Mantra On Ekadashi: मोहिनी एकादशी पर 11 विष्णु जी के इन विशेष मंत्रों का करें जाप, मिलेगा शुभ फल
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2217800

Mantra On Ekadashi: मोहिनी एकादशी पर 11 विष्णु जी के इन विशेष मंत्रों का करें जाप, मिलेगा शुभ फल

mantra on ekadashi 2024: एकादशी तिथि पर श्री विष्‍णु के मंत्रों का जाप करना अति शुभ फलदायी माना जाता है. श्रीहरि विष्‍णु के विविध और सरल मंत्रों का जाप कर लाभ लिया जा सकता है. (Mohini Ekadashi 2024 Date Time and Shubh Muhurat)

Mohini Ekadashi 2024

Ekadashi 2024 May Date: जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु (Lord Vishnu) का एकादशी तिथि पर स्मरण करना और उनके मंत्रों का जाप करना जीवन के सभी संकटों को दूर करता है. हर एकादशी का शुभफल पाने और धन-वैभव, सुख-ऐश्वर्य व अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति इच्छा रखने वालों के लिए इस साल का मोहिनी एकादशी अति शुभ होने वाला है. (2024 Mohini Ekadashi Vrat)

मोहिनी एकादशी 2024 डेट Ekadashi Vrat 2024 Date
साल 2024 में सोमवार, मई महीने के पहले दिन मोहिनी एकादशी मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार, मोहिनी एकादशी तिथि 18 मई 2024 को सुबह के 11 बजकर 22 मिनट से शुरू हो रही है, 19 मई को दोपहर के 01 बजकर 50 मिनट पर इसका समापन हो रहा है. मोहिनी एकादशी का व्रत उदया तिथि में 19 मई को रखा जाएगा. 

मोहिनी एकादशी | Mohini Ekadashi on 19 May 2024 (Sunday)
मोहिनी एकादशी पर अगर जातक भगवान विष्णु का ध्यान करे और कुछ विशेष मंत्रों का जाप करे तो वर्षभर की सभी एकादशी का उसे फल प्राप्त हो सकता है. वैसे तो एकादशी तिथि पर भक्त भगवान श्री विष्‍णु के मंत्र इस मंत्र का जाप करे तो अति लाभ होगा- 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' . लेकिन और भी कई मंत्रों का जाप किया जा सकता है. 

1. ॐ विष्णवे नमः।

2. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।

3. ॐ हूं विष्णवे नमः।

4. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय ।।

5. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।

6. ॐ अ: अनिरुद्धाय नमः।

7. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

8. ॐ भूरिदा भूरि देहिनी, मा दर्भ भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्यसि । ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतः पुरुत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

9. ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायें धीमहि। तन्नी वृन्दा प्रचोदयात् ।।

10. ॐ नारायणाय नमः।

11. दन्ताभये चक्र दरो दधान, कराग्रेगस्वर्णघट त्रिनेत्रम्। धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया, लक्ष्मी गणेश

कनका भमीडे ।।

Trending news