मोहनलाल गंज के सांसद कौशल किशोर ने ली मंत्री पद की शपथ, जानिए कैसा रहा राजनीतिक सफर
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मोहनलाल गंज के सांसद कौशल किशोर ने ली मंत्री पद की शपथ, जानिए कैसा रहा राजनीतिक सफर

मोहनलाल गंज के सांसद कौशल किशोर का भी नाम मंत्रिमंडल विस्तार के लिए सामने आ रहा है. कयास लगाया जा रहा है कि कौशल किशोर को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. आइए जानते इनके बारे में कुछ बातें...

मोहनलाल गंज के सांसद कौशल किशोर ने ली मंत्री पद की शपथ, जानिए कैसा रहा राजनीतिक सफर

नई दिल्ली: मोदी सरकार के कैबिनेट के विस्तार (PM Modi Cabinet Expansion) में 43 मंत्रियों ने शपथ ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) ने राष्ट्रपति भवन में बुधवार शाम 6 बजे इन मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. यूपी के कुल सात सांसदों को मंत्री बनाया गया है. मोहनलाल गंज से सांसद कौशल किशोर ने भी मंत्री पद की शपथ ली है. आइए जानते हैं उनके बारे में.... 

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कौन हैं कौशल किशोर?
कौशल किशोर उत्तर प्रदेश के मोहनलाल गंज से लोकसभा सांसद हैं. इसी के साथ वह परख महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी के एससी विंग के अध्यक्ष हैं. कौशल किशोर एक प्रभावी लीडर माने जाते हैं. साथ ही, सामाजिक न्याय के मुद्दों को लेकर वे काफी सक्रिय रहते हैं. इसके लिए वह देश भर में पहचाने जाते हैं.

गैर जाटव दलित के फॉर्मूले में बैठते हैं फिट 
लंबे समय से इस बात का अनुमान लगाया जा रहा था कि भाजपा किसी गैर जाटव दलित चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है. कई नामों की सूची भी आई. लेकिन अब लगता है कि कौशल किशोर बाजी मार सकते हैं. वह पासी समाज से आते हैं. जाटव के बाद यूपी में इनका बड़ा वोट बैंक है. ऐसे में भाजपा इसके सहारे 2022 चुनाव को भी साध सकती है.  दरअसल, भाजपा बसपा से इसे फॉर्मूले पर लड़ती आई है.

ये पद संभाल चुके हैं
2002-2007: उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य
2003-2004: उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री
मई, 2014: 16वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित
मई, 2019: 17वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित

गांव में देते हैं लोग उनकी बहादुरी की मिसाल
लखनऊ के मोहनलाल गंज तहसील के बेगरिया गांव में जन्में कौशल किशोर पासी जाति के किसान परिवार से आते हैं. बचपन में ज्यादा पैसे न होने के कारण किशोर के पास बहुत सीमित साधन थे. पढ़ाई-लिखाई में एवरेज, लेकिन अपनी ईमानदारी और जिज्ञासु दिमाग के लिए कौशल किशोर खूब चर्चित थे. उनके गांववाले उन्हें बहादुरी की मिसाल मानते हैं. वे कहते थे कि कोई भी कौशल का सामना करने की हिम्मत नहीं कर सकता, क्योंकि वह हमेशा सच और सही के लिए खड़े रहते हैं. 

अन्याय के खिलाफ लड़ जाते हैं कौशल किशोर
बताया जाता है कि उनके माता-पिता उनकी चिंता में ही रहते थे, क्योंकि कौशल सच की लड़ाई के लिए किसी से भी भिड़ जाया करते थे. वे उन छात्रों के साथ हमेशा खड़े रहते थे, जो कमजोर या किसी भी प्रकार के शोषण और भेदभाव के अधीन थे. बचपन में जब उनसे पूछा जाता था कि वह खुद लड़ाई को न्योता देकर घरवालों की परेशानी क्यों बढ़ाते हैं, तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता था. लेकिन अब कौशल किशोर कहते हैं कि यह उनकी न्याय की भावना थी जो उन्हें उन लोगों से मुकाबला करने के लिए प्रेरित करती थी. यह भी बताया जाता है कि अगर पिता उनकी माता पर आवाज उठा भी दें तो कौशल उनसे भी रोकते थे. कौशल किशोर अन्याय होते नहीं देख सकते थे.

किसानों की मदद के लिए छोड़ दी पढ़ाई
लखनऊ के कालीचरण इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद कौशल किशोर ने C.R. Degree College में एडमिशन लिया. हालांकि, वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके क्योंकि वह पारिवारिक बीमारी, और मजदूरों और किसानों की मदद में शामिल हो गए थे. 

संघर्षों भरा रहा जीवन
जिस गांव में उनका जन्म हुआ, वहां पक्की सड़क और बिजली की सुविधा नहीं थी. ऐसे में वह अक्सर प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय नेताओं के पास जाते थे और इस मुद्दे पर और गांव के उत्थान पर बात करते थे. कौशल किशोर का बचपन काफी संघर्ष भरा रहा. वह शिक्षा ग्रहण करने के लिए 20 किलोमीटर पैदल जाते थे. साल 1977 में, 12वीं कक्षा में जब उन्हें स्कॉलरशिप मिली, तब जाकर कौशल किशोर ने एक साइकिल खरीदी. अपनी मेहनत और लगन से आज राजनीति में उनका बड़ा नाम है.

बहू को लेकर भी आए थे विवादों में
बीजेपी सांसद कौशल किशोर अपने बेटे आयुष और बहू अंकिता की वजह से कई बार विवादों में घिरे थे. आयुष गोलीकांड मामले में भी उनका नाम आया था. वहीं, कुछ समय पहले बहू अंकिता के पिता ने सांसद कौशल किशोर और उनके परिवार पर उसके अपहरण का आरोप लगाया था. यह शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पुलिस कमिश्नर लखनऊ तक पहुंची थी. लेकिन सांसद ने कहा था कि उन्होंने बेटे और बहू से सारे रिश्ते तोड़ लिए हैं. दोनों से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

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