलाने की ड्यूटी दी है.
करहल विधानसभा के जैसे ही अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा (एससी) सीट पर भी कांटे की टक्कर होगी. लोकसभा चुनाव में अयोध्या में हार का बदला बीजेपी उपचुनाव में लेना चाहती है. जिसकी वजह से यहां जीत दिलाने की जिम्मेदारी पार्टी ने प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) सूर्यप्रताप शाही, प्रभारी (राज्यमंत्री) मयंकेश्वर सिंह, प्रभारी (राज्यमंत्री) गिरीश यादव और प्रभारी (राज्यमंत्री) सतीश शर्मा को सौंपी है.
कटेहरी अंबेडकरनगर की सीट है, सपा यहां से किसी ब्राह्मण या मांझी दावेदार को मौका दे सकती है. उधर, बीजेपी भी ये सीट जीतने के लिए कमर कस चुकी है. जिसकी वजह से पार्टी ने यहां प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) स्वतंत्रदेव सिंह, प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) संजय निषाद और प्रभारी (राज्यमंत्री) दयाशंकर मिश्र को ड्यूटी पर लगाया है.
उपचुनाव के लिए मझवां से निषाद पार्टी अपना उम्मीदवार उतार सकती है. कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कटेहरी और मझवां विधानसभा सीटों पर दावेदारी पेश की है. उधर सपा की तरफ से भी तैयारी तगड़ी है. जिसकी वजह से बीजेपी ने विशेष रणनीति के तहत यहां से प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) अनिल राजभर, प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) आशीष पटेल, प्रभारी (राज्यमंत्री) रविंद्र जायसवाल और प्रभारी (राज्यमंत्री) रामकेश निषाद को जिम्मेदारी सौंपी है.