Dussehra 2024: 11 या 12 अक्टूबर कब है दशहरा? नोट करें विजयदशमी की डेट और रावण दहन का शुभ मुहूर्त
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Dussehra 2024: 11 या 12 अक्टूबर कब है दशहरा? नोट करें विजयदशमी की डेट और रावण दहन का शुभ मुहूर्त

Dussehra 2024 Shubh Muhurat: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा यानी विजयादशमी मनाई जाती है.  इस दिन श्री राम ने रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया था. आइए जानते हैं दशहरा कब है और रावण दहन का शुभ मुहूर्त के बारे में..

Dussehra 2024

Dussehra 2024 Date: हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर दशहरा का पर्व मनाया जाता है.  यह त्योहार असत्य पर सत्य और पाप पर पुण्य की जीत के रूप में मनाया जाता है.  इस खास अवसर पर देशभर में कुंभकरण, रावण और मेघनाथ के पुतले दहन (Dussehra 2024 Ravana Dahan) किया जाता है.  धर्म शास्त्रों के अनुसार,  विजयादशमी के दिन ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त की थी. वहीं, विजयदशमी के दिन शमी और अपराजिता पौधों की पूजा करने की भी परंपरा है, जिन्हें शुभ माना जाता है.  यह पर्व वर्षा ऋतु के अंत और शरद ऋतु के प्रारंभ का भी संकेत देता है. दशहरा के दिन मां दुर्गा की मूर्ति और कलश के विसर्जन के साथ रावण के पुतले का भी दहन होता है।

दशहरा का पर्व कब?
12 अक्टूबर 2024
बंगाल में दशहरा का पर्व इस साल 13 अक्टूबर 2024 यानी रविवार को मनाया जाएगा.

दशहरा मनाने का शुभ मुहूर्त 
दशमी तिथि आरंभ
12 अक्टूबर 2024 प्रातः 10 बजकर 58 मिनट पर 
दशमी तिथि समाप्त
13 अक्टूबर 2024, प्रातः 09 बजकर 08 मिनट पर 

विजयादशमी पूजा का शुभ मुहूर्त 
दोपहर 2 बजकर 2 मिनट से दोपहर 2 बजकर 48 मिनट तक ( इसकी कुल अवधि लगभग 46 मिनट)

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विजयादशमी पूजा विधि 
ज्योतिष पंचांग के मुताबिक दशहरा की पूजा दोपहर के समय करना शुभ रहता है. इस दिन घर के ईशान कोण में 8 कमल की पंखुड़ियों से अष्टदल चक्र बनाएं.  अष्टदल के बीच में अपराजिताय नमः: मंत्र का जप करें और मां दुर्गा के साथ भगवान राम की पूजा करें. अब रोली, अक्षत, फूल आदि पूजा की सामग्री चढ़ाएं और भोग लगाएं. माता की आरती भी करें और जयकारे भी लगाएं.अगर बहीखाते या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो पूजा स्थल पर इन चीजों को भी रख दें और इन पर भी रोली व अक्षत लगाएं. अपनी स्थिति अनुसार दान-दक्षिणा दें और गरीबों व अवश्य को भोजन अवश्य कराएं.

दशहरा महत्व
विजयदशमी, असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व है. इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध करके बुराई का अंत किया था. यह पर्व हमें सिखाता है कि चाहे जीवन में कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, अंत में सच्चाई की ही जीत होती है.  धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस को मारकर धरती को उसके आतंक से मुक्त किया था. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं,वास्तुशास्त्र पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता हइसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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