कर्मचारियों को बड़ा तोहफा देने की तैयारी में मोदी सरकार, हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम, 3 दिन आराम!
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कर्मचारियों को बड़ा तोहफा देने की तैयारी में मोदी सरकार, हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम, 3 दिन आराम!

केंद्र सरकार (Central Government) सप्ताह में चार कामकाजी दिन और उसके साथ तीन दिन वैतनिक छुट्टी का विकल्प देने के बारे में विचार कर रही है. कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकते हैं.

 कर्मचारियों को बड़ा तोहफा देने की तैयारी में मोदी सरकार, हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम, 3 दिन आराम!

नई दिल्ली: नए लेबर कोड (Labour Code) के तहत आने वाले दिनों में कर्मचारियों को सप्ताह में तीन दिन की छुट्टी मिल सकती है. श्रम और रोजगार मंत्रालय चार नए लेबर कोड को लागू करने के लिए उनसे संबंधित नियमों को इस हफ्ते अंतिम रूप दे सकता है. सरकार कंपनियों के लचीलेपन के साथ हफ्ते में चार दिन काम की मंजूरी दे सकती है. हालांकि इसके लिए लंबी शिफ्ट में काम करना पड़ सकता है. श्रम मंत्रालय ने चारों कोड्स को अप्रैल से लागू करने की योजना बनाई है.

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नए नियमों के तहत काम के घंटे बढ़कर हो सकते हैं 12 घंटे
बजट 2021 में श्रम मंत्रालय के लिए हुए ऐलान पर जानकारी देते हुए श्रम सचिव ने सोमवार को बताया कि केंद्र सरकार हफ्ते में चार कामकाजी दिन और उसके साथ तीन दिन छुट्टी देने पर विचार कर रही है. उनके मुताबिक, नए लेबर कोड में नियमों का ये विकल्प भी रखा जाएगा, जिस पर कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकते हैं. नए नियमों के तहत सरकार ने काम के घंटों को बढ़ाकर 12 तक करने को शामिल किया गया है. काम करने के घंटों की हफ्ते में अधिकतम सीमा 48 है, ऐसे में कामकाजी दिनों का दायरा 5 से घट सकता है.

सिर्फ कर्मचारी के योगदान पर लगेगा TAX
EPF पर टैक्स लगाने को लेकर बजट में हुए ऐलान पर जानकारी देते हुए श्रम सचिव ने कहा कि इसमें ढाई लाख रुपये से ज्यादा निवेश होने के लिए Tax सिर्फ कर्मचारी के योगदान पर लगेगा. कंपनी की तरफ से होने वाला अंशदान इसके दायरे में नहीं आएगा. साथ ही छूट के लिए EPF और PPF भी नही जोड़ा जा सकता. ज्यादा वेतन पाने वाले लोगों की तरफ से होने वाले बड़े निवेश और ब्याज पर खर्च बढ़ने की वजह से सरकार ने ये फैसला लिया है. श्रम मंत्रालय के मुताबिक 6 करोड़ में से सिर्फ 1 लाख 23 हजार अंशधारक (Shareholder) पर ही इन नए नियमों का असर होगा.

EPF पेंशन में बढोतरी का प्रस्ताव नहीं
श्रमिक संगठन (Labor organization) लंबे समय से EPF की मासिक न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उनका तर्क है कि सामाजिक सुरक्षा के नाम पर सरकार न्यूनतम 2000 रुपये या इससे अधिक पेंशन मासिक रूप से दे रही है जबकि EPFO के अंशधारकों को अंश का भुगतान करने के बावजूद इससे बहुत कम पेंशन मिल रही है.

नए लेबर कोड की खास बातें

  • अगर कर्मचारी किसी दिन 8 घंटे से ज्यादा या फिर सप्ताह में 48 घंटे से ज्यादा काम करता है तो फिर उसे ओवरटाइम का मेहनताना सामान्य सैलरी से दोगुना मिलेगा.
  • ओवरटाइम के कैलकुलेशन को लेकर भी नियम तय किया गया है. कोई कर्मचारी 15 से 30 मिनट तक काम करता है तो फिर उसे पूरे 30 मिनट के तौर पर काउंट किया जाएगा.
  • नए लेबर कोड के ड्राफ्ट में कर्मचारियों के वर्किंग आवर्स (Working Hours) को दिन में 12 घंटे तक किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है. इससे पहले यह अवधि 9 घंटे की थी और इसमें एक घंटे का रेस्ट भी शामिल था.
  • ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस के नाम से तैयार कोड में सरकार ने कंपनियों को एक दिन में 12 घंटे तक वर्किंग आवर्स रखने की छूट देने की बात कही है.

केंद्र सरकार के इस फैसले से एक अप्रैल 2021 के बाद आपकी पीएफ, ग्रेच्युटी और आपके ड्यूटी ऑवर्स में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. आपको बता दें कि एक तरफ जहां आपकी ग्रेच्युटी और भविष्य निधि (PF) मद में बढ़ोतरी होगी वहीं, हाथ में आने वाला पैसा (Cash In Hand) घटेगी. सरकार काम करने के घंटों को लेकर बड़ा फैसला ले सकती है. 

कंपनियों को काम करने के दिन चुनने की आजादी 
कंपनियों को नया वर्क सप्ताह शुरू करने से पहले कर्मचारियों को छुट्टी देनी होगी. यदि कंपनियां 4 दिन काम करने का सप्ताह चुनती हैं तो कर्मचारियों को 3 दिन छुट्टी देनी होगी. यदि 5 दिन काम करने का सप्ताह चुनती हैं तो 2 दिन की छुट्टी देनी होगी. बताया जा रहा है कि नया लेबर कोड लागू होने के बाद कंपनियों के पास 8 से 12 घंटे का वर्क डे चुनने की आजादी होगी. कंपनियां मांग, इंडस्ट्री और लोकेशन के लिहाज से वर्कडे चुन सकेंगी.

काम की गुणवत्ता और होगी अच्छी
जब आप अपने परिवार को अधिक समय दे पाएंगे और आपकी उत्‍पादकता बेहतर हो जाएगी. कई कर्मचारी छुट्टी के दौरान की जाने वाली गतिविधियों  पर ज्यादा टाइम बिताना पसंद करते हैं. इससे कर्मचारियों को काम का तनाव मिटाने में मदद मिलती है. इस नियम से कंपनियों को भी फायदा होगा और स्टाफ को भी. स्टाफ के ज्यादा एक्टिव होने पर अच्छा काम करेगा और इसका असर कंपनी की प्रोडक्टिवटी पर पड़ेगा.

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