Aaj ka Panchang 30 October 2023: सोमवार, 30 अक्तूबर 2023 को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि है. इस तिथि पर चंद्रमा मेष राशि में मौजूद होंगे. आइये जानते हैं आज का पंचाग...
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Aaj ka Panchang 30 October 2023: हिंदू कैलेंडर में पंचांग एक जरूरी हिस्सा होता है. यह महीने की तीस तिथियों और पांच अंगों (वार, योग, तिथि, नक्षत्र और करण) से मिलकर बनता है. दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में हर प्रकार की जानकारी प्रदान करता है. आइये जानते हैं 30 अक्टूबर 2023 का पंचाग...
Today Panchang: सोमवार, 30 अक्तूबर 2023 को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि है। इस तिथि पर चंद्रमा मेष राशि में मौजूद होंगे.
पंचांग 30 अक्टूबर 2023
विक्रम संवत -2080, अनला.
शक सम्वत - 1945, शोभकृत.
पूर्णिमांत - कार्तिक.
अमांत - आश्विन.
वार- सोमवार
सूर्योदय- सुबह 6:30 एएम.
सूर्यास्त- शाम 5:37 पीएम.
30 अक्टूबर 2023 का शुभ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि
30 अक्टूबर-रात 10 बजकर 23 मिनट तक
व्यतिपात योग
30 अक्टूबर- शाम 5 बजकर 32 मिनट तक
कृत्तिका नक्षत्र
30 अक्टूबर को पूरा दिन पार कर भोर 4 बजकर 1 मिनट तक
राहु मीन राशि में और केतु कन्या राशि में प्रवेश
30 अक्टूबर- शाम 4 बजकर 49 मिनट पर
अभिजीत मुहूर्त
11:42 से 12:26 तक
राहुकाल- 07:57 से 09:19 मिनट तक रहेगा. चंद्रमा मेष राशि में मौजूद रहेंगे।
राहुकाल का समय
दिल्ली- सुबह 07:54 से सुबह 09:17 तक
मुंबई- सुबह 08:03 से सुबह 09:30 तक
लखनऊ- सुबह 07:38 से सुबह 09:02 तक
भोपाल- सुबह 07:48 से सुबह 09:13 तक
अहमदाबाद- सुबह 08:07 से सुबह 09:32 तक
चन्द्र मास
अमांत - आश्विन
पूर्णिमांत - कार्तिक
शक संवत (राष्ट्रीय कलैण्डर) - कार्तिक 8, 1945
वैदिक ऋतु - शरद
द्रिक ऋतु - हेमंत
ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से किसी महीने में 31 और किसी महीने में 1 दिन होते हैं. अगर हम हिंदू कैलेंडर की बात करें तो उसके हिसाब से हर माह में 1 दिन ही होते हैं, जिन्हें तिथि कहा जाता है. ये तिथियां दो पक्षों में होती हैं. इनमें से एक पक्ष को शुक्ल और एक पक्ष को कृष्ण कहा जाता है. ये 15-15 दिन के होते हैं. हिंदू कैलेंडर के हिसाब से इन तिथियों को प्रतिप्रदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और एक पक्ष की आखिरी तिथि को अमावस्या और दूसरे पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है. इन्हीं सब के आधार पर पंचांग बनता है.
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