Shankha Importance: सनातन धर्म में शंख की ध्वनि बेहद शुभ मानी गई है. शंख आध्यात्मिक का प्रतीक है. हर शुभ कार्य में शंख बजाया जाता है. सनातन धर्म में शंख लंबे समय से सनातन धर्म में अनुष्ठानों का हिस्सा रहा है.
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Shankha Importance: समुद्र मंथन के दौरान निकले नवरत्नों में से एक शंख का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. इसलिए ऐसा कहा जाता है कि जहां शंख होता है वहां महालक्ष्मी का वास होता है. शंख को आसपास के वातावरण को शुद्ध करने के साधन के रूप में देखा जाता है जिससे यह धार्मिक कार्यों के लिए अनुकूल हो जाता है. इसकी गूंजती आवाज परमात्मा के आह्वान के समान मानी जाती है. शंख की ध्वनि पूजा की शुरुआत का प्रतीक है. हिंदू धर्म में शंख कई तरह के होते हैं. जिसमें दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं . शंख, शुभ चीज का संकेत होने के अलावा और भी बहुत सारे अर्थ हैं, तो आइए शंख के बारे में...
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शंखनाद से बनी रहती है बरकत
ऐसा माना जाता है कि कुछ घरों में, परिवार के सदस्य रोड सुबह सूर्योदय से पहले या उसके बाद शंखनाद करते हैं तो इससे घर में सदैव बरकत बनी रहती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा में शंख का इस्तेमाल करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. हिंदू धर्म में पूजा के दौरान शंख बजाना शुभ माना गया है. खासतौर पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय शंख जरूर बजाएं. इसकी ध्वनि से घर में पॉजिटिविटी आती है और निगेटिविटी दूर होती है.
शंख से जुड़ी कुछ बातें
शंख लंबे समय से सनातन धर्म में अनुष्ठानों का हिस्सा रहा . शंख का इतिहास पौराणिक कथाओं के साथ प्राचीन ग्रंथों से भी जुड़ा हुआ है. भगवान विष्णु और श्री कृष्ण भी सदैव शंख को अपने हाथ में धारण करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण महाभारत युद्ध की शुरुआत से पहले शंख बजाते थे. इतिहास में शंख का उपयोग युद्धों की शुरुआत की घोषणा करने के लिए किया जाता था. पौराणिक कथाओं के अनुसार शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. इसे माता लक्ष्मी (मां लक्ष्मी मंत्र) का भाई भी कहा जाता है.
धार्मिक महत्व
हमारे पूर्वजों और पवित्र ग्रंथों के अनुसार, शंख बजाने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसकी पवित्रता और सकारात्मकता है. ऐसा कहा जाता है कि शंख से उत्पन्न ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती है. इसकी ध्वनि आसपास के वातावरण को शुद्ध करती है जिससे यह धार्मिक कार्यों के लिए अनुकूल हो जाता है. सनातन धर्म में किसी पूजा और आरती समारोह की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए शंख बजाया जाता है. यह प्रथा मंदिरों और कुछ भारतीय घरों में आज भी जारी है.
कब और कितनी बार बजाएं शंख?
हिंदू धर्म मान्यता के अनुसार अक्सर ईश्वर की पूजा और मंगल कार्य में शंख बजाया जाता है. शंख को हमेशा प्रात:काल और संध्याकाल में पूजा के दौरान जरूर बजाना चाहिए. इसके अलावा अन्य प्रहर में शंख को अकारण नहीं बजाना चाहिए.
Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.