नवाब वाजिद अली शाह की पान की लत छुड़ाने के लिए बनाई गई थी 'मलाई गिलौरी', स्वाद मखमली
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नवाब वाजिद अली शाह की पान की लत छुड़ाने के लिए बनाई गई थी 'मलाई गिलौरी', स्वाद मखमली

ये अपनी तरह की अनोखी मिठाई है, जिसका स्वाद बाकी सभी मिठाइयों से बिल्कुल अलग है. मलाई गिलौरी का स्वाद है ही इतना लाजवाब है कि एक बार खाने के बाद लोग इसके मुरीद हो जाते हैं.

Malai Gilori

Malai Gilori: लखनऊ को नवाबों की नगरी कहा जाता है. इस शहर में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक इमारतें और खूबसूरत मीनारें हैं. वहीं, टिक्‍का और कबाब तो जायके में चार चांद लगा देते हैं. यहां के  सिर्फ कबाब और बिरयानी ही नहीं, मलाई की गिलौरी भी बेहद खास होती है. ये एक ऐसी मिठाई है जो दूध की मलाई से बनती है. 

  1. मखमल की तरह मुलायम होती है ये मलाई गिलोरी
  2. स्वाद के साथ सेहत से होती है भरपूर
  3. इसका इजाद नवाबों के जमाने में हुआ

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अगर आप सोचते है कि आपको ऐसी मिठाई और किसी शहर में भी मिल जाएगी तो आप गलत हैं. जी हां, मलाई की गिलोरी को टेस्ट अगर आपने एक बार यहां पर आकर कर लिया तो आप यहां पर इसका स्वाद लेने के लिए बार-बार आएंगे. ये अपनी तरह की अनोखी मिठाई है, जिसका स्वाद बाकी सभी मिठाइयों से बिल्कुल अलग है. मलाई गिलौरी का स्वाद है ही इतना लाजवाब कि एक बार खाने के बाद लोग इसके मुरीद हो जाते हैं.

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मखमल की तरह मुलायम होती है ये मिठाई
यह मिठाई बेहद स्‍वादिष्‍ट और मखमल की तरह मुलायम होती है, जिसे मुंह में डालते ही घुल जाएगी. वैसे तो लखनऊ में ये आपको कई जगह पर मिल जाएगी. इसके ठेले लगाए जाते हैं. अगर पुरानी दुकानों की बात करें तो ये छप्‍पन भोग, राम आसरे या राधे लाल की मिठाई की दुकान पुरानी मानी जाती हैं.

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मलाई गिलौरी का इतिहास
नवाब वाजिद अली शाह के लिए बनाई गई मलाई गिलौरी

ऐसा सुना जाता है कि मलाई पान (गिलौरी) का इजाद नवाबों के जमाने में हुआ. नवाब वाजिद अली शाह पान खाने के बहुत शौकीन थे. खाना खाने के बाद वह पान खाते थे. हकीमों ने उनको पान नहीं खाने की सलाह दी, मगर, जब नवाब साहब को पान की तलब लगती तो, वह खुद को रोक नहीं पाते थे. उनकी इसी तलब को पूरा करने के लिए दूध और मेवों से तैयार मलाई पान को इजाद किया गया. जब उन्होंने ये खाया तो वह इसके दीवाने हो गए और उन्होंने पान खाना छोड़ दिया. फिर उनके दस्तरख्वान में मलाई गिलौरी शामिल हो गई. 

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मलाई पान, मलाई गिलौरी और गिलौरी 
इसके स्वाद के चर्चे देश ही नहीं विदेश तक लोगों की जुबां पर हैं. अक्सर चौक स्थित रामआसरे की दुकान में विदेशी पर्यटक मलाई गिलौरी का स्वाद लेते नजर आते हैं. इस मिठाई को कोई यहां मलाई पान, तो कोई मलाई गिलौरी और कोई सिर्फ गिलौरी कहता है. मिठाई के शौकीन नाम से ज्यादा इसकी मिठास और मुंह में घुल जाने वाले स्वाद से मतलब रखते हैं. 

दो तरह की मलाई गिलौरी
केसरिया और सादा मलाई पान
केसरिया मलाई पान और सादा मलाई पान की दो वैराइटी मिलती हैं. केसरिया मलाई पान में केसर मिश्री और सादा मलाई पान में सादी मिश्री डाली जाती है. हालांकि, अब शहरों में भी मलाई गिलौरी मिलने लगी है, पर हर कहीं इसका अलग स्वाद मिलेगा. यहां पर मिलने वाली मलाई गिलौरी की तो बात ही निराली है.

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स्वाद के साथ सेहत भी
मलाई की गिलौरी बनाना बहुत मेहनत का काम है. मलाई गिलौरी तैयार करने के लिए भट्ठी पर कड़ाही में दूध को धीमी आंच पर पकाया जाता है. क्रीम की परतों को पतली सतह में जमाते हैं ताकि इसे बीड़ा का रूप दिया जा सके. इसके लिए दूध में मलाई जमने के बाद उसकी तीन-चार परत निकालकर बड़ी सी ट्रे में रखी जाती हैं. उसके बाद उसे तिकोने आकार में काटकर उसमें मिश्री, पिस्ता, काजू, बादाम, केसर, इलायची, खांडसारी चीनी का मिश्रण भरा जाता है. फिर इसे पान का आकार दिया जाता है और चांदी के वर्क से सजाकर पेश किया जाता है. ये न केवल सेहत के लिए फायदेमंद है, बल्कि स्वाद में भी लाजवाब है. आप भी जब नवाबों की नगरी लखनऊ जाएं, तो इसका स्वाद जरूर लें.

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