विदेशों में सुगंध फैला रहा चंदौली का Black Rice, ऐसे हुई थी इसकी खेती की शुरुआत
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विदेशों में सुगंध फैला रहा चंदौली का Black Rice, ऐसे हुई थी इसकी खेती की शुरुआत

काले चावल में कथित तौर पर ‘एंथोसायनिन/ नामक एक यौगिक होता है, जिसकी वजह से इसका रंग काला होता है और यही इसे एंटी-इफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और कैंसर रोधी गुण प्रदान करता है. इसमें महत्वपूर्ण कैरोटिनॉयड भी होते हैं जिन्हें आंखों की सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.

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चंदौली: आम तौर पर, आपके घर में जो चावल बनाए जाते हैं उसका रंग सफेद होता. लेकिन आज हम जिस चावल के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसका रंग पूरी तरह से काला है. यही वह चावल है जो इन दिनों पूरी दुनिया मे धूम मचा रहा है. इस काले चावल की तारीफ पीएम नरेंद्र मोदी खुद कर चुके हैं. यूएनडीपी भी शुगर फ्री ब्लैक राइस की खेती को लेकर चंदौली के किसानों की तारीफ कर चुका है. आज हम बात करेंगे चंदौली के काले चावल की जो विश्व में अपनी पहचान बनाता जा रहा है. 

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चंदौली की पहचान है काला चावल
यूपी के चंदौली के लिए काला चावल उसकी पहचान बन चुका है. यहां के कई किसान अपने खेतों पर उगा रहे हैं. शुगर फ्री ब्लैक राइस की वजह से चंदौली को एक बार फिर धान का कटोरा कहा जाने लगा है. साल 2018 में पहले कुछ गिने-चुने किसानों ने इसकी खेती की लेकिन 2021 तक जनपद में बड़े पैमाने पर किसान इसकी खेती से जुड़ गए और लाभ कमा रहे हैं. चंदौली से बीज लेकर यूपी के 14 जनपदों में अब इसकी खेती की जा रही है.

पिछले साल इस चावल का निर्यात आस्ट्रेलिया जैसे देश में हुआ था जिसके बाद यहां के किसान काफी खुश थे लेकिन अब इस चावल की तारीफ सयुक्त राष्ट्र से जुड़ी संस्था UNDP ने कर दी है जिसके बाद इस चावल की महत्ता और बढ़ गयी है. 

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UNDP की रैंकिंग में दूसरा स्थान
शुगर फ्री ब्लैक राइस के कारण जनपद चंदौली पूरे देश में दूसरा स्थान हासिल किया. यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) ने आकांक्षात्मक जनपदों में नीति आयोग के विभिन्न पैरामीटर्स पर 2018 से 2020 तक विभिन आयामों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते जनपद चंदौली को शीर्ष द्वितीय स्थान दिया है.

ऐसे हुई ब्लैक राइस की शुरुआत
दरसअल, मणिपुर राज्य से 2018 जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने अपने प्रयास से शुगर फ्री ब्लैक राइस का सैंपल बीज मंगाया और प्रयोग के तौर पर जनपद के महज 30 किसानों से शुगर फ्री ब्लैक राइस की खेती कृषि विभाग के माध्यम से करवाई. ये प्रयोग सफल रहा और कम लागत में अच्छा उत्पादन देखने को मिला. 

15 किलो बीज से हुई थी शुरुआत
जिले में नगालैंड से चाक हाओ (काला धान) का 15 किलो बीज मंगाया गया था. जिला प्रशासन ने ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत की और 15 किसानों ने प्रदर्शन के तौर पर खेती की. इसका बीज सुरक्षित रखा, तो दूसरे सत्र में उत्पादन बढ़ गया. काला धान का प्रति हेक्टेयर उत्पादन 35 क्विंटल है.  इसकी न्यूनतम कीमत 8,500 रुपये प्रति क्विंटल है.

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शुगर के मरीजों के लिए शुगर फ्री ब्लैक राइज
खास बात है कि चंदौली के शुगर के मरीज भी बड़े चाव से खा सकते हैं. इससे सेहत बिगड़ती नहीं बल्कि बनती है. विशेष औषधीय गुणों से भरपूर इस चावल की लगातार डिमांड बढ़ रही है. मौजूदा समय में एशिया, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में इसकी सप्लाई हो रही है. काला चावल 285 रु. किलो तक बिक जाता है. इसकी खेती पानी की बचत में भी मददगार है. शुगर फ्री ब्लैक राइस लगभग अठारह सौ रूपये किलो मार्केट में बेची जा सकती है और इसके औषधीय गुणों के कारण लोग इसे पसंद करते हैं. 

शुगर फ्री ब्लैक राइस की बंपर पैदावार
2019 में जनपद में एक हजार से अधिक किसानों ने शुगर फ्री ब्लैक राइस का उत्पादन किया है और इसकी बंपर फसल भी हुई है. वहीं अन्य चावल की किस्म के उत्पादन से शुगर फ्री ब्लैक उत्पादन में किसानों का लागत भी कम आई.

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ऐसे मिली इंटरनेशनल ख्याति
खेतों में शुगर फ्री ब्लैक राइस तैयार होने के बाद अधिकारी नवनीत सिंह चहल के निवेदन पर इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की वाराणसी हेड और फिलीपींस की डॉक्टर अहमद जरीना के नेतृत्व में एक टीम ने सदर तहसील के डिघवट गांव का दौरा किया और खेतों में खड़ी शुगर फिर ब्लैक राइस का निरीक्षण किया. साथ ही उसके उत्पादन प्रक्रिया के बारे में जिलाधिकारी से विस्तृत जानकारी ली.

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पीएम मोदी ने चुनाव के दौरान किया था जिक्र
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान चंदौली के धानापुर में चुनावी सभा के दौरान पीएम मोदी ने शुगर फ्री ब्लैक राइस की तारीफ़ की थी. पीएम मोदी ने कहा था कि चंदौली सहित पूर्वांचल का ये क्षेत्र धान के लिए मशहूर है, यहां के शुगर फ्री चावल की बड़ी चर्चा रही है.

इसलिए होता है काला रंग
काले चावल में कथित तौर पर ‘एंथोसायनिन/ नामक एक यौगिक होता है, जिसकी वजह से इसका रंग काला होता है और यही इसे एंटी-इफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और कैंसर रोधी गुण प्रदान करता है. इसमें महत्वपूर्ण कैरोटिनॉयड भी होते हैं जिन्हें आंखों की सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.

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ब्लैक राइस के फायदे
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसमें एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ई, फ़ाइबर और प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है. यही कारण है कि पिछले कुछ समय में इसकी मांग बढ़ी है. हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, आर्थराइटिस, एलर्जी से जूझ रहे लोगों के लिए यह किसी दवा की तरह काम करता है. ब्लैक राइस एंटी ऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होता है, साथ ही कैंसर के अलावा दिल की बीमारियों से भी बचाता है.

इसके अलावा यह प्राकृतिक तौर पर ग्लूटेन-फ्री और प्रोटीन, आयरन, विटामिन ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम, नेचुरल फाइबर आदि से भरपूर है, इसलिए वजन घटाने में मददगार होता है. इसे एक नेचुरल डिटॉक्सिफायर माना जाता है.  इसका सेवन एथेरोस्क्लेरोसिस, डायबिटीज, अल्जाइमर, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों को भी दूर रखता है.

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