BJP SBSP Alliance: सभी राजनैतिक दल लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगे हुए हैं. इसी क्रम में बीजेपी (BJP) ने उत्तर प्रदेश में नए गठबंधन की तैयारी पूरी कर ली है. सूत्रों की मानें तो 18 जुलाई को दिल्ली में इस गठबंधन पर मुहर लग जाएगी.
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BJP-SBSP Alliance: उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं. यूपी में एनडीए (NDA) गठबंधन में दो पार्टियों के शामिल होने की चल रही थीं. हालांकि राष्ट्रीय लोक दल (RLD) प्रमुख जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने गठबंधन की अटकलों को नकार दिया था, लेकिन अब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) गठबंधन पर मुहर लग गई है. सूत्रों के मुताबिक, 18 जुलाई को ओपी राजभर की दिल्ली में भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व के साथ बैठक हो सकती है.
बैठक में गठबंधन को लेकर होगी अंतिम चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में ओमप्रकाश राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर या अरुण राजभर में से किसी एक साथ शामिल हो सकते हैं. दोनों नेताओं की वहां पर भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत हो सकती है. इस बैठक में ही गठबंधन के स्वरूप पर अंतिम चर्चा हो सकती है.
इस बात को लेकर फंसा है पेंच
सूत्रों के मुताबिक, सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर और भाजपा के नेतृत्व के बीच सिंबल और गाजीपुर सीट को लेकर अभी बात नहीं बनी है. बताया जा रहा है कि राजभर की दो प्रमुख मांग है. पहला गाजीपुर सीट सुभासपा के पाले में आनी चाहिए. दूसरी, वह अपने सिंबल पर ही उम्मीदवार उतारेंगे. खबरों की मानें तो राजभर गाजीपुर सीट से अपने बेटे अरुण राजभर को मैदान में उतारना चाहते हैं. जबकि भाजपा अभी तक इस सीट को सुभासपा को देने का मन नहीं बना पाई है. सूत्रों के मुताबिक राजभर ने मऊ की घोसी सीट पर भी दावा कर रखा है. इन सभी मुद्दों पर 18 जुलाई को होने वाली बैठक में फैसला होगा.
बीजेपी के लिए फायदेमंद होगा सुभासपा से गठबंधन
बता दें कि पूर्वांचल और बुंदेलखंड की कुछ सीटों पर राजभर समाज निर्णायक भूमिका में माना जाता है. खासकर वाराणसी, गाजीपुर की 8 लोकसभा सीटों और 30 विधानसभा सीटों पर राजभर वोट अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं. लिहाजा लोकसभा चुनाव में मिशन 80 को साधने के लिए राजभर समाज के वोट बैंक को एक तरफा अपनी ओर खींचने के लिए सुभासपा से गठबंधन फायदेमंद साबित हो सकता है.
एक बार टूट चुका बीजेपी-सुभासपा का गठबंधन
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर की पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी. यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद राजभर को योगी कैबिनेट में मंत्री बनाया गया, लेकिन कुछ समय बाद 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद राजभर ने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. वहीं, विधानसभा चुनाव 2022 से पहले राजभर ने सपा से गठबंधन कर चुनाव के मैदान में उतरी थी. ओपी राजभर ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव में काफी आक्रामक तेवर दिखाए थे और योगी सरकार को उखाड़ फेंकेन का दम भर रहे थे. हालांकि, सपा-सुभासपा का यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला. जुलाई 2022 में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन टूट गया था.
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