कैंसर पीड़ित स्वास्थ्य कर्मी बना स्वास्थ्य विभाग के लिए मिसाल, अपना दर्द भुलाकर कर रहे लोगों की मदद
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कैंसर पीड़ित स्वास्थ्य कर्मी बना स्वास्थ्य विभाग के लिए मिसाल, अपना दर्द भुलाकर कर रहे लोगों की मदद

संभल में कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने कैंसर पीड़ित स्वास्थ्य कर्मी मनोज पाठक और उनकी पत्नी हेमा पाठक चंदौसी में सयुंक्त चिकित्सालय में फार्मेसिस्ट के पद पर तैनात हैं. 

कैंसर पीड़ित स्वास्थ्य कर्मी बना स्वास्थ्य विभाग के लिए मिसाल, अपना दर्द भुलाकर कर रहे लोगों की मदद

सुनील सिंह /संभल: कोरोना महामारी से जंग में अपना योगदान दे रहे स्वास्थ्य कर्मियों को पूरा देश सलाम कर रहा है. संभल जिले में एक ऐसे ही कोरोना वॉरियर्स स्वास्थ्य कर्मी अपने बेमिसाल जज्बे से स्वास्थ्य विभाग के लिए मिसाल बन गए हैं.  

संभल में कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने कैंसर पीड़ित स्वास्थ्य कर्मी मनोज पाठक और उनकी पत्नी हेमा पाठक चंदौसी में संयुक्त चिकित्सालय में फार्मेसिस्ट के पद पर तैनात हैं. स्वास्थ्य कर्मी मोहन पाठक पिछले 6 वर्षों से मुंह के कैंसर की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. कैंसर के इलाज के लिए मोहनपाठक  के अब तक 5 ऑपरेशन हो चुके हैं. 

ऑपरेशन के दौरान उनके मुंह का पूरा जबड़ा निकाला जा चुका है.  जिसकी वजह वह पिछले 6 सालों से सिर्फ तरल पदार्थ ही ले रहे हैं. इन तमाम गंभीर समस्याओं से जूझने के बावजूद वह अपनी ड्यूटी के फर्ज को जिंदादिली के साथ निभा रहे हैं. पिछले साल 23 मार्च से देश को करोना महामारी की पहली लहर  शुरू होने के बाद से दूसरी लहर में भी अस्पताल में आने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज की जिम्मेदारियां निभा रहे हैं. कोरोना वॉरियर्स के लिए प्रेरणा बने स्वास्थ्य कर्मी मोहन पाठक गर्व से कहते हैं, 'जब तक जान है ,जहान के लिए अपने फर्ज से पीछे नहीं हटेंगे.'

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खास बात यह है कि कैंसर पीड़ित स्वास्थ्य कर्मी की पत्नी हेमा पाठक भी सयुंक्त चिकित्सालय में फार्मेसिस्ट के पद पर तैनात हैं. वहा भी अपने पति का हौसला बनकर उनके साथ कंधे से कन्धा मिला कर कोरोना को हराने के लिए लड़ी जा रही जंग में साथ दे रही हैं. हेमा पाठक कहती हैं कि उन्हें अपने पति पर गर्व है जो अपनी गंभीर बीमारी की पीड़ा को भूलकर डयूटी के फर्ज को निभाकर कोरोना से जंग में अपना योगदान दे रहे है.

हालंकि, कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते खुद को भी सुरक्षित रखना बड़ी जिम्मेदारी है. इसके लिए वह पति के खाने -पीने ,और दवाइयों का पूरा ध्यान रखती हैं. कोरोना महामारी से लोगों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की जंग को एक साल से अधिक हो चुका है. लेकिन लगातार ड्यूटी कर अपना फर्ज निभा रहे  रहे स्वास्थ्य कर्मी मोहन पाठक और उनकी पत्नी हेमा पाठक के होंसले में जरा भी कमी नहीं आई है. 

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