Mauni Amavasya 2021: उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से हुई फूलों की बारिश
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Mauni Amavasya 2021: उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से हुई फूलों की बारिश

कड़ाके ठंड के बाद भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा, युमना और न दिखाई देने वाली मां सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान कर रहे हैं. कोरोना काल में ये पहला मौका है जब संगमनगरी में एक ही जगह पर इतनी भीड़ जुटी हो. मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है. संगमनगरी में श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से हुई पुष्प वर्षा

Mauni Amavasya 2021: उमड़ा आस्था का सैलाब, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से हुई फूलों की बारिश

प्रयागराज: मौनी अमावस्या (Mauni Amawasya) के स्नान पर्व पर गुरुवार को संगम (Sangam) के घाटों पर श्रद्धालु ब्रह्म मुहुर्त से ही आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. माघ मेले (Magh Mela) का आज तीसरा प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या है. तीर्थनगरी प्रयागराज में माघ मेले के बड़े स्नान पर आए लाखों श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई. प्रदेश सरकार ने हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं पर फूल बरसाए. हर-हर गंगे और हर-हर महादेव के जयकारों के साथ पावन नगरी गुंजायमान हो उठी. सुबह मौसम साफ रहने से संगम तट पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रही. बुधवार की रात से शुरू हुआ श्रद्धालुओं के आने का क्रम दोपहर तक जारी रहा.

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श्रद्धालु लगा रहे आस्था की डुबकी
कड़ाके ठंड के बाद भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा, युमना और न दिखाई देने वाली मां सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान कर रहे हैं. कोरोना काल में गुरुवार को ये पहला मौका है जब संगमनगरी में एक ही जगह पर इतनी भीड़ जुटी हो. मौनी अमावस्या के दिन मौन रहकर पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है. 

त्रिवेणी में संगम करना कई गुना फलदायी
त्रिवेणी में संगम करना कई गुना फलदायी माना गया है. मौन रहकर संयम के साथ किया गया संकल्प ही मौनी अमावस्या का फल देने वाला है. मौनी अमावस्या का पर्व गुरुवार को होने से इसका महत्व और बढ़ गया है. रात 12 बजने के बाद अमावस्या तिथि लगते ही पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगना शुरू हो गईं.

वाराणसी में उमड़ी भीड़
वाराणसी में भी आज गंगा के घाटों पर स्नान के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. इस दौरान गंगा घाटों पर सोशल डिस्टेंसिंग की कमी दिखाई दी. बड़ी संख्‍या में श्रद्धालुओं ने पावन गंगा में डुबकी लगाई. गंगा स्नान से पहले श्रद्धालुओं ने संकल्प लिया, फिर गंगा में डुबकी लगाकर सूर्य को अर्घ्य दिया. वाराणसी के दशाश्वमेध घाट ,अस्सी घाट ,अहिल्याबाई घाट ,राजघाट ,भदैनी ,राणा महल ,दरभंगा ,पांडेय घाट ,रविदास घाट के साथ गंगा के उस पार भी स्नान करने वालों की भारी भीड़ जुटी हुई है. घाटों पर घने कोहरे के बावजूद आस्था में कोई कमी नजर नहीं आ रही.

सरयू नदी में स्नान का विशेष महत्व
मौनी अमावस्या की बेला में सरयू जैसी पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. हर साल की तरह इस साल भी श्रद्धालु भारी तादात में डुबकी लगा रहे हैं.

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क्या है संगम और मौनी अमावस्या की मान्यता?
ऐसी मान्यता है कि संगम तट पर और गंगा पवित्र नदी में देवता वास करते हैं. इससे गंगा स्नान करना ज्यादा फलदायी होता है. इस साल मकर राशि में छह ग्रहों का दुर्लभ संयोग बनने के कारण इसका महत्व को कई गुणा बढ़ गया है. शास्त्रों में मौनी अमावस्या के दिन सुबह से मौन व्रत रखते हुए ध्यान चिंतन आदि करना ज्यादा श्रेयस्कर माना गया है. 

पूरे साल में होती हैं 12 अमावस्या
बता दें कि पूरे साल में 12 अमावस्या होती हैं. इसमें से मौनी अमावस्या का अपना खास महत्व है. इस दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कपड़े, गर्म वस्त्र, कंबल और जूते दान देने का विशेष महत्व है. धर्म शास्त्रों के अनुसार 12 महीनों में माघ मास को अति उत्तम माना गया है. काशी में मौन रहकर गंगा स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. 

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