Gudi Padwa 2024 : गुड़ी पड़वा को सृजन का त्योहार कहा जाता है. इस दिन किए जाने वाला शुभ कार्य समृद्धि के रास्ते खोलता है. आइए जानते हैं 2024 में कब है गुड़ी पड़वा का त्योहार.
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Gudi Padwa 2024 : हिंदूओं में गुड़ी पड़वा त्योहार की विशेष मान्यता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक गुड़ी पड़वा का दिन सृष्टि की रचना हुई थी. ऐसी मान्यता है कि इस दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का सृजन किया था. इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा का विशेष महत्व है. एक अन्य मान्यता है कि इस दिन ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को युद्ध में परास्त किया था. इसलिए कहा जाता है कि गुड़ी पड़वा के दिन बुराइयों का अंत होता है. जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
गुड़ी पड़वा शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ : अप्रैल 8, 2024 को 11:50 AM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त : अप्रैल 9, 2024 को 08:30 PM बजे
गुड़ी पड़वा पूजा विधि
गुड़ी पड़वा के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि किया जाता है.
2. इसके बाद मुख्यद्वार को आम के पत्तों से सजाया जाता है.
3. इसके बाद घर के एक हिस्से में गुड़ी लगाई जाती है. इसे आम के पत्तों, पुष्प और कपड़े आदि से सजाया जाता है.
4. इसके बाद भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है और गुड़ी फहराते हैं.
5. गुड़ी फहराने के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है.
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गुड़ी पड़वा के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं. एक-दूसरे के घर पहुंचते हैं, उन्हें मिठाई खिलाते हैं. इस पर्व में पूरन पोली और श्रीखंड मनाया जाता है. मीठे चावल भी बनाएं जाते हैं. जिसे शक्कर-भात भी कहा जाता है
पौराणिक कथाओं के मुताबिक गुड़ी पड़वा का दिन सृष्टि की रचना के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन ही भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था. इसलिए इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा का विशेष महत्व है. एक अन्य मान्यता है कि इस दिन ही छत्रपति शिवाजी महाराज ने विदेशी घुसपैठियों को युद्ध में पराजित किया था. कहते हैं कि गुड़ी पड़वा के दिन बुराइयों का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
कब शुरू होता है हिंदू नव वर्ष
हिंदी नव वर्ष जिसे प्रायः हिंदू नव वर्ष या भारतीय नव वर्ष भी कहते हैं, ये प्रायः दो कैलेंडर के रूप में प्रचलित हैं. एक शक संवत और दूसरा विक्रमी संवत, हालांकि दोनों के साल की शुरुआत एक ही दिन और महीने से होती है. शक संवत ग्रेगोरियन कैलेंडर से करीब 78 साल नया है और विक्रमी संवत कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 साल पुराना है. इसलिए अंग्रेजी साल में 57 जोड़कर विक्रमी संवत की संख्या निकालते हैं और 78 घटाकर शक संवत की संख्या निकालते हैं.