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Shaniwar ke Upay: आज पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है. आज दिन शनिवार है. हिंदू धर्म में यह दिन न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव को समर्पित होता है. शनिदेव भगवान सूर्य और छाया के पुत्र हैं. कहा जाता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं. शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है. मान्यता है कि जिसपर शनिदेव की कृपा होती है, उसके जीवन में कुछ अमंगल नहीं होता. शनिवार को शनिदेव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. शनि भगवान की पूजा के दौरान शनि चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए. इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के दुखों का नाश करते हैं.
॥ शनिदेव की आरती ॥
जय जय श्री शनिदेवभक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभुछाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
श्याम अंग वक्र-दृष्टिचतुर्भुजा धारी।
निलाम्बर धार नाथगज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
क्रीट मुकुट शीश सहजदिपत है लिलारी।
मुक्तन की माल गलेशोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
मोदक और मिष्ठान चढ़े,चढ़ती पान सुपारी।
लोहा, तिल, तेल, उड़दमहिषी है अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
देव दनुज ऋषि मुनिसुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हमहैं शरण तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
इन मंत्रों का करें जाप
1. शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
2. सामान्य मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
3. शनि महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
4. शनि का पौराणिक मंत्र
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
5. शनि का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
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