सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक द्वारा अपनी लागत से 3 महीने की अवधि में इन ट्विन टॉवर्स को तोड़ा जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने सुपरटेक कंपनी को इन ट्विन टॉवर्स में फ्लैट खरीदने वाले सभी बायर्स को दो महीने के भीतर 12% इंटरेस्ट के साथ उपका पैसा वापस करने का आदेश भी दिया है.
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गौतम बुद्ध नगर: रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक (Supertech) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को नोएडा में बनीं सुपरटेक की 40 मंजिला दो इमारतों (Supertech Twin Towers, Noida) को गिराने का आदेश दिया है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2014 के फैसले को बरकरार रखते हुए अपने फैसले में कहा कि नोएडा सेक्टर-93 में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट (Supertech Emerald Court) में 915 फ्लैट्स वाले ट्विन टॉवर्स का निर्माण नियमों का उल्लंघन करके किया गया था.
तीन महीने में गिराना होगा, पैसे भी लौटाना होगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक द्वारा अपनी लागत से 3 महीने की अवधि में इन ट्विन टॉवर्स को तोड़ा जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने सुपरटेक कंपनी को इन ट्विन टॉवर्स में फ्लैट खरीदने वाले सभी बायर्स को दो महीने के भीतर 12% इंटरेस्ट के साथ उपका पैसा वापस करने का आदेश भी दिया है. एक्सपर्ट्स की निगरानी में सुपरटेक के इन दोनों 40 मंजिला टॉवरों को गिराया जाएगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुपरटेक बिल्डर्स को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा, जिसने अवैध निर्माण के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया.
सुपरटेक के ट्विन टॉवर्स को क्यों गिराया जा रहा
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को भी सुपरटेक के साथ मिलीभगत कर नगर निगम के नियमों और अग्नि सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करते हुए 40-मंजिला टॉवरों के अवैध निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कड़ी फटकार लगाई. शीर्ष अदालत ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित 2009 की मंजूरी योजना अवैध थी, क्योंकि इसमें न्यूनतम दूरी मानदंड का उल्लंघन किया गया था. इस योजना को फ्लैट खरीददारों की सहमति के बिना मंजूरी नहीं दी जा सकती थी, जो दी गई.
सात साल पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की पहल पर 11 अप्रैल 2014 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 4 महीने के भीतर सुपरटेक की दोनों इमारतों को ध्वस्त करने और फ्लैट खरीददारों को पैसे वापस लौटाने का आदेश दिया था. रियल स्टेट फर्म ने हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने बीते 4 अगस्त को हरित क्षेत्र में सुपरटेक के दो आवासीय टॉवरों के निर्माण को मंजूरी देने, सूचना के अधिकार को अवरुद्ध करने के लिए नोएडा प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए फ्लैट खरीददारों की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी के लिए ये कहा
नोएडा प्राधिकरण ने इस मामले में बहुत देर से शिकायत करने के लिए फ्लैट खरीददारों को दोषी ठहराया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए कहा था, ''जिस तरह से आप बहस कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि आप प्रमोटर हैं. आप घर खरीदने वालों के खिलाफ नहीं लड़ सकते. एक सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में आपको तटस्थ रुख अपनाना होगा. आपका आचरण आंख, कान और नाक से टपकते भ्रष्टाचार को दर्शाता है. आप अवैध निर्माण करने वाले बिल्डर की जगह घर खरीदने वालों में दोष खोजने की कोशिश कर रहे हैं.''
जानिए कैसे गिराई जाती हैं हाई राइज बिल्डिंग्स?
एक सामान्य प्रक्रिया है कि फ्लोर के प्लान के हिसाब से बिल्डिंग्स को तोड़ा जाए. इस तरह की हाई राइज बिल्डिंग्स को फ्लोर प्लान के हिसाब से तोड़ने में काफी समय लग जाएगा. इसलिए विशेषज्ञों की निगरानी में विस्फोटकों का इस्तेमाल कर ऐसी ऊंची इमारतों को गिराया जाता है. बिल्डिंग को गिराने से पहले विशेषज्ञ विस्तृत प्लान तैयार करते हैं. इसमें आस-पास की जमीन, भवनों, भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखा जाता है. प्लान में यह भी तय किया जाता है कि किस-किस फ्लोर पर एक्सप्लोसिव लगाना है. कुछ फ्लोर की दीवारें हटाई जाती हैं. इसमें हाई राइज बिल्डिंग के क्रिटिकल सपोर्ट जहां-जहां होते हैं वहां-वहां विस्फोटक (Internel Glanternte Explosive) लगाए जाते हैं. इसके बाद विस्फोट कर बिल्डिंग को ध्वस्त किया जाता है.
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