Paush Purnima 2023: कब है अगले साल की पहली पूर्णिमा? जानें पौष पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1451023

Paush Purnima 2023: कब है अगले साल की पहली पूर्णिमा? जानें पौष पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Paush Purnima 2023 Kab Hai: हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का खास महत्व है. इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है. आइये जानते हैं साल 2022 में पहली पूर्णिमा कब पड़ रही है.

Paush Purnima 2023 Date, Shubh Muhurt, Puja Vidhi

Paush Purnima 2023 Date, Shubh Muhurt, Puja Vidhi: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व बताया गया है. साल 2023 की पहली पूर्णिमा 6 जनवरी, दिन शुक्रवार को है. हिंदी पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. सनातन धर्म ग्रंथों में पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, जप, तप करने का विशेष विधान बताया गया है. 

गंगा स्नान का खास महत्व
पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों और सरोवरों खासकर गंगा स्नान का बहुत महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौष पूर्णिमा वाले दिन गंगा स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व बताया गया है. स्नान करने के बाद दान जरूर करना चाहिए. इस दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान करना धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ बताया गया है. 

पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 
पौष पूर्णिमा 6 जनवरी, 2023 दिन शुक्रवार को है. 
पौष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 जनवरी, दिन शुक्रवार, रात 2:14 बजे से 
पौष पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 जनवरी, दिन शनिवार, प्रात: 04:37 बजे तक

यह भी पढ़ें- Magh Purnima 2023: माघ पूर्णिमा कब है? इस दिन धरती पर आते हैं देवी-देवता, जानें गंगा स्नान का महत्व और मान्यता

 

पौष पूर्णिमा पूजा विधि 
इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान करना चाहिए. अगर संभव न हो तो गंगाजल को जल में मिलकर स्नान कर सकते हैं. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. फिर "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देने के लिए सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं और जल में तिल डालकर अपर्ण करें. इसके बाद ठाकुर और नारायण जी की पूजा करें. भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें. अंत में आरती और प्रार्थना करें. इसके बाद दिन भर व्रत रखकर भगवान के नाम का जाप करें. रात में चंद्र दर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

WATCH: 24 नवंबर को देव गुरु बृहस्पति हो रहे मार्गी, इन राशि वालों की चमकेगी किस्मत​

 

Trending news