पुलवामा हमलाः बेटे की शहादत पर छलका मां का दर्द, 'अभी तो नई साड़ी देकर गया था, मैं कैसे जियूंगी'
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पुलवामा हमलाः बेटे की शहादत पर छलका मां का दर्द, 'अभी तो नई साड़ी देकर गया था, मैं कैसे जियूंगी'

कौशल कुमार रावत की शहादत की खबर सुनने के बाद उनके पैतृक घर में मातम फैला हुआ है. वृद्ध मां और पिता का रो-रोकर बुरा हाल है. 

कौशल की मां का कहना है कि वह तीन दिन पहले ही छुट्टियां खत्म होने के बाद ड्यूटी पर गए थे.

आगरा: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में अब तक 44 जवानों के शहीद होने की पुष्टि हुई है. इन शहीदों में आगरा का लाल कौशल कुमार रावत भी शहीद हो गया है. कौशल कुमार रावत की शहादत की खबर सुनने के बाद उनके पैतृक घर में मातम फैला हुआ है. वृद्ध मां और पिता का रो-रोकर बुरा हाल है. 

कुछ ही दिनों पहले तो नई साड़ी लाया था.
कौशल की मां का कहना है कि वह तीन दिन पहले ही छुट्टियां खत्म होने के बाद ड्यूटी पर गए थे. कौशल की मां का कहना है कि वह कुछ ही दिनों पहले तो गांव आया था, नई साड़ी भी लाया था, अब मैं उसके बिना कैसे जियूंगी.

1991 में सीआरपीएफ में हुए थे शामिल
शहीद कौशल कुमार रावत थाना ताजगंज कहरई गांव के निवासी थे. 47 वर्षीय कौशल कुमार रावत 1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे. उनके दो बेटे और एक बेटी अपूर्वा रावत है. जनवरी के अंत में कौशल का तबादला सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) से जम्मू कश्मीर हुआ था. वह ट्रांसफर के बाद 15 दिन की छुट्टी काटकर गुड़गांव से 12 फरवरी को नई ज्वानिंग के लिए रवाना हुए थे. 

कुछ ही देर पहले हुई थी भाई से बात
शहीद के भाई कमल किशोर ने बताया कि बुधवार शाम को उसकी बात भाई कौशल कुमार रावत से हुई थी, तब उन्होंने कहा था कि मैं रास्ते में हूं अभी अपने ज्वाइंन प्वाइंट पर नहीं पहुंचा हूं. क्योंकि आगे बर्फबारी हो रही है इसलिए गाड़ियों को रोक दिया है वैसे सब ठीक-ठाक है. गुरुवार शाम 7:30 उन्हें भाई कौशल कुमार रावत की शहादत की खबर मिली. 

परिवार के 20 लोग कर चुके हैं देश की सेवा
शहीद कौशल के परिवार के 20 लोग सीआरपीएफ और सेना में रहे है. गांव वालों को देश का बेटा जाने का जहां दुख है वही वो गौरव भी महसूस कर रहे है कि उनके गांव में ऐसे वीर शहीद ने जन्म लिया.

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