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नई दिल्ली: 2020 में जबसे कोरोना महामारी ने देश पर हमला बोला है, तबसे इस बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए दवाएं ही सहारा थीं. जिस वजह से दवा की खपत बढ़ गई. इतना ही नहीं, संक्रमण से बचने के लिए भी लोग अलग-अलग तरह की दवाएं खा रहे हैं. लेकिन आपने भी कई बार देखा होगा कि हमारी जो जरूरत है, उस हिसाब से दवाइयां नहीं मिल पाती. जैसे कि कभी हमारी बीमारी के हिसाब से डॉक्टर हमें 250 mg की दवा खाने की सलाह देते हैं, लेकिन हमें दुकान जाओ तो पता लगता है कि 250mg की दवा तो नहीं है, लेकिन 500mg अवेलेबेल है. ऐसे में घरवाले कहते हैं कि 500mg की दवा को ही आधा तोड़कर खा लो. लेकिन क्या ये सही है, क्या दवा का साइज कम करने से उसका पावर भी कम हो जाता है?
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डॉक्टर्स भी देते हैं आधी दवा
घर के आस-पास क्लीनिक से जब आप दवा लेते हैं तो कभी-कभी डॉक्टर्स भी आपको दवाएं आधी तोड़कर देते हैं. लेकिन क्या वह हर दवा के साथ ऐसा कर सकते हैं या कुछ चुनिंदा दवाएं ही ऐसी हैं, जिन्हें बीच से तोड़ा जा सकता है?
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ऐसी टैबलेट ही तोड़कर खाई जा सकती हैं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी टैबलेट नहीं तोड़ी जा सकतीं. बताया जाता है कि जिन दवाओं को तोड़कर खाया जा सकता है, उनके बीच एक लाइन बनी होती है. ऐसी टैबलेट्स को 'स्कोर टैबलेट' नाम दिया गया है. केवल ऐसी ही दवाओं को तोड़कर खाने से उनकी पावर हाफ होती है.
ऐसी टैबलेट ही तोड़कर नहीं खाई जा सकतीं
एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स बताते हैं कि जो दवा नहीं तोड़ी जा सकतीं, उनमें लाइन भी नहीं बनी होती. दरअसल, ऐसी दवाओं पर एक लेयर चढ़ी होती है, जो टूटने के बाद अपना काम नहीं कर पाती. मतलब वह दवा बीमारी में पूरी तरह से फायदा नहीं कर सकती. वहीं, कैप्सूल्स भी देखने में दो हिस्सों में बंटे हुए लगते हैं, लेकिन आप उन्हें बीच से नहीं तोड़ सकते. कैप्सूल भी पूरी ही खानी होती है.
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