इस प्रोजेक्ट को अगस्त 2021 तक पूर्ण कर जनता को समर्पित करना है. इस वजह से काम में तेजी देखने को मिल रही है. काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट की लागत 800 करोड़ रुपए अनुमानित की गई है.
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वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) का काम लॉकडाउन (Lockdown) के चलते करीब दो महीने तक बंद था. अब इस प्रोजेक्ट का काम फिर से शुरू हो चुका है, अब कॉरिडोर का स्वरूप भी दिखने लगा है. इस दौरान मंदिर प्रशासन पर लगातार यह आरोप लगते रहे हैं कि कॉरिडोर बनाने में कई प्राचीन मंदिरों को तोड़ा गया और मलबा गंगा नदी में गिराया गया.
लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रही है. काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में ऐसे तमाम प्राचीन मंदिर जो लोगों के घरों में कैद थे, अब सामने देखने को मिल रहे हैं. मंदिर प्रशासन उन विग्रहों को संरक्षित करने की बात कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल काशी विश्वनाथ धाम का काम अब तेजी पकड़ चुका है.
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इस प्रोजेक्ट को अगस्त 2021 तक पूर्ण कर जनता को समर्पित करना है. इस वजह से काम में तेजी देखने को मिल रही है. काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट की लागत 800 करोड़ रुपए अनुमानित की गई है. काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्टर 5000 स्क्वायर फीट में बनकर तैयार हो रहा है.
मंदिर के कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने बताया कि परिवर्तन बड़ा है, लोगों को इसमें ढलने में थोड़ा वक्त लगेगा. उन्होंने कहा, ''पहले एक बड़ी अफवाह उड़ाई गई कि मलबा गंगा में फेंका जा रहा है. लेकिन आप देख सकते हैं, मलबा कहीं नहीं फेंका जा रहा. उसी प्रकार मंदिरों को नष्ट करने की बात कही गई, हम इन प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रहे हैं.''
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काशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य की जिम्मेदारी पीएसपी कंपनी के पास है. पीएसपी के इंजीनियर और मजदूर दिन रात कार्य को पूर्ण करने में जुटे हैं. पीएसपी प्रोजेक्ट लिमिटेड की ओर से इस समय कुल 155 मजदूर, 5 इंजीनियर काम पर लगाए गए हैं. साथ ही लोक निर्माण विभाग की ओर से चार अधिकारी मानकों का पालन कराने व कार्य की गुणवत्ता को परखने के लिए लगाए गए हैं.
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