प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर पहुंचेंगे राष्ट्रपति, जानिए इस 'महाराजा स्टाइल' स्पेशल Train की सभी खूबियां
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प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर पहुंचेंगे राष्ट्रपति, जानिए इस 'महाराजा स्टाइल' स्पेशल Train की सभी खूबियां

प्रेसीडेंशियल सैलून का सबसे पहले विक्टोरिया ऑफ इंडिया ने इस्तेमाल किया था. पहले इसे वाइस रीगल कोच के नाम से जाना जाता था. इसमें पर्सियन कारपेट से लेकर सिंकिंग सोफे तक लगे हुए थे. 1950 में सबसे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने पहले भारतीय के रूप में इसका इस्तेमाल किया.

प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर पहुंचेंगे राष्ट्रपति, जानिए इस 'महाराजा स्टाइल' स्पेशल Train की सभी खूबियां

कानपुर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पद संभालने के बाद पहली बार अपने पैतृक गांव परौंख आ रहे हैं. राष्ट्रपति दिल्ली से प्रेसीडेंसियल ट्रेन से 25 जून की शाम को कानपुर पहुंचेंगे. वो 26 जून को शहर में रहेंगे और जनप्रतिनिधियों, उद्यमियों, चिकित्सकों, समाजसेवियों और पुराने परिचित लोगों से मिलेंगे. राष्टपति प्रेसिडेंशियल ट्रेन से सुरक्षा व्यवस्था के साथ कानपुर पहुंचेंगे. पहली बार कानपुर सेंट्रल पर ये ट्रेन पहुंचेगी, जो कि ऐतिहासिक होगा. 

  1. कैसी होता है राष्ट्रपति की स्पेशल ट्रेन?
  2. अब तक 87 बार हुआ इस सैलून का प्रयोग
  3. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1950 में पहली बार किया इस सैलून का प्रयोग 
  4. बुलेट प्रूफ विंडो, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हर आधुनिक सुविधा से ट्रेन लैस होती है

राष्ट्रपति के कानपुर दौरे को लेकर चर्चा इसलिए भी तेज है क्योंकि राष्ट्रपति अपने जन्म स्थान की यात्रा के लिए इस ट्रेन में सफर करेंगे. महामहिम जिस ट्रेन से जाएंगे वह प्रेसिडेंशियल ट्रेन है. मालूम हो कि ऐसा 18 साल बाद हो रहा है जब कोई राष्ट्रपति द्वारा रेल यात्रा की जा रही हो. इससे पहले 18 साल पहले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने प्रेसीडेंसिशल ट्रेन से यात्रा की थी.

रेल यात्रा को लेकर आम लोगों में बेहद दिलचस्पी है क्योंकि ये ट्रेन बहुत खास होती है. हम आपको बताते हैं कि स्पेशल ट्रेन की क्या खास बात है और इससे पहले किन-किन राष्ट्रपतियों ने रेल यात्रा की.

इसलिए कहते हैं प्रेसीडेंसिशल सैलून 
राष्ट्रपति जिस ट्रेन में यात्रा करते हैं उसे प्रेसीडेंशियल सैलून भी कहते हैं जिसमें सिर्फ वही सफर कर सकते हैं. पटरियों पर ही इसे चलाए जाने की वजह से इसे प्रेसीडेंशियल ट्रेन भी कहते हैं. यह आम ट्रेन की श्रेणी भी नहीं आता है. बुलेट प्रूफ विंडो, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, हर आधुनिक सुविधा से ये ट्रेन लैस होता है. इसमें दो कोच होते हैं जिनका नंबर 9000 व 9001 होता है.

1956 में बनी इस स्पेशल ट्रेन में विजिटिंग रूम कम डाइनिंग रूम, कॉन्फ्रेंस कम लाउंज रूम, प्रेसिडेंट के लिए विशेष बेडरूम आउट किचन होता है. इसके अलावा सेना के ऑफिसर, सेक्रेटरी, डॉक्टर और अन्य स्टाफ के लिए भी अलग रूम होते है. प्लाज्मा टीवी, जीपीएस और जीपीआरएस सिस्टम, इमर्सैट सैटेलाइट एंटेना, 20-लाइन टेलीफोन एक्सचेंज, एक पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी लगा है. ट्रेन को समय-समय पर अत्याधुनिक बनाया जाता है. 

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ये है शाही सैलून का इतिहास
प्रेसीडेंशियल सैलून का सबसे पहले विक्टोरिया ऑफ इंडिया ने इस्तेमाल किया था. पहले इसे वाइस रीगल कोच के नाम से जाना जाता था. इसमें पर्सियन कारपेट से लेकर सिंकिंग सोफे तक लगे हुए थे. उस समय खस मैट को कूलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था. 1950 में सबसे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने पहले भारतीय के रूप में इसका इस्तेमाल किया. इसके बाद इस शाही सैलून में कई तरह के परिवर्तन किए गए. 

अब तक 87 बार हुआ इस सैलून का प्रयोग

अब तक देश के अलग-अलग राष्ट्रपतियों द्वारा करीब 87 बार इस प्रेसीडेंशियल सैलून का प्रयोग किया जा चुका है. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1950 में पहली बार इस सैलून का प्रयोग किया था. उन्होंने दिल्ली से कुरुक्षेत्र का सफर प्रेसीडेंशियल सैलून से किया था.

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इसके अलावा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. नीलम संजीव रेड्डी ने इस स्पेशल ट्रेन के जरिये यात्राएं कीं थीं. उसके करीब 26 साल बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इस सैलून से बिहार की यात्रा की थी.

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सैटेलाइट कम्युनिकेशन से युक्त
यह ट्रेन बुलेट प्रूव है. ट्रेन को सैटेलाइट कम्युनिकेशन और वाई-फाई से भी जोड़ दिया गया है. रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने से पहले इस ट्रेन में और कई अत्याधुनिक सुविधाएं जोड़ी गई हैं. कलाम की यात्रा के बाद इस ट्रेन को सुरक्षा के लिहाज अनफिट घोषित कर दिया गया था. इसके बाद इसमें कई सिक्योरिटी फीचर एड किए गए थे. रेल मंत्रालय ने इसके मैंटेनेंस और सैलून को अत्याधुनिक बनाने के लिए बजट के आवंटन को बढ़ा दिया था. 

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ऐसे रहेगा ट्रेन का सफर 
राष्ट्रपति कोविंद 25 जून को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से विशेष ट्रेन से कानपुर के लिए रवाना होंगे. यह ट्रेन शाम 4:00 बजे के करीब टूंडला, फिरोजाबाद होते हुए 7:00 बजे कानपुर पहुंचेगी. 2 दिन के विभिन्न कार्यक्रमों के बाद सोमवार को महामहिम राष्ट्रपति इसी ट्रेन से कानपुर से सुबह 10:20 से लखनऊ पहुंचेंगे. इस स्पेशल ट्रेन की सुरक्षा व्यवस्था में एनएसजी कमांडो, बम निरोधक दस्ता, फायर ब्रिगेड, सीआरपीएफ और 200 से अधिक जवानों को लगाया गया है.

रेलवे लाइन के दोनों तरफ पुलिस का सख्त पहरा
इस प्रेसिडेंशियल ट्रेन में दो विशेष बोगी (स्पेशल कोच) लगाई गई हैं, जिनमें बुलेटप्रूफ शीशे लगे हुए हैं. इस ट्रेन में पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी लगा है. सुरक्षा के मद्देनजर इस ट्रेन के आगे एक खाली इंजन भी दौड़ेगा, जिससे इस बात की जानकारी मिल सके कि ट्रैक में कोई दिक्कत तो नहीं है. प्रेसिडेंशियल ट्रेन की यात्रा के दौरान रेलवे ट्रैक के किनारे आवारा जानवरों पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी, ताकि किसी भी हादसे से बचा जा सके. रेलवे लाइन के दोनों तरफ पुलिस का सख्त पहरा भी रहेगा. 

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