Farmers Protest: आज के चक्का जाम के पीछे क्या है वजह, किसे छूट, किसे परेशानी? जानिए सबकुछ
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Farmers Protest: आज के चक्का जाम के पीछे क्या है वजह, किसे छूट, किसे परेशानी? जानिए सबकुछ

आज होने वाले चक्काजाम में 40 किसान संगठनों शामिल होंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने ये चक्काजाम बुलाया है. शनिवार दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्काजाम रहेगा. इस दौरान गाड़ियों को चलने नहीं दिया जाएगा. 

फोटो- ANI

नई दिल्ली: अब से कुछ ही देर में किसानों का चक्का जाम शुरू होने वाला है. कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने यह चक्का जाम बुलाया है. दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड को छोड़कर पूरे देश में चक्काजाम करेंगे. दोपहर 12 से 3 के बीच होने वाले इस चक्काजाम के दौरान एंबुलेंस और स्कूल बस जैसी जरूरी सर्विसेस को छूट रहेगी. इस चक्का जाम की तैयारी जहां किसानों ने की है, वहीं किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पुलिस बल भी तैनात है. 

कितने संगठन करेंगे चक्का जाम
आज होने वाले चक्काजाम में 40 किसान संगठनों शामिल होंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने ये चक्काजाम बुलाया है. शनिवार दोपहर 12 से 3 बजे तक चक्काजाम रहेगा. इस दौरान गाड़ियों को चलने नहीं दिया जाएगा. सभी नेशनल और स्टेट हाइवे को जाम किया जाएगा. जबकि एम्बुलेंस और जरूरी सेवाओं में लगे वाहनों को इसमें छूट दी जाएगी.

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क्यों बुलाया गया देशव्यापी चक्काजाम?
सरकार द्वारा पेश किए बजट में किसानों की मांग की अनदेखी करने और दिल्ली की सीमा पर हो रहे आंदोलन की जगहों पर इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ ये चक्काजाम बुलाया गया है. किसान संगठनों की मानें तो 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के बाद से कई किसानों के ट्रैक्टर जब्त कर लिए गए. कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. दिल्‍ली बॉर्डर के आसपास की जगहों को पूरी तरह ब्लॉक किया जा रहा है. इन सबके खिलाफ किसान संगठन मुखर होकर ऐसा कर रहे हैं.

किसान क्यों कर रहे हैं ऐसा?
भारतीय किसान यूनियन राकेश टिकैत ने इस आंदोलन को एक नया आयाम दिया है. उन्हीं के आव्हान पर पूरे देश में आज चक्का जाम किया जाएगा. 12 से 3 बजे तक चलने वाले चक्काजाम के दौरान जिन गाड़ियों को रोका जाएगा, उन्हें खाना और पानी दिया जाएगा. साथ ही बताया जाएगा कि सरकार उनके साथ क्या कर रही है. इस दौरान इमरजेंसी और जरूरी सर्विसेस जैसे एम्बुलेंस, स्कूल बस आदि को न रोकने का फैसला किसान संगठनों ने लिया है. कहा ये भी जा रहा है कि दोपहर 3 बजे चक्‍काजाम खत्‍म होने के बाद एक साथ एक मिनट तक किसान गाड़ियों के हॉर्न बजाकर विरोध जताएंगे.

दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस मुस्तैद
यह चक्का जाम 26 जनवरी जैसा न हो जाए, इसे लेकर दिल्ली की सीमा पर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. सुरक्षा चाक-चौबंद करने के क्रम में अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है और कई लेयर में बैरिकेडिंग, कंटीले तार और सड़कों पर नुकीली कीलें गाड़ी गई हैं. दिल्ली पुलिस के आयुक्त ने भी वरिष्ठ अधिकारियों संग बैठक कर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की. गाजीपुर बॉर्डर पर यूपी पुलिस के जवान भी तैनात हैं. हरियाणा पुलिस ने भी सुरक्षा इंतजाम कड़े कर दिए हैं. दिल्ली की तीनों बॉर्डर पर सख्त पहरा लगाया गया है.

किन मांगों को लेकर अड़े हैं किसान?
किसान संगठन अपनी 4 मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. हालांकि सरकार ने कुछ मांगे मान ली थीं, फिर 72 दिन से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर अपनी इन चार मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. 

1. किसानों की पहली मांग खेती से जुड़े तीनों कानून रद्द कराने की है. उनका मानना है कि इन कानूनों से सिर्फ कॉर्पोरेट घरानों को फायदा होगा और किसानों नुकसान.
क्या कहना है सरकार का- सरकार ने सीधे कहा है कि वह कानून वापस नहीं लेगी, हां संशोधन को लेकर सरकार ने अपना रुख नरम रखा है.

2. किसानों ने कहा कि MSP का कानून बने, ताकि उचित दाम मिल सके.
क्या कहना है सरकार का- इस पर सरकार ने कहा है कि अगर किसान आंदोलन खत्म करने को तैयार हो जाएं तो MSP का आश्वासन दे सकते हैं.

3. किसानों की मांग है कि सरकार नया बिजली कानून न लाए, क्योंकि इससे किसानों को बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी.

क्या कहना है सरकार का- सरकार ने किसानों की इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया है. बिजली कानून 2003 ही लागू रहेगा, लेकिन नया कानून नहीं आएगा.

4. किसानों ने पराली जलाने पर 5 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपए जुर्माने वाला प्रस्ताव वापस लेने की मांग है. 
क्या कहना है सरकार का- इस पर सरकार ने स्पष्ट आश्वासन दिया है कि पराली जलाने पर किसी किसान को जेल नहीं होगी. सरकार इस प्रावधान को हटाने को भी राजी है.

क्या हैं तीनों कानून, जिनका हो रहा विरोध?
1. फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्टः किसान सरकारी मंडियों (APMC) से बाहर फसल बेच सकते हैं. ऐसी खरीद-फरोख्त पर टैक्स नहीं लगेगा.

2. फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस एक्टः किसान कॉन्ट्रैक्ट के तहत पहले से तय एक दाम पर अपनी फसल बेच सकते हैं.

3. एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) एक्टः अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से बाहर कर दिया है. केवल युद्ध, भुखमरी, प्राकृतिक आपदा या बेहद महंगाई होने पर स्टॉक सीमा तय होगी.

ट्विटर पर ट्रेड हो रहा है 'चक्का जान नहीं होगा'
किसानों के चक्का जाम के बुलावे से पहले ट्विटर पर खास ट्रेंड देखने को मिला है. ट्विटर पर '#चक्का_जान_ नहीं_होगा' और #UnitedAgainstKhalistan ट्रेंड कर रहा है. एक यूजर ने कृषि कानूनों को सही बताते हुए लिखा है कि किसानों को बिचौलियों से बचाने एवं फसलों के लिए सही दाम दिलवाने के लिए लाए गए ऐतिहासिक कृषि बिल के लिए मोदी जी का हृदय से आभार, #FarmerswithModi. जबकि #UnitedAgainstKhalistan के साथ एक यूजर ने लिखा है हम सिखों का विरोध नहीं कर रहे बल्कि हमारा विरोध खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ है. हालांकि कुछ देर बाद #IndiaSupportsChakkaJaam भी ट्रेंड होने लगा.

दिल्ली मेट्रो ने जारी एडवायजरी
संयुक्त किसान मोर्चा के चक्का जाम को देखते हुए दिल्ली मेट्रो ने लोगों के लिए खास एडवायजरी जारी की है. दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए मंडी हाउस, आईटीओ, दिल्ली गेट के एंट्री-एग्जिट गेट नहीं खोलने की एडवायजरी जारी की है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय का स्टेशन पूरी तरह बंद रखा जाएगा. इतना ही नहीं 26 जनवरी को लालकिले में हुई हिंसा को लेकर DMRC ने लाल किला, जामा मस्जिद, जनपथ और सेंट्रल सेक्रेटरेट के एंट्री-एग्जिट गेट बंद रखने का आदेश दिया है, हालांकि यहां से इंटरचेंज सुविधा जारी रहेगी.

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