प्रयागराज में150 साल पुराना अंग्रेजों के जमाने का 'होटल', महाकुंभ में दिखेगी ये शानदार इमारत
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प्रयागराज में150 साल पुराना अंग्रेजों के जमाने का 'होटल', महाकुंभ में दिखेगी ये शानदार इमारत

प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं को 150 साल पुराना ब्रिटिशकालीन होटल भी देखने को मिलेगा, जो आज नगर निगम के दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है. गुड़, दाल और मेथी से बनी इसकी दीवारों को दोबारा मजबूत किया जा रहा है. भवन के जीर्णोद्धार का कार्य प्रयागराज नगर निगम करवा रहा है.

Prayagraj News

Prayagraj News : प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं को 150 साल पुराना ब्रिटिशकालीन होटल भी देखने को मिलेगा, जो आज नगर निगम के दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल हो रहा है. गुड़, दाल और मेथी से बनी इसकी दीवारों को दोबारा मजबूत किया जा रहा है.

भवन के जीर्णोद्धार का कार्य प्रयागराज नगर निगम करवा रहा है. ब्रिटिशकाल में 1865 में यह संगम नगरी में बना सबसे पुराना ‘ग्रेट नॉर्दर्न’ होटल था. बाद में नगर निगम कार्यालय में तब्दील हो गया. इस 150 वर्ष से अधिक पुराने भवन का 9 करोड़ रुपये से जीर्णोद्धार करवाया जा रहा है. महाकुंभ के पर्यटक भी यह ऐतिहासिक भवन देख सकेंगे. नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग का कहना हैं कि यह भवन प्रयागराज की धरोहर है, इसे संरक्षित रखने की पहल नगर निगम ने की है. 

बुद्धिजीवी की बैठकें
इस ऐतिहासिक इमारत में आजादी के पूर्व देश की आजादी में हिस्सा लेने वाले बुद्धजीवी समाज की बैठकें होती थीं. 1930 के दशक में ब्रिटिश सरकार ने इस भवन को प्रशासनिक भवन में तब्दील कर दिया था. प्रयागराज नगर निगम के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सलाहकार सूरज वीएस ने बताया कि दिसंबर 2020 में नगर निगम के भवन में एक कमरे की छत गिर गई थी, जिसके बाद इस पूरे भवन को गिराकर नया भवन बनाने पर विचार किया गया था. इस डेढ़ सौ साल से अधिक पुराने भवन को गिराने से पहले पुरातत्व विभाग से राय ली गई.एएसआई, एमएनआईटी प्रयागराज और आईआईटी मुम्बई से इस भवन के विषय में परामर्श लिया गया. 2020-21 में एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद नगर निगम की इस बिल्डिंग को धरोहर बताते हुए इसका संरक्षण करने की सलाह दी गई. 

गुड़, दाल और मेथी से तैयार दीवार
इस भवन का निर्माण ईको फ्रेंडली चीजों से करवाया गया था, इसलिए अब इसका कायाकल्प इन्हीं चीजों से करवाया जा रहा है. इस भवन में पहले मरम्मत के दौरान जो भी नई चीजें लगाई गई थीं, जैसे सीमेंट का प्लास्टर, फर्श की टाइलें, खिड़कियां-दरवाजें, उन्हें अब हटाया जा रहा है, ताकि भवन को असली स्वरूप में वापस लाया जा सके. इससे भवन का तापमान प्राकृतिक रूप से ठंडा रहेगा और गर्मी में भी एयर कंडीशनर का कम इस्तेमाल किया जाएगा। यह तरीका पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है. मुंबई की सवानी हेरिटेज जीर्णोद्धार का काम कर रही है, जो दिसंबर के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. इसके बाद इस भवन में ‘फसॉड लाइटिंग’ भी लगवाई जाएंगी. महाकुम्भ में आने वाले पर्यटक इस ऐतिहासिक भवन को एक नए कलेवर में देखेंगे. 

प्राचीन सामग्री का इस्तेमाल
सवानी हेरिटेज के जितेश पटेल ने बताया कि नगर निगम के इस पुराने भवन का जीर्णोद्धार प्राचीन सामग्री से किया जा रहा है. मध्य प्रदेश कटनी से चूना और बाकी चीजें अलग-अलग राज्यों से मंगवाई जा रही हैं. सीमेंट बालू की जगह चूना, सुरखी, बालू, बेल गिरि, गुड़, उड़द की दाल, गुगुल और मेथी के मिश्रण से निर्माण सामग्री तैयार की जा रही है. एक समय में इसी बिल्डिंग में प्रयागराज म्यूजियम हुआ करता था.

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