अब नए रंग रूप में नजर आएगी ISO प्रमाणित पुष्पक एक्सप्रेस, AC इकोनॉमी कोच समेत होंगे ये बदलाव
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand971952

अब नए रंग रूप में नजर आएगी ISO प्रमाणित पुष्पक एक्सप्रेस, AC इकोनॉमी कोच समेत होंगे ये बदलाव

खास बात यह है कि पुष्पक एक्सप्रेस में 83 सीटों वाली थर्ड एसी इकोनॉमी बोगी (3-AC Economy Coach) पहली बार लगेगी. रेलवे इस एलएचबी रैक में एसी इकोनॉमी की दो बोगियां लगाएगा.

लखनऊ से मुंबई तक चलने वाली पुष्पक एक्सप्रेस ट्रेन में अब एलबीएच कोच लगेंगे. दो एसी इकोनॉमी बोगियां भी होंगी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मुंबई तक चलने वाली पुष्पक एक्सप्रेस ट्रेन (Pushpak Express) अब नए रंग रूप में नजर आएगी. रेलवे बोर्ड ने पुष्पक एक्सप्रेस की पुरानी कन्वेंशन बोगियों (नीले रंग के कोच) की जगह लिंक हाॅफमैन बुश (Linke Hofmann Busch- LHB) क्लास वाले रैक को लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. आगामी 30 अक्टूबर से पुष्पक एक्सप्रेस एलएचबी बोगियों के साथ चलेगी. पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल की डीआरएम डॉ. मोनिका अिग्नहोत्री दो साल से इसके लिए प्रयासरत थीं.

पहली बार इकोनॉमी कोच
खास बात यह है कि पुष्पक एक्सप्रेस में 83 सीटों वाली थर्ड एसी इकोनॉमी बोगी (3-AC Economy Coach) पहली बार लगेगी. रेलवे इस एलएचबी रैक में एसी इकोनॉमी की दो बोगियां लगाएगा. अब तक एलएचबी क्लास वाली एसी थर्ड बोगी में 72 सीटें होती थीं. लेकिन रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला में अनुसंधान अभिकल्प व मानक संगठन (Research Design and Standards Organisation) ने 83 सीटों वाली एसी इकोनॉमी बोगी को तैयार किया है. 

आइएसओ प्रमाणित है ट्रेन
अब 30 अक्टूबर से पुष्पक एक्सप्रेस में सेकेंड सीटिंग क्लास की 2, स्लीपर की 5, एसी थर्ड की 4, एसी इकोनॉमी क्लास की 2, एसी सेकेंड क्लास की 1, एसी फर्स्ट क्लास की 1, पेंट्रीकार की 1 और लगेज यान की 2 बोगियां होंगी. पुष्पक एक्सप्रेस लखनऊ से मुंबई जाने वाली एक वीआइपी श्रेणी की ट्रेन है. इस ट्रेन को अपनी बेहतर सर्विस के लिए आइएसओ प्रमाण पत्र भी मिल चुका है. 

एलएचबी कोच की खासियत 
पुष्पक एक्सप्रेस अब तक पुराने कन्वेंशनल बोगियों के साथ दौड़ती थी, जिनकी अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. जबकि एलएचबी बोगियों की अधिकतम गति सीमा 160 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. एलएचबी बोगियां स्टेनलेस स्टील से बनी होती हैं और इनका वजन काफी हल्का होता है. 

दुर्घटना से मिलती है सुरक्षा 
इनको खींचने के लिए इलेक्ट्रिक लोको इंजन को कम बिजली की जरूरत पड़ती है. वहीं सेंट्रल बफर कपलर (सीबीसी) के कारण किसी दुर्घटना के समय ये बोगियां एक के ऊपर एक नहीं चढ़ती हैं. इनके पलटने का खतरा भी कम होता है. सबसे खास बात की वजन कम होने से ये बोगियां ट्रैक को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती हैं.

WATCH LIVE TV

Trending news