कभी चखा है बहराइच के बरसोला का स्वाद?, सिर्फ शक्कर से बनती है ये मिठाई, इसे खाने से नहीं लगती लू
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand965407

कभी चखा है बहराइच के बरसोला का स्वाद?, सिर्फ शक्कर से बनती है ये मिठाई, इसे खाने से नहीं लगती लू

 आज हम आपको ऐसी मिठाई के बारे बताएंगे जो प्योर चीनी से बनी हुई होती है. चीनी से बने होने के बाद भी ये मिठाई कई रोगों का इलाज भी है. इसके सेवन से अनेक रोगों में लाभ पहुंचाता है. जी हां हम बात कर रहे हैं बरसोले की.

कभी चखा है बहराइच के बरसोला का स्वाद?, सिर्फ शक्कर से बनती है ये मिठाई, इसे खाने से नहीं लगती लू

बहराइच: आज हम आपको ऐसी मिठाई के बारे बताएंगे जो प्योर चीनी से बनी हुई होती है. चीनी से बने होने के बाद भी ये मिठाई कई रोगों का इलाज भी है. इसके सेवन से अनेक रोगों में लाभ पहुंचाता है. जी हां हम बात कर रहे हैं बरसोले की. ये बहराइच की मशहूर मिठाई है, यहां का बरसोला काफी दूर-दूर तक फेमस है. 

नहीं लगती गर्मी में लू
गर्मी के दिनों में यह मिठाई रामबाण की तरह काम करती है. लोगों का कहना है कि गर्मी के दिनों में बरसोले का एक टुकड़ा खाकर पानी पीने के बाद घर से निकलें तो लू नहीं लगती. इसके अलावा एसिडिटी की परेशानी भी नहीं होती है. वहीं, अन्य रोगों को दूर करने में भी यह काफी मदद करता है.

मुगल बादशाह के बेटे की इस 'दाल चाट' को खाएंगे तो स्वाद के दीवाने हो जाएंगे

ऐसे तैयार होती है मिठाई
बरसोला बनाने के लिए सिर्फ शक्कर का इस्तेमाल किया जाता है. इसे शुद्ध चीनी में पानी मिलाया जाता है. फिर उसको आग पर काफी देर तक पकाया जाता है. इस चाशनी को तैयार करने में करीब दो घंटे का समय लगता है. जब मिश्रण गाढ़ा हो जाता है तो उसे अच्छी तरह से फेंटा जाता है. फेंटने से ही इसमें औषधिय गुण उत्पन्न होते हैं.  इसके बाद बड़े-बड़े गोले बना लिए जाते हैं. इन्हीं गोलों को बरसोले कहा जाता है.

उत्तराखंड का जायका: कभी खाए हैं ‘जखिया’ तड़के के साथ आलू के गुटके, कुमाऊं का ऐसा स्वाद जो हमेशा रहेगा याद

सिर्फ बहराइच में ही बनती है ये मिठाई
ये मिठाई सिर्फ बहराइच में ही बनती है और यहीं से दूसरे शहरों में भेजी जाती है. यूं तो अब बरसोला अन्य जिलों में भी बेचा जाने लगा है. पर ऐसा कहा जाता है कि यहां के इलाके के पानी में ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो चीनी के अवगुणों को दूर कर इसके अंदर औषधीय गुण उत्पन्न कर देते हैं. 

इगलास की मशहूर 'चमचम' के स्वाद के आगे फीके सब पकवान, आजादी से पहले शुरू हुई थी दुकान

दो तरह का होता है बरसोला
पहला सादा बरसोला होता है और दूसरा खुशबूदार होता है. जिसमें इलायची, सौंफ भी डाला जाता है. लोग अपनी पंसद के अनुसार ऑर्डर देकर भी बनवाते हैं.

बिहारी जी के इस मंदिर में लगता है मिट्टी के पेड़े का भोग, यहां मां यशोदा ने किए थे ब्रह्मांड के दर्शन

वजन एक किलो से लेकर 3 किलो तक
बरसोले की सबसे बड़ी खास बात है कि बहराइच में बनने वाले बरसोले का वजन एक किलो से  लेकर 3 किलो तक का होता है. जो देखने में काफी वजनदार लगता है लेकिन खाने में बड़ा घुलनशील होता है. यहां के लोग गर्मी के मौसम में इसे खाकर पानी पीने में इस्तेमाल करते हैं.

क्या है इतिहास?
बरसोले बनाने और इसके इतिहास के बारे में पूरा वर्णन नहीं मिलता है. यहां के लोगों का कहना है कि मेले की परंपरा जैसे-जैसे आगे बढ़ी, तभी से बरसोले का प्रयोग होता चला आ रहा है. बरसोले के बारे में कहा जाता है कि ये इतना घुलनशील होता है कि यदि इससे भरे बोरे में 100 ग्राम भी पानी डाल दिया जाए तो पूरा बोरा बह जाता है. 

‘बाल मिठाई’ को देखकर मुंह में आ जाता है पानी, अंग्रेज भी करते थे पसंद, जानिए इसका इतिहास!

भारत का नहीं है हर दिल अजीज 'समोसा', जानें India पहुंचने का रोचक इतिहास

WATCH LIVE TV

Trending news