चीनी के पाउडर में लिपटे संडीला के लड्डू घोल देंगे आपके मुंह में मिठास, नवाबों की पसंदीदा थी ये मिठाई
यहां के लड्डूओं को तैयार करने के बाद चीनी के पाउडर मे लपेट दिया जाता है जिससे दिखने मे लड्डु की खूबसूरती बढ़ जाती है. दूसरा इसे मिट्टी की हांडियों में रख कर बेचा जाता है. जिससे इसका स्वाद और बढ़ जाता है.
Delicious Laddu: यूपी के हरदोई जिले से सटा संडीला तहसील अपनी मिठास के लिए फेमस हैं. चाहे यहां पर ट्रेन रुके या बस, बेचने वालों की आवाजें गूंजने लगती हैं- संडीला के लड्डू..... लखनऊ हरदोई हाईवे पर 50 किलोमीटर की दूरी पर संडीला तहसील पड़ती है, जहां पर लड्डुओं से दूकानें सजी हुई दिखती हैं. मीठा खाने का शौकीन जो भी शख्स लखनऊ राजधानी से इस हाईवे से गुजरता है, वह संडीला के लड्डू लेना नहीं भूलता.
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नवाबों के खाने में शामिल होता था संडीला का लड्डू
कहते हैं नवाबों के खाने में अगर संडीला का लड्डू नहीं होता था तो नवाब, खाने की तौहीन मानते थे. जी हां हम बात करते हैं हरदोई के संडीला की संडीला के लड्डू के मिठास की जो आज भी बरकरार है, और संडीला का नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है.
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लड्डू में दो चीजें होती हैं खास
यहां पर करीब सत्तर सालों से लड्डू बन रहे हैं. इसमें सबसे खास दो चीज़ें होती हैं. एक इस लड्डू को तैयार करने के बाद चीनी के पाउडर मे लपेट दिया जाता है जिससे दिखने मे लड्डु की खूबसूरती बढ़ जाती है. दूसरा इसे मिट्टी की हांडियों में रख कर बेचा जाता है. जिससे इसका स्वाद और बढ़ जाता है. लड्डू के ऊपर चीनी की परत की रवायत के बारे में किसी ने साफ़ तौर पर कुछ नहीं पता बस ये अंदाज़ा लगा सकते हैं कि शायद लड्डू की नरमी और ताज़गी बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाता हो.
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लड्डू की कीमत और वैरायटी
संडीला के लड्डू की कीमत बात करते हैं संडीला के लड्डू की कीमत सभी दुकानों में अलग-अलग है. यह लड्डू 100 रुपये से लेकर 300 रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं और कहीं पर इससे ज्यादा भी. इन लड्डुओं की भी अपनी-अपनी वैरायटी है आप अपनी पसंद के अनुसार गोंद वाले लड्डू, नारियल वाले लड्डू और बेसन बूंदी मिक्स लड्डू की भी खरीदारी कर सकते हैं. ये लड्डू पूरी हांडी समेत भी बेचे जाते हैं और अलग-अलग भी.
संडीला में रुके थे गोस्वामी तुलसीदास
गोस्वामी तुलसीदास के शिष्य व उनके साथ सदा रहने वाले बाबा वेणी माधव ने गोसाईं चरित्र में लिखा है- गोस्वामी तुलसीदास नैमिषारण्य जाते समय संडीला में रुके थे.
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वॉइसराय को पसंद आए थे संडीला के लड्डू
चने के बेसन, केवड़ा, चाशनी, शक्कर का बुरादा और मेवे से तैयार होने वाला लड्डू मुंह में रखते ही घुलने लगता है. ऐसा कहा जाता है कि संडीला के नवाब एजाज रसूल की शादी दिल्ली हुई थी. तब यहां के हलवाई लड्डू बनाने के लिए दिल्ली गए थे. वहां के वाइसराय ने लड्डू खाए तो हलवाइयों को बुलाकर खूब इनाम दिया. यहां के लड्डू गीतकार जावेद अख्तर को भी बहुत पसंद है. इसके अलावा कई फिल्मों में यहां के लड्डूओं का जिक्र हुआ है.
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यहां के लड्डू की खास बात यह है कि यह खाने में बहुत ही लजीज, जायकेदार होता है, संडीला कस्बे के निवासियों के घर यदि आप मेहमान नवाजी को पहुंचते हैं तो स्वागत में संडीला का लड्डू जरूर खिलते हैं. संडीला के लड्डू की मिठास पूरे ही देश में विख्यात है, वहीं हरदोई से सटे संडीला तहसील का नाम इन मीठे और खास तरह के लड्डुओं ने खूब रोशन किया.
अब गुमनाम नहीं है हरदोई, संडीला है पहचान
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 110 किलोमीटर दूर हरदोई सालों से एक गुमनाम और साधारण सा जिला बना हुआ था. इसकी प्रसिद्धि का एकमात्र कारण इसका एक छोटा सा शहर संडीला रहा, जो अपने लड्डू के लिए प्रसिद्ध है. हालांकि, संडीला अब वेब्ले एंड स्कॉट, पेप्सी, ब्रिटिश पेंट्स, बर्जर पेंट्स और हल्दीराम के यहां अपने कारखाने स्थापित करने के साथ एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बनने की राह पर है.
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हो सकता कुछ लोगों ने संडीला का नाम भी न सुना हो, लेकिन जो खाने के जानकार है या स्वाद के शौकीन हैं वो इसके बारे में जरूर जानते होंगे. पर इतना जरूर तय है कि अगर आपने यहां के लड्डूओं का स्वाद चख लिया तो बार-बार चखना चाहेंगे. अब जब भी कभी लखनऊ की तरफ जाएं तो यहां के लड्डूओं का स्वाद लेना न भूलें.
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